जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉगः कृषि क्षेत्र में जीडीपी बढ़ने का परिदृश्य और चुनौतियां

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: September 9, 2021 03:00 PM2021-09-09T15:00:39+5:302021-09-09T15:10:39+5:30

निश्चित रूप से यदि कृषि को और अधिक मजबूत बनाने के प्रयास किए जाएं तथा इस क्षेत्न की चुनौतियों का उपयुक्त समाधान किया जाए तो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्न का योगदान और तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई दे सकता है।

jayantilal bhandari blog scenario and challenges of gdp growth in agriculture | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉगः कृषि क्षेत्र में जीडीपी बढ़ने का परिदृश्य और चुनौतियां

जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉगः कृषि क्षेत्र में जीडीपी बढ़ने का परिदृश्य और चुनौतियां

Highlightsहाल ही में किसानों व कृषि क्षेत्न के दीर्घकालीन समग्र विकास के लिए कृति मंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों और कृषि मंत्रियों की बैठक हुई थीचालू वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी में 20.1% की वृद्धि दर्ज की गई है

हाल ही में 6 और 7 सितंबर को किसानों व कृषि क्षेत्न के दीर्घकालीन समग्र विकास के लिए आयोजित मुख्यमंत्रियों और कृषि मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्नी नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि डिजिटल एग्रीकल्चर, कृषि अवसंरचना फंड (एआईएफ), दलहन-तिलहन-पाम आयल मिशन, प्रधानमंत्नी किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) स्कीम, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) व इसके माध्यम से किसानों को ऋ ण सुविधा तथा कृषि निर्यात को प्रोत्साहन जैसे प्रयासों से कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि क्षेत्न की कमजोर कड़ियों की पहचान के साथ खेती की बुनियादी सुविधाओं को मजबूत बनाने और कृषि में रोजगार की नई संभावनाओं के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ा जाएगा।

निश्चित रूप से यदि कृषि को और अधिक मजबूत बनाने के प्रयास किए जाएं तथा इस क्षेत्न की चुनौतियों का उपयुक्त समाधान किया जाए तो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्न का योगदान और तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई दे सकता है। गौरतलब है कि 31 अगस्त को सरकार के द्वारा जारी किए गए चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 20.1 फीसदी की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि ही एकमात्न ऐसा क्षेत्न पाया गया है, जिसमें तीन वर्षो की पहली तिमाहियों में लगातार विकास दर बढ़ी है। जहां कृषि में चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में 4.5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं पिछले वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में इस क्षेत्न में 3.5 प्रतिशत वृद्धि हुई थी तथा 2019-20 की समान अविध में 3.3 फीसदी की वृद्धि हुई थी।

इस समय देश के कृषि क्षेत्न में लगातार जीडीपी बढ़ने के लिए कृषि क्षेत्न की तीन बड़ी अनुकूलताएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए दिखाई दे रही हैं। एक, बढ़ता खाद्यान्न उत्पादन और बढ़ता कृषि निर्यात। दो, देश के छोटे किसानों को मजबूत बनाने के प्रयास। तीन, दलहन और तिलहन उत्पादन को तेजी से बढ़ाने के नए प्रोत्साहन। नि:संदेह इस समय कृषि क्षेत्न की जीडीपी के लगातार बढ़ने का कारण किसानों का अथक परिश्रम, वैज्ञानिकों की कुशलता और भारत सरकार की कृषि एवं किसान हितैषी नीतियां हैं। इन्हीं के कारण देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन एवं खाद्यान्न निर्यात के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। वर्ष 2020-21 में खाद्यान्न उत्पादन करीब 30.86 करोड़ टन की रिकॉर्ड ऊंचाई पर दिखाई दे रहा है। जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.11 करोड़ टन अधिक है। भारत विश्व स्तर पर कई कृषि और संबंधित उत्पादों का प्रमुख उत्पादक देश है।

देश में दलहन और तिलहन उत्पादन के लिए विभिन्न प्रोत्साहनों से छोटे किसानों ने इसकी उपज को भी बढ़ाया है। वर्ष 2020-21 के दौरान देश में कुल तिलहन उत्पादन रिकॉर्ड 36.10 मिलियन टन अनुमानित है, जो वर्ष 2019-20 के उत्पादन की तुलना में 2.88 मिलियन टन अधिक है। इसी तरह वर्ष 2020-21 में दालों का उत्पादन 2 करोड़ 57 लाख टन रह सकता है। यह पिछले साल के मुकाबले करीब 36 लाख टन ज्यादा है।

हाल के वर्षो में जिस तरह छोटे किसानों को हरसंभव तरीके से प्रोत्साहन दिए गए, उससे भी कृषि के क्षेत्न में जीडीपी बढ़ी है। कृषि मंत्नी नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक फसल बीमा योजना में सुधार, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को डेढ़ गुना करने, देश के 70 से ज्यादा रेल रूटों पर किसान रेल के माध्यम से छोटे किसानों के कृषि उत्पाद कम ट्रांसपोर्टेशन के खर्चे पर देश के दूरदराज के इलाकों तक पहुंचने तथा छोटे किसानों को अच्छा बाजार मिलने से उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिलने से जीडीपी में वृद्धि हुई है। इस समय अनेक कृषि उत्पाद दुनिया के विभिन्न देशों में भेजे जा रहे हैं। 

यद्यपि चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में कृषि क्षेत्न में जीडीपी वृद्धि दर बेहतर रही है, लेकिन अन्य तिमाहियों में कृषि विकास दर के समक्ष दिखाई दे रही चुनौतियों को ध्यान में रखकर उनके निराकरण के कदम उठाने होंगे। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खरीफ की फसल के अंतिम उत्पादन को लेकर चिंता रही है। इस साल जुलाई और अगस्त में बारिश सामान्य से 20-25 प्रतिशत कम थी। बड़ी संख्या में इन सभी जलाशयों में जल स्तर दक्षिण भारत को छोड़कर हर इलाके में कम है। इसका आगामी रबी की बुआई पर असर पड़ सकता है। इससे सिंचाई और बिजली उत्पादन की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए इसका असर कृषि फसल पर पड़ सकता है।
 

हम उम्मीद करें कि देश में चालू वित्त वर्ष 2021-22 की आगामी तीन तिमाहियों में कृषि विकास दर और अधिक बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा छोटे किसान, कृषि विकास और खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने की जो योजनाएं लागू की गई हैं, उनके पूर्ण और कारगर क्रियान्वयन पर प्राथमिकता से ध्यान दिया जाएगा। इससे खाद्यान्न उत्पादन और निर्यात अधिक ऊंचाई पर पहुंचेगा। इससे किसानों की आमदनी व ग्रामीण रोजगार में वृद्धि होने से ग्रामीण क्षेत्न की समृद्धि में भी वृद्धि होगी।

Web Title: jayantilal bhandari blog scenario and challenges of gdp growth in agriculture

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