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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: बजट में आर्थिक वृद्धि के लिए प्रोत्साहनों की जरूरत

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: January 14, 2020 07:05 IST

निश्चित रूप से प्रधानमंत्नी मोदी और वित्त मंत्नी सीतारमण को आर्थिक वृद्धि से संबंधित जो ये सुझाव प्राप्त हुए हैं उनकी ओर बजट निर्माण में ध्यान देने से इस समय उभरती हुई आर्थिक चुनौतियों से निपटा जा सकेगा

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हाल ही में नौ जनवरी को नीति आयोग के द्वारा प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के साथ अर्थशास्त्रियों, कारोबारी जगत के दिग्गजों और उद्यमियों की बजट पूर्व बैठक में शामिल विशेषज्ञों ने नए बजट में आर्थिक वृद्धि के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण सुझाव दिए. विशेषज्ञों ने कहा कि बजट में राजकोषीय चिंता को दरकिनार रखते हुए आर्थिक विकास को गति देने के लिए खर्च और सार्वजनिक निवेश बढ़ाए जाने चाहिए. विशेषज्ञों ने कहा कि यद्यपि राजकोषीय अनुशासन अच्छी बात है लेकिन आर्थिक सुस्ती के दायरे को देखते हुए यह एक चुनौतीपूर्ण दौर है.

ऐसे में राजकोषीय खर्च बढ़ने से बाजारों पर प्रतिकूल असर नहीं होगा. बैठक में शामिल विशेषज्ञों ने कृषि, ग्रामीण क्षेत्न, वाहन उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स, उपभोक्ता वस्तुओं के उद्योग, शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्न में सुधार के लिए सुझाव दिए. साथ ही सरकार को सार्वजनिक निवेश, कर्ज विस्तार, निर्यात वृद्धि, सरकारी बैंकों के कामकाज में सुधार, कारोबार में सरलता, खपत बढ़ाने, आयकर राहत और रोजगार सृजन पर नए बजट को फोकस करने की सलाह दी गई. इसी तरह के सुझाव वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण को भी अर्थशास्त्रियों, उद्यमियों और कारोबार क्षेत्न के विशेषज्ञों ने दिए थे.

निश्चित रूप से प्रधानमंत्नी मोदी और वित्त मंत्नी सीतारमण को आर्थिक वृद्धि से संबंधित जो ये सुझाव प्राप्त हुए हैं उनकी ओर बजट निर्माण में ध्यान देने से इस समय उभरती हुई आर्थिक चुनौतियों से निपटा जा सकेगा. स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि इस समय अमेरिका-ईरान के बीच उभरे तनाव के बाद कच्चे तेल की तेजी से बढ़ती कीमतें, देश में पिछले एक वर्ष से चला आ रहा आर्थिक सुस्ती का परिवेश तथा राजकोषीय घाटे की बढ़ती चिंताएं वर्ष 2020-21 के नए बजट की सबसे बड़ी आर्थिक चुनौतियां हैं.

स्थिति यह है कि नए वर्ष 2020 में जनवरी के पहले सप्ताह में कच्चे तेल की कीमतों में 10 फीसदी का इजाफा हो गया. इसी तरह हाल ही में 7 जनवरी को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने अनुमान जताया है कि चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में देश की विकास दर घटकर पांच फीसदी रह जाएगी. यह पिछले आठ वर्षो की न्यूनतम विकास दर है. साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी सुस्ती है. नए बजट में निर्धारित राजकोषीय घाटा (फिजिकल डेफिसिट) जीडीपी के 3.3 फीसदी से बढ़कर करीब 3.6 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है.

चालू वित्तीय वर्ष में टैक्स कलेक्शन 2.5 लाख करोड़ रुपए कम रहा है. विनिवेश भी लक्ष्य से कम है.ऐसे में देश और दुनिया की उभरती आर्थिक परिस्थितियों के कारण वर्ष 2020-21 में नए बजट में वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण आर्थिक सुस्ती की चुनौतियों को सामने रखते हुए विभिन्न वर्गो की उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए दिखाई देंगी. वित्त मंत्नी प्रमुखतया किसानों को लाभान्वित कर सकती हैं.

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