भारत और पाकिस्तान के दौरे पर आ रहे अमेरिकी विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री आखिर चाहते क्या हैं?

By वेद प्रताप वैदिक | Published: September 5, 2018 12:59 PM2018-09-05T12:59:26+5:302018-09-05T12:59:26+5:30

भारत क्यों मानेगा ऐसी बात? इसीलिए दोनों राष्ट्रों के बीच जो सामरिक संचार समझौते की बात दो साल से चल रही है, वह शायद अंजाम तक नहीं पहुंचेगी। हो सकता है कि दोनों अमेरिकी मंत्नी भारत को यह लालच भी दें कि वे पाकिस्तान को 30 करोड़ डॉलर की सामरिक मदद बंद कर रहे हैं। उसे आतंकवाद से लड़ने को मजबूर कर रहे हैं।

India and US to hold first 2+2 dialogue and know Bilateral Relations | भारत और पाकिस्तान के दौरे पर आ रहे अमेरिकी विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री आखिर चाहते क्या हैं?

भारत और पाकिस्तान के दौरे पर आ रहे अमेरिकी विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री आखिर चाहते क्या हैं?

अमेरिका के विदेश मंत्नी माइक पोंपियो और रक्षा मंत्नी जिम मैटिस इस सप्ताह भारत और पाकिस्तान की यात्र करेंगे। यह यात्ना कूटनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होगी।

भारत को अपना सामरिक भागीदार मानते हुए अमेरिका उसे लगभग सवा लाख करोड़ रु. के हेलिकॉप्टर भी बेचना चाहता है और भारत पर यह दबाव भी डालना चाहता है कि वह ईरान और रूस के विरुद्ध अमेरिका की हां में हां मिलाए। यानी डोनाल्ड ट्रम्प ने इन राष्ट्रों के विरुद्ध जो प्रतिबंध लगाए हैं, उन पर अमल करे। ईरान से तेल लेना और रूस से एस-400 मिसाइल खरीदना बंद करे। 

भारत क्यों मानेगा ऐसी बात? इसीलिए दोनों राष्ट्रों के बीच जो सामरिक संचार समझौते की बात दो साल से चल रही है, वह शायद अंजाम तक नहीं पहुंचेगी। हो सकता है कि दोनों अमेरिकी मंत्नी भारत को यह लालच भी दें कि वे पाकिस्तान को 30 करोड़ डॉलर की सामरिक मदद बंद कर रहे हैं। उसे आतंकवाद से लड़ने को मजबूर कर रहे हैं।

इसलिए भारत, अमेरिका की बात माने। लेकिन भारत को पता है कि अमेरिका जो भी कदम उठा रहा है, वह अपने फायदे के लिए उठा रहा है, भारत के लिए नहीं। भारत का फायदा चलते रास्ते हो जाए, यह और बात है। पाकिस्तानी आतंकवाद को पालने-पोसने की सारी जिम्मेदारी अमेरिका की ही है। 

सोवियत संघ और अफगानिस्तान से लड़ने के लिए अमेरिका ने जो आतंकी संगठन 30-35 साल पहले खड़े किए थे, वे ही अब भारत और अफगानिस्तान के सिरदर्द बने हुए हैं।  वे पाकिस्तान को भी नहीं बख्श रहे हैं। पाकिस्तान की आर्थिक हालत काफी खस्ता है। इमरान खान उसे सुधारने के लिए कई नई पहल कर रहे हैं। 

क्या ही अच्छा हो कि डोनाल्ड ट्रम्प थोड़ी दूरंदेशी का परिचय दें, अपनी जुबान पर संयम रखें और पाकिस्तानी फौज को समझाएं कि वह आतंकवाद के विरु द्ध कमर कसे। यदि आतंकवाद जारी रहेगा तो न तो अफगानिस्तान में शांति हो सकती है और न ही कश्मीर का मसला हल हो सकता है। 

Web Title: India and US to hold first 2+2 dialogue and know Bilateral Relations

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