कानपुर के शोर से परेशान ब्रिटिश नागरिकों ने करी शिकायत
By असीम | Published: January 11, 2018 01:15 PM2018-01-11T13:15:36+5:302018-01-11T15:09:29+5:30
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े शहर का ऐसा बुरा हाल ये बताता है की कैसे तत्कालीन सरकारों ने अन्य शहरों के विकास से मुंह मोड़ कर सिर्फ लखनऊ पर ही अपना ध्यान केंद्रित रखा।
ब्रिटेन के माइकल हॉथोर्न और विलियम केपर ने जाने अनजाने में ही सही कानपुर की दुखती रग पर हाथ रख ही दिया। साइकिल पर विश्व भ्रमण को निकले दोनों पिछले दिनों कानपुर में थे। हालाँकि दोनों को भारत और यहाँ के रहने वाले बहुत पसंद आये, लेकिन उनकी एक शिकायत भी थी। कानपुर के लोग बेवजह इतना हॉर्न क्यों बजाते हैं ?
वैसे कानपुर निवासी अकेले नहीं हैं जो इस कार्य में लिप्त हैं। भारत के अधिकांश हिस्से इस बीमारी से ग्रस्त हैं। अगर हमारी नहीं मानते तो घर से बाहर निकल कर देख लीजिये। जहाँ तक कानपुर की बात है तो वहां दो पहिया वाहनों की सँख्या काफी अधिक है। खुद स्थानीय प्रशासन ने माना है की लोकल ट्रांसपोर्ट की हालत बहुत ख़राब है और शहर का एक छोटा सा हिस्सा ही कवर किया जाता है। ट्रांसपोर्ट और पार्किंग ही सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभर के आया है। पार्किंग की जगह कम होने से ट्रैफिक बढ़ जाता है और परिणामस्वरूप लोगो को एक जगह से दूसरी जगह जाने में अधिक समय लगता है। ये सब प्रशासन ने अपनी स्मार्ट सिटी के प्रेजेंटेशन में बोला है।
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े शहर का ऐसा बुरा हाल ये बताता है की कैसे तत्कालीन सरकारों ने शहरों के विकास से मुंह मोड़ कर सिर्फ लखनऊ पर ही अपना ध्यान केंद्रित करा। नतीजा सबके सामने है। हमारे यहाँ के वाहन चालकों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए की अनावश्यक हॉर्न का इस्तेमाल ना करें। नेपाल ने भी हाल ही में बढ़ते ध्वनि प्रदुषण के चलते बहुत से सार्वजनिक स्थलों पर हॉर्न बैन कर दिया है। ऐसे भी ड्राईवर हैं जिन्होंने पिछले १० वर्षों से हॉर्न का इस्तेमाल नहीं किया है। लेकिन ब्रिटेन के हमारे मेहमानों ने कहा है उसपर हमें गौर करना चाहिए क्यूंकि अनावश्यक हॉर्न बजाना ध्वनि प्रदुषण ही बढ़ता है।