ललित गर्ग का ब्लॉग: बढ़ता ई-कचरा बन रहा पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा

By ललित गर्ग | Published: September 27, 2023 10:50 AM2023-09-27T10:50:40+5:302023-09-27T10:53:41+5:30

ई-कचरा से तात्पर्य उन सभी इलेक्ट्राॅनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरणों (ईईई) तथा उनके पार्ट्स से है, जो उपभोगकर्ता द्वारा दोबारा इस्तेमाल में नहीं लाया जाता.

Increasing e-waste is becoming a big threat to the environment | ललित गर्ग का ब्लॉग: बढ़ता ई-कचरा बन रहा पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsलगातार बढ़ रहा ई-कचरा न केवल भारत के लिए बल्कि समूची दुनिया के पर्यावरण, प्रकृति एवं स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है.ग्लोबल ई-वेस्ट माॅनिटर-2020 के मुताबिक चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक है.

लगातार बढ़ रहा ई-कचरा न केवल भारत के लिए बल्कि समूची दुनिया के पर्यावरण, प्रकृति एवं स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है. ई-कचरा से तात्पर्य उन सभी इलेक्ट्राॅनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरणों (ईईई) तथा उनके पार्ट्स से है, जो उपभोगकर्ता द्वारा दोबारा इस्तेमाल में नहीं लाया जाता. ग्लोबल ई-वेस्ट माॅनिटर-2020 के मुताबिक चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक है.

इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्राॅनिक उपकरणों को बनाने में खतरनाक पदार्थों (शीशा, पारा, कैडमियम आदि) का इस्तेमाल होता है, जिसका मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है. दुनियाभर में इस तरह से उत्पन्न हो रहा ई-कचरा एक ज्वलंत समस्या के रूप में सामने आ रहा है. पारा, कैडमियम, सीसा, पॉलीब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्स, बेरियम, लीथियम आदि ई-कचरे के जहरीले अवशेष मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक होते हैं. 

इन विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने पर मनुष्य के हृदय, यकृत, मस्तिष्क, गुर्दे और कंकाल प्रणाली की क्षति होती है. इसके अलावा, यह ई-वेस्ट मिट्टी और भूजल को भी दूषित करता है. ई-उत्पादों की अंधी दौड़ ने एक अंतहीन समस्या को जन्म दिया है. शुद्ध साध्य के लिए शुद्ध साधन अपनाने की बात इसीलिए जरूरी है कि प्राप्त ई-साधनों का प्रयोग सही दिशा में सही लक्ष्य के साथ किया जाए, पदार्थ संयम के साथ इच्छा संयम हो.

आज दुनिया के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं, जिसमें से ई-वेस्ट एक नई उभरती विकराल एवं विध्वंसक समस्या भी है. दुनिया में हर साल 3 करोड़ टन से अधिक ई-वेस्ट पैदा हो रहा है. ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर के मुताबिक भारत सालाना करीब 20 लाख टन ई-वेस्ट पैदा करता है और अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद ई-वेस्ट उत्पादक देशों में 5वें स्थान पर है. 

ई-वेस्ट के निपटारे में भारत काफी पीछे है, जहां केवल 0.003 मीट्रिक टन का निपटारा ही किया जाता है. यूएन के मुताबिक दुनिया के हर व्यक्ति ने साल 2021 में 7.6 किलो ई-वेस्ट डंप किया. भारत में हर साल लगभग 25 करोड़ मोबाइल ई-वेस्ट हो रहे हैं. ये आंकड़ा हर किसी को चौंकाता है एवं चिंता का बड़ा कारण बन रहा है, क्योंकि इनसे कैंसर और डीएनए डैमेज जैसी बीमारियों के साथ कृषि उत्पाद एवं पर्यावरण के सम्मुख गंभीर खतरा है.

भारत सरकार ई-कचरे के निपटारे के लिए प्रबंधन नीति लाई थी, लेकिन वह कारगर नहीं साबित हुई और अब रिसाइकल इंसेंटिव के साथ नई नीति ला रही है ताकि ई-निर्माण इकाइयां ई-वेस्ट का रिसाइकल करने और पर्यावरण बचाव के प्रति जवाबदेह हो सकें.

Web Title: Increasing e-waste is becoming a big threat to the environment

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे