शोभना जैन का ब्लॉग: चीन के साथ संबंधों पर हर स्तर पर पुनर्विचार की जरूरत

By शोभना जैन | Published: June 19, 2020 05:52 AM2020-06-19T05:52:47+5:302020-06-19T05:53:35+5:30

चीन जिस तरह से अपनी आर्थिक, सैन्य शक्ति को विस्तारवादी मंसूबों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है, अब भारत में उस पर अंकुश लगाने की मुहिम शुरू हो गई है. भारत ने हाल ही में सरकारी तौर पर चीनी कंपनी को दिया गया एक बड़ा ठेका रद्द कर दिया है.

India needs to rethink relations with China at all levels | शोभना जैन का ब्लॉग: चीन के साथ संबंधों पर हर स्तर पर पुनर्विचार की जरूरत

xi jinping And Narendra Modi (File Photo)

पूर्वी लद्दाख सीमा में चीनी फौजों के साथ पिछले एक माह से चल रही गंभीर तनातनी और झड़पों को रोकने के बारे में गत 6 जून को दोनों देशों के बीच हुई सहमति और सीमा पर शांति बनाए रखने के अनेक समझौतों की चीन ने धज्जियां उड़ा दी हैं. उसने वही किया जिस धोखेबाजी का अंदेशा उससे सदा बना रहता है. इस बार उसने तमाम द्विपक्षीय समझौतों, वुहान विश्वास बहाली भावना, अंतरराष्ट्रीय नियमों की धज्जियां उड़ाई हैं. उसने जिस तरह से बर्बरता की हदों को पार भारतीय सेना के जांबाज कमांडर और उनकी टुकड़ी के निहत्थे बीस शूरवीरों की नुकीले पत्थरों और कीलें जड़ी लोहे की रॉड्स से हत्या की है, उससे भारत में घर-घर में गहरा आक्रोश है. इस फौरी तनाव का हल निकालने के लिए बातचीत जारी है, लेकिन अब हमें यह सच्चाई स्वीकार कर लेनी चाहिए कि चीन के प्रति हमारी नीति मौजूदा हालत में और नई परिस्थितियों में प्रभावी नहीं रही तथा इस पर  पुनर्विचार करने का समय आ गया है.

गलवान घाटी क्षेत्न में वास्तविक नियंत्नण रेखा पर 1962 के युद्ध के बाद यह पहला संघर्ष था, जबकि 1975 के बाद यह दोनों देशों की फौजों के बीच पहला खूनी संघर्ष था. और संघर्ष भी ऐसा जिसमें दोनों देशों के बीच हुई सहमति की धज्जियां उड़ाई गईं. इस क्षेत्न में दोनों देशों के बीच हथियार नहीं उठाने की सहमति का अतिक्रमण करते हुए चीन ने निहत्थे भारतीय सैनिकों को बर्बर तरीके से मारा. भारतीय सैनिक इस क्षेत्न में यह पता करने गए थे कि 6 जून को सैन्य कमांडरों के बीच हुई सहमति के अनुरूप क्या चीनी सैनिकों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है और अपने तंबू हटा लिए हैं. उस पर चीन की खूनी प्रतिक्रि या पूरी दुनिया ने देखी. निश्चय ही हमें एलएसी में सैन्य तैनाती नियमों में बदलाव लाने पर विचार करना होगा.

Xi Jinping And PM Modi (File Photo)
Xi Jinping And PM Modi (File Photo)

 एक पूर्व  शीर्ष  सेना प्रमुख के अनुसार सैनिकों को ऐसे क्षेत्नों में निहत्था भेजा नहीं जाना चाहिए. साथ ही फौजें कैसे पीछे हटें इसको भी पुनर्भाषित किए जाने की जरूरत है. पूरी सैन्य सतर्कता बरतते हुए और तैयारी रखते हुए इस क्षेत्न में अपना आधारभूत ढांचा बढ़ाना होगा. निश्चय ही भारत युद्ध नहीं चाहता है, उसका हर प्रयास है कि डिप्लोमेटिक, राजनीतिक स्तर के साथ सैन्य स्तर पर बातचीत कर विवाद का हल निकाला जाए. अगर फिर भी युद्ध थोपा जाता है तो उसका यथोचित तरीके से जवाब देने में भारत सक्षम है. भारत में जम्मू-कश्मीर के प्रशासनिक ढांचे में फेरबदल से बौखलाया चीन कोविड-19 को लेकर दुनिया भर में अलग-थलग पड़ गया है, हांगकांग, दक्षिण चीन, ताइवान, भारत, प्रशांत क्षेत्न पर वर्चस्व कायम करने के मंसूबे पालने वाले चीन के राष्ट्रपति अपने ही देश में घिरे हुए हैं. ऐसी स्थिति में चीन के आक्रामक तेवर के पीछे छिपी वजहें समझी जा सकती हैं.  

1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्नी राजीव गांधी के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों में विश्वास बहाली की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सीमा विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रयास करते हुए सीमा पर शांति बनाए रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त करने के साथ ही अन्य क्षेत्नों में रिश्ते बढ़ाने पर सहमति हुई थी. नतीजतन दोनों के बीच व्यापार बढ़ा लेकिन व्यापार चीन के पक्ष में ही रहा. हालत यह भी आ गई कि चीन ने अपने सस्ते घटिया उत्पादों से भारतीय बाजार भर दिए जिससे हमारे अपने व्यापारिक हित प्रभावित हुए.

भारत और चीन का झंडा (फाइल फोटो)
भारत और चीन का झंडा (फाइल फोटो)

 बहरहाल, चीन जिस तरह से अपनी आर्थिक, सैन्य शक्ति को विस्तारवादी मंसूबों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है, अब भारत में उस पर अंकुश लगाने की मुहिम शुरू हो गई है. भारत ने हाल ही में सरकारी तौर पर चीनी कंपनी को दिया गया एक बड़ा ठेका रद्द कर दिया है. समझा जा रहा है कि इस दिशा में कई और ऐसे फैसले लिए जाएंगे. आम जनता के बीच भी चीनी उत्पादों के बहिष्कार की बहस तेज हुई है. इस बारे में प्रभावी कदमों की अपेक्षा है. वैसे, 1988 के विश्वास बहाली के समझौतों के बाद 1993, 1996, 2005, 2013 में न जाने कितने समझौते हुए लेकिन नतीजा यही रहा कि चीन की तरफ से कहा कुछ जाता रहा और किया कुछ जाता रहा. चीन एक तरफ कह रहा है कि दोनों देश तनाव घटाना चाहते हैं, दूसरी तरफ इस क्षेत्न में अपना सैन्य बल बढ़ा रहा है. वक्त आ गया है कि जब देश में इस बारे में सभी स्तर पर विचार करके सरकार चीन के प्रति नीति पर पुनर्विचार करे.

Web Title: India needs to rethink relations with China at all levels

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