हमारे देश में आज भी एक गरीब का बच्चा अपनी शुरूआती शिक्षा कभी ठीक तरह से पूरी नहीं कर पाता लेकिन सौ में से एक खुशकिस्मत बच्चा ही ऐसा होता है जो अपनी लगन-मेहनत के चलते उच्च शिक्षा हासिल कर पाता है। आर्थिक तंगी के चलते मां बाप अक्सर अपने बच्चों की पढ़ाई छुड़वा देते हैं और उन्हें भी काम के लिए कहते हैं जबकि कुछ बच्चें अपनी मर्जी से ही मजदूरी करने लगते हैं। इसके अलावा अगर बच्चा पढ़ाई में अच्छा हो भी तो उसके परिजन व्यापार होती शिक्षा का सौदा नहीं कर पाते। ऐसे में या तो कुछ युवा या कोई सामाजिक संस्था इन बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए आगे आते हैं।
ऐसे ही एक युवा हैं विकास दयाल जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए आधारशिला एनजीओ की स्थापना की है। हाल ही में उनकी संस्था ने हापुड़ के पीरनगर-सूदना और असरा गांव के कुल 12 बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया है। इसमें पीरनगर-सूदना से 11 और असरा गांव से 1 बच्चा शामिल हैं। इन बच्चों में किसी के परिजन किसान तो कोई मेहनत मजदूरी कर अपनी गुजर-बसर कर रहा है। आज के दौर में एक किसान और मजदूर के लिए अपने बच्चों को पढ़ाना काफी मुश्किल काम है। ऐसे में संस्था की यह पहल इन बच्चों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं है।
इस मामले में संस्था के अध्यक्ष और IIMCIAN विकास दयाल ने लोकमत से खास बातचीत में बताया कि 'बहुत कम लोग हैं जो समाज के इस तबके के बारे में सोचते हैं। ये बच्चे भी देश का भविष्य हैं और हम वर्तमान। हम जागरुक हैं और इनके भविष्य को संवारना हमारा नैतिक काम है। फिलहाल हमारी क्षमता के अनुसार हमारा लक्ष्य ऐसे 50 बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाना है। मेरे साथ कई युवा साथी भी इसमें सहयोग कर रहे हैं।
संस्था कॉपी-किताब, बैग, ड्रेस, स्टेशनरी सहित तमाम वो सभी सुविधाएं मुहैया कराएगी जो इन बच्चों की पढ़ाई के लिए जरूरी है। विकास और उनकी संस्था की यह पहल देश के अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा और मिसाल है।