बदलती वैश्विक परिस्थितियों में भारत को रहना होगा सतर्क

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: June 24, 2025 07:25 IST2025-06-24T07:24:50+5:302025-06-24T07:25:08+5:30

हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न वैश्विक मंचों से यह बात कह चुके हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है.

India will have to remain alert in the changing global conditions | बदलती वैश्विक परिस्थितियों में भारत को रहना होगा सतर्क

बदलती वैश्विक परिस्थितियों में भारत को रहना होगा सतर्क

ईरान-इजराइल जंग में अमेरिका के भी कूद जाने से पश्चिम एशिया में इन दिनों तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है. भारत हालांकि अभी तक तटस्थ है लेकिन ईरान अगर होर्मुज जलडमरूमध्य के समुद्री रास्ते से पेट्रोलियम पदार्थों की आपूर्ति को बाधित करता है तो हमारे देश में भी महंगाई की मार पड़ना तय है. इस सिलसिले में एक राहत भरी बात यह हुई है कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए कुछ चुनिंदा देशों पर ही निर्भर नहीं रही है.

पहले जहां हमारा देश दुनिया के 27 देशों से पेट्रोलियम पदार्थों का आयात करता था, वहीं अब इसे विस्तारित करते हुए 40 देशों तक बढ़ा लिया है. इसमें मुख्य रूप से मध्य पूर्व, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका के देश शामिल हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद हाल के वर्षों में रूस से भारत का पेट्रोलियम आयात काफी बढ़ा है. पश्चिमी देशों ने इस पर काफी हो-हल्ला भी मचाया था, लेकिन भारत अपनी नीति पर मजबूती से डटा रहा और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पश्चिमी देशों की आपत्तियों का करारा जवाब दिया, जिसका फायदा रूस से रियायती दरों पर पेट्रोलियम आपूर्ति के रूप में देखने को मिल रहा है.

जैसा कि पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने आयरलैंड के कॉर्क में कहा कि भारत में प्रतिदिन खपत होने वाले 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल में से लगभग 1.5-2 मिलियन बैरल ही होर्मुज जलडमरूमध्य के जरिये आता है. हम दूसरे मार्गों से लगभग 4 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात करते हैं. इसलिए इस मार्ग के बाधित होने से हम पर असर तो जरूर पड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं है कि सब कुछ ठप हो जाएगा.

दरअसल भारत ने पिछले कई वर्षों से विदेशी मामलों में संभलकर चलने की नीति अपनाई है, पाकिस्तान से तुलना करने पर इसके फायदे को समझा जा सकता है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जब पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में लंच पर बुलाया तो पाकिस्तानी फूले नहीं समाए थे.

मुनीर ने तो ट्रम्प को शांति का नोबल पुरस्कार दिए जाने की वकालत तक कर डाली. अब ईरान-इजराइल युद्ध में अमेरिका के कूदने के बाद पाकिस्तान ने उसकी निंदा की तो लोग मुनीर को नोबल पुरस्कार की याद दिलाते हुए उन्हें सोशल मीडिया पर बुरी तरह ट्रोल कर रहे हैं. मजेदार बात यह है कि अमेरिका के युद्ध में कूदने की निंदा करते हुए भी पाकिस्तान उसे अपने क्वेटा एयरबेस का इस्तेमाल करने से रोक नहीं रहा है.

इस तरह अपने दोमुंहेपन से वह खुद ही दुनिया में उपहास का पात्र बन रहा है. जहां तक भारत का सवाल है, उसके ईरान, इजराइल और अमेरिका- सबके साथ अच्छे संबंध हैं.

इजराइल के साथ जहां हम रक्षा, खुफिया जानकारी और तकनीक का आदान-प्रदान करते हैं, वहीं ईरान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक और सांस्कृतिक भागीदार है तथा पेट्रोलियम और गैस देता है. अमेरिका के साथ भारत का आतंकवाद-रोधी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी प्रभाव का मुकाबला करने जैसे मुद्दों पर गहरा सहयोग है. इसलिए रूस-यूक्रेन युद्ध की तरह ईरान-इजराइल के मुद्दे पर भी हमें तटस्थ रहते हुए सभी संबंधित देशों के साथ सौहार्द्रपूर्ण संबंध बनाए रखने की जरूरत है.

निश्चय ही यह तनी हुई रस्सी पर चलने की तरह कठिन काम है लेकिन आज की बहुध्रुवीय दुनिया में किसी एक देश का पक्ष लेने के लिए हम किसी दूसरे देश का विरोध करने का जोखिम नहीं उठा सकते. हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न वैश्विक मंचों से यह बात कह चुके हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है. इसलिए हमारी भूमिका सभी देशों के साथ संबंध सामान्य रखते हुए युद्ध समाप्त कराने की कोशिश की ही होनी चाहिए.

Web Title: India will have to remain alert in the changing global conditions

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