कोविड-19 के बीच नए बजट से बढ़ गई हैं उम्मीदें, जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: January 21, 2021 02:30 PM2021-01-21T14:30:44+5:302021-01-21T14:30:44+5:30

केंद्र सरकार वर्ष 2021-22 के बजट में राजकोषीय घाटे (फिजिकल डेफिसिट) का नया खाका पेश कर सकती है, जिसमें राजकोषीय घाटे को 2025-26 तक घटाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के चार फीसदी पर लाने की रणनीति रखी जा सकती है.

Union Budget 2021 covid coronavirus Nirmala Sitharaman increased expectations Jayantilal Bhandari's blog | कोविड-19 के बीच नए बजट से बढ़ गई हैं उम्मीदें, जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग

आगामी दो वर्षों में 3.1 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है. (file photo)

Highlightsनिर्मला सीतारमण के द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले वर्ष 2021-22 के आम बजट की ओर लगी हुई हैं.अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के मद्देनजर राजकोषीय घाटे को 2022-23 तक 3.1 प्रतिशत पर समेटने का लक्ष्य रखा था. कोविड-19 के कारण चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत के बजट अनुमान से ज्यादा रह सकता है.

इन दिनों देश के करोड़ों लोगों की निगाहें एक फरवरी, 2021 को वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण के द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले वर्ष 2021-22 के आम बजट की ओर लगी हुई हैं.

कोविड-19 की वजह से अप्रत्याशित रूप से बढ़ी हुई आर्थिक चुनौतियों के बीच एक ऐसे बजट की उम्मीद की जा रही है जिससे जहां आर्थिक सुस्ती का मुकाबला किया जा सके वहीं विभिन्न वर्गों की मुश्किलों को कम किया जा सके. इसके लिए केंद्र सरकार वर्ष 2021-22 के बजट में राजकोषीय घाटे (फिजिकल डेफिसिट) का नया खाका पेश कर सकती है, जिसमें राजकोषीय घाटे को 2025-26 तक घटाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के चार फीसदी पर लाने की रणनीति रखी जा सकती है.

गौरतलब है कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के मद्देनजर राजकोषीय घाटे को 2022-23 तक 3.1 प्रतिशत पर समेटने का लक्ष्य रखा था. लेकिन कोविड-19 के कारण चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत के बजट अनुमान से ज्यादा रह सकता है. इसलिए आगामी दो वर्षों में 3.1 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है. कोरोना महामारी के कारण जीडीपी में संकुचन और राजस्व संग्रह तथा व्यय के बीच बढ़ते अंतर के कारण राजकोषीय खाके में बदलाव करते हुए आगामी पांच वर्षो में करीब 4 प्रतिशत का लक्ष्य रखा जाना व्यावहारिक हो सकता है.

पिछले दिनों सात जनवरी को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 की पूरी अवधि के लिए आर्थिक विकास दर के जो अनुमान जारी किए हैं, उनके अनुसार चालू वित्त वर्ष में विकास दर की गिरावट 7.7 प्रतिशत पर सिमटने की बात कही गई है.

स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड-19 की आर्थिक चुनौतियों के बीच देश की अर्थव्यवस्था को ढहने से बचाने एवं गतिशील करने हेतु बीते वर्ष 2020 में नवंबर 2020 तक विभिन्न पूंजीगत व्यय में तेज बढ़ोतरी के कारण चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 8 महीनों यानी अप्रैल से नवंबर में केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान के 135 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है.

जबकि यह पिछले साल की समान अवधि के दौरान बजट लक्ष्य का 114.8 प्रतिशत था. ऐसे में कोविड-19 के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटे की चिंता न कर सरकार के द्वारा देश को कोविड-19 की आर्थिक महात्नासदी से बाहर निकालने के लिए जो रणनीतिक कदम उठाए गए हैं, वे लाभप्रद हैं. इससे अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने का परिदृश्य दिख रहा है.

नए वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट के तहत सरकार के द्वारा कोविड-19 की चुनौतियों के बीच राजकोषीय घाटे की चिंता न करते हुए विकास की डगर पर आगे बढ़ने के प्रावधान सुनिश्चित किए जा सकते हैं. वित्त मंत्नी प्रमुखतया खेती और किसानों को लाभान्वित करते हुए दिखाई दे सकती हैं.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) और प्रधानमंत्नी कृषि सम्मान निधि (पीएम किसान) के लिए अतिरिक्त धन आवंटित कर सकती हैं. सरकार ऐसे नए उद्यमों को प्रोत्साहन दे सकती है, जिनसे कृषि उत्पादों को लाभदायक कीमत दिलाने में मदद करने के साथ उपभोक्ताओं को ये उत्पाद मुनासिब दाम पर पहुंचाने में मदद करें.

वित्त मंत्नी के द्वारा ग्रामीण क्षेत्न के आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के उपायों के साथ-साथ कृषि एवं संबद्ध क्षेत्नों के विकास के माध्यम से बेरोजगारी और गरीबी को दूर करने वाले कामों को प्रोत्साहन दिया जा सकता है. पूरा देश नए बजट की ओर देख रहा है. उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्नी सीतारमण एक फरवरी को राजकोषीय घाटे की फिक्र  न करते हुए अपने वादे के अनुसार अपनी मुट्ठियां खोलते हुए ‘पहले कभी नहीं देखा गया अभूतपूर्व प्रोत्साहनों का बजट’ पेश करेंगी.

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