लोक सभा चुनाव 2019 से पहले अगर राहुल ने किया जेडीएस से ब्रेकअप तो इन 3 वजहों से पड़ेगा पछताना
By रंगनाथ | Published: May 21, 2018 05:41 PM2018-05-21T17:41:40+5:302018-05-21T17:43:06+5:30
जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी बुधवार को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे। कांग्रेस और जेडीएस कर्नाटक में पहले भी गठबंधन सरकार बना चुके हैं।
देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस का आपसी घमासान दिन ब दिन रोचक होता जा रहा है। कर्नाटक में जिस तरह पहले बीजेपी और बाद में कांग्रेस गठबंधन ने सत्ता हासिल की उससे साफ हो गया कि आने वाले वक़्त में कांग्रेस बीजेपी को बराबरी की टक्कर देने वाली है। राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद इतना तो साफ हो गया है कि भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अब "सोयी" नहीं रहेगी। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की भाषा में कहें तो कांग्रेस गोवा और मणिपुर में कांग्रेस सोती रही इसलिए बीजेपी ने सबसे बड़ी पार्टी ने होते हुए भी सरकार बना ली।
कर्नाटक में बीजेपी ने एक बार जागरुकता का परिचय दिया और पूर्ण बहुमत न होने के बावजूद सरकार बना ली। लेकिन इस बार कांग्रेस भी जागी हुई थी। कांग्रेस ने चुनाव के अंतिम नतीजे आने से पहले ही जनता दल (सेकुलर) के संग गठबंधन बना लिया और सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद जब बीजेपी के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सदन में बहुमत साबित करने आये तो उनके पास पर्याप्त विधायक नहीं थे। येदियुरप्पा ने बहुमत परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस की जागरुकता की वजह से अब 23 मई को जेडीएस के साथ गठबंधन में उसकी सरकार बनेगी।
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कांग्रेस गठबंधन के दरवाजे से भले ही कर्नाटक की सत्ता में वापसी करने जा रही है लेकिन इस सरकार के भविष्य को लेकर अभी से सवाल उठने शुरू हो गये हैं।जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि कांग्रेस ने उन्हें आश्वासन दिया है कि सरकारी स्थायी होगी। लेकिन कर्नाटक में करीब डेढ़ दशक पहले भी कांग्रेस जेडीएस गठबंधन खटायी में पड़ चुका है। केंद्र में भी कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बनने वाले चंद्रशेखर और वीपी सिंह का हश्र राजनीतिक जानकार नहीं भूले हैं। ऐसे में गठबंधन के प्रति कांग्रेस की वफादारी के प्रति राजनीतिक जानकारों का शक निराधार नहीं है। तीन ठोस ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से कांग्रेस को जेडीएस का साथ अगले आम चुनाव तक निभाना ही होगा।
1- कांग्रेस को पहले भले ही गठबंधन तोड़ने से कोई फायदा हुआ हुआ, देश की मौजूदा परिस्थिति में अगर वो कर्नाटक की गठबंधन सरकार को 2019 के लोक सभा चुनाव से पहले अस्थिर करेगी तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। बीजेपी बार-बार इस बात का प्रचार करती है कि कांग्रेस देश के महज तीन राज्यों (पंजाब, गोवा और मणिपुर) तक सिमट गयी है। ऐसे में दक्षिण भारत के अहम राज्य में सत्ता में बने रहना कांग्रेस के लिए जरूरी है ताकि वो बीजेपी के इस तंज की धार थोड़ी कम कर सके।
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2- केंद्र समेत 21 राज्यों की सत्ता में बैठी बीजेपी देश की सबसे अमीर पार्टी है। उसका दावा है कि वो दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। बिहार, उत्तर प्रदेश और अब कर्नाटक में ये साफ हो गया है कि बीजेपी को हराना फिलहाल अकेले किसी पार्टी के वश की बात नहीं है। विपक्षी दलों की एकता ही बीजेपी को चित्त कर सकती है। ऐसे में विपक्षी दलों का भरोसा जीतना कांग्रेस के लिए बहुत जरूरी है। अगर कांग्रेस ने कर्नाटक में जेडीएस को धोखा दिया तो इसका संदेश राष्ट्रीय स्तर पर बहुत बुरा जाएगा। विपक्षी दल कर्नाटक का हवाला देकर कांग्रेस के झण्डे तले इकट्ठा होने में आनाकानी करेंगे। ऐसे में कांग्रेस की यह एक तरह से मजबूरी है कि वो अपनी साख बचाने के लिए अगले आम चुनाव तक जेडीएस का साथ निभाती जाए।
3- नेता के तौर पर नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की तुलना पिछले कई सालों से फैशन में है। लेकिन गुजरात चुनाव के नतीजों के आने से पहले राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने। कर्नाटक चुनाव के पहले उन्होंने साफ इशारा किया कि अगर 2019 में कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरती है तो उन्हें प्रधानमंत्री बनने में कोई ऐतराज नहीं होगा। कर्नाटक में राहुल के नेतृत्व में जिस तरह कांग्रेस ने आक्रामक तरीके से बीजेपी की चुनाव प्रचार के दौरान मुकाबला किया और नतीजे आने के बाद हारकर भी सत्ता की बाजी जीत कर खुद को बाजीगर साबित किया। अगर राहुल को बीजेपी विरोधी गठबंधन का नेता बनना है तो उन्हें विपक्षी दलों के नेताओं का भी नेता बनना होगा। इसके लिए सबसे जरूरी है उनमें विपक्षी दलों के नेताओं का भरोसा होना। अगर राहुल ने जेडीएस की सरकार वक्त से पहले गिरा दी तो उन पर वही आरोप लगेंगे जो उनके पिता राजीव गांधी पर लगे थे। राहुल अगले साल पहली बार लोक सभा चुनाव का आगे रहकर नेतृत्व करेंगे। 2019 के महासमर में उन्हें तमाम ऐसे योद्धाओं की जरूरत होगी जिन पर वो भरोसा कर सकें और जिन्हें उनपर यकीन हो। अगर राहुल ने आगामी लोक सभा चुनाव से पहले जेडीएस की सरकार गिराने की भूल की तो पीएम बनने की उनकी संभावनाओं की चूल जड़ से हिल जाएगी।
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