लाइव न्यूज़ :

भारत-पाक के संबंधों पर पत्र कूटनीति से आगे सोचने की जरूरत

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: August 25, 2018 07:36 IST

भारत की तरफ से उम्मीदों की निरंतरता और पाकिस्तान की तरफ से धोखा, जबकि दूसरी है- पाकिस्तान की तरफ से अग्रिम कार्रवाई तथा भारत की तरफ से पोस्ट रिएक्शन।

Open in App

रहीस सिंह 

भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक पनपे संबंधों में जिन विशेष तत्वों अथवा बातों की अहम भूमिका रही है उनमें पहली है- भारत की तरफ से उम्मीदों की निरंतरता और पाकिस्तान की तरफ से धोखा, जबकि दूसरी है- पाकिस्तान की तरफ से अग्रिम कार्रवाई तथा भारत की तरफ से पोस्ट रिएक्शन। तत्पश्चात संबंधों में अवकाश और फिर एक नया प्रयास, जो प्राय: भारत की तरफ से किया गया। 

आजकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए लिखे गए एक पत्र के इर्द-गिर्द भारत-पाकिस्तान कूटनीति सिमटी हुई नजर आ रही है। भारतीय पक्ष का कहना है कि मोदी ने चिट्ठी में बातचीत जैसी कोई पेशकश नहीं की। उन्होंने दोनों देशों के बीच अच्छे पड़ोसियों की तरह रिश्ते कायम करने की बात लिखी थी। उन्होंने लोगों की भलाई के लिए सार्थक और रचनात्मक संवाद रखने की प्रतिबद्धता जताई थी और भरोसा जताया। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में शांति, सुरक्षा और समृद्धि के दृष्टिकोण को साझा किया, ताकि क्षेत्र को ¨हंसा और आतंक से मुक्त कर विकास पर ध्यान दिया जा सके। 

असल में तो यह देखने की जरूरत है कि क्या पाकिस्तान के मामले में हम उसी पारंपरिक र्ढे पर आगे बढ़ेंगे या फिर कुछ बदलाव लाएंगे? दक्षिण एशिया में हम पाकिस्तान के बिना आगे बढ़ेंगे या फिर उसके बिना? क्या हम इसी तरह से दक्षिण एशिया के किसी फोरम पर पाकिस्तान के बगल में बैठना गुनाह मानते रहेंगे और शंघाई सहयोग संगठन जैसे मंच को उसके साथ साझा करने में हमें कोई एतराज नहीं होगा? हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत यदि उपमहाद्वीपीय नेतृत्व हासिल करना चाहता है या फिर ऐसा दावा कर रहा है तो उसकी यह जिम्मेदारी बनती है कि सुरक्षा और सद्भाव के लिए वह निर्णायक पहलें करे। हां ऐसी पहलें करते समय हमें यह ध्यान देने की जरूरत होगी कि पाकिस्तान के साथ किस तरह की नीति अपनाई जाए। पाकिस्तान में सत्ता के दो केंद्र हैं। एक-इस्लामाबाद और दूसरा-रावलपिंडी। रावलपिंडी का जनरल ही वास्तव में ‘डिफेक्टो रूलर’ है। इमरान खान को प्रधानमंत्री बनाने में रावलपिंडी की क्या भूमिका रही है यह दुनिया जानती है इसलिए उनसे यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि वे स्वतंत्र नीतियों का निर्माण कर उन्हें लागू कर पाएंगे। पाकिस्तानी सेना भारत को दुश्मन नंबर एक मानती है। फिर भारत किस तरह की उम्मीद करे?

टॅग्स :इनडो पाकपाकिस्ताननरेंद्र मोदीइमरान खान
Open in App

संबंधित खबरें

भारतकौन हैं ऋतुराज सिन्हा?, नितिन नबीन की जगह दी जाएगी बड़ी जिम्मेदारी

भारतभाजपा को मां के समान मानते?, बिहार प्रमुख संजय सरावगी बोले-आगे बढ़ाने की दिशा में ईमानदारी से काम करेंगे

विश्वखुद ड्राइव कर प्रधानमंत्री मोदी को जॉर्डन संग्रहालय ले गए प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय, वीडियो

भारतसुशासन दिवस पर पीएम मोदी करेंगे राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण, 232 करोड़ रूपए खर्च कर 65 एकड़ में बनाया गया राष्ट्र प्रेरणा स्थल

भारतचाहे पश्चिम बंगाल हो, असम हो या उत्तर प्रदेश, भाजपा कार्यकर्ता हमेशा तैयार रहते?, नितिन नवीन ने कहा-नया दायित्व आशीर्वाद

भारत अधिक खबरें

भारतहैदराबाद का रहने वाला था बोंडी बीच शूटर साजिद अकरम, उसका बेटा ऑस्ट्रेलियाई नागरिक, तेलंगाना पुलिस ने की पुष्टि

भारतहरियाणा सरकारः 23वां जिला हांसी, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने की घोषणा

भारतआतंकी मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए जवान अमजिद अली, पुलिस ने शहादत को किया सलाम

भारतमहिला डॉक्टर का हिजाब हाथों से खींचकर हटाने से विवादों में घिरे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विपक्ष हमलावर

भारतबिहार मंत्रिपरिषद से नितिन नबीन ने दिया इस्तीफा, नीतीश सरकार में सड़क निर्माण और नगर विकास विभाग के मंत्री थे