IAS corruption: भ्रष्टाचार के भंवर में फंसते नए आईएएस अधिकारी
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: August 19, 2024 05:23 IST2024-08-19T05:23:32+5:302024-08-19T05:23:32+5:30
IAS corruption: सिविल सेवा परीक्षा-2018 में छठा स्थान पाने और अपनी सफलता पर अनेक कहानियां लिखने वाले गुप्ता पर जो आरोप लगाए गए हैं, वे उनके गढ़चिरोली से लेकर धुलिया तक के प्रशिक्षण काल के बताए जा रहे हैं.

सांकेतिक फोटो
IAS corruption: भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों के कदाचार इन दिनों खासी चर्चा में हैं. यह बात प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेड़कर के साथ आरंभ होने के बाद काफी गरमा गई है. कहीं भ्रष्टाचार की बात है तो कहीं सक्षम होने पर सवालिया निशान लग रहा है. ताजा उदाहरण में सांगली के महानगर पालिका के आयुक्त शुभम गुप्ता का नाम सामने है. सिविल सेवा परीक्षा-2018 में छठा स्थान पाने और अपनी सफलता पर अनेक कहानियां लिखने वाले गुप्ता पर जो आरोप लगाए गए हैं, वे उनके गढ़चिरोली से लेकर धुलिया तक के प्रशिक्षण काल के बताए जा रहे हैं.
राज्य सरकार के आदिवासी विकास विभाग नागपुर के अपर आयुक्त ने अब गढ़चिरोली के आरोपों पर जांच के बाद कार्रवाई के आदेश दिए हैं. हालांकि प्रशासनिक अधिकारी गुप्ता अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन कर चुके हैं, किंतु शिकायतों की जांच के बाद ही राज्य सरकार किसी कार्रवाई के लिए मजबूर हुई है.
स्पष्ट है कि विधायक के आरोपों से लेकर कामकाज के दौरान गड़बड़ियों के प्रमाण मिलना गंभीर है. वह भी उस स्थिति में जब अधिकारी प्रशिक्षण अवधि में कार्यरत हो. यह माना जाता है कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) देश के बेहतरीन संस्थानों में से एक है और वह सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से सर्वोच्च प्रतिभाओं का चयन करता है,
जिनसे केवल अच्छे काम की अपेक्षा ही नहीं बल्कि समूची व्यवस्था को अच्छा बनाने की भी उम्मीद रखी जाती है. पिछले कुछ सालों में मेधावी विद्यार्थियों के विदेशों में जाने के चस्के पर रोक लगाने में भारतीय प्रशासनिक सेवा ही सक्षम साबित हुई है, जिसे अनेक होनहार युवकों ने अपना कैरियर बनाया है.
वे इस सेवा में सिर्फ इसलिए आए, क्योंकि उन्हें देश और अपने समाज के लिए कुछ अच्छा करना था. किंतु उनका भी भ्रष्टाचार के भंवर में फंसना केवल आश्चर्यजनक ही नहीं, बल्कि चिंताजनक है. पहले गलत तरीकों से सेवा में प्रवेश पाना और बाद में अनुचित आचरण करना गंभीर चिंता का विषय है.
अक्सर सुनने में आता है कि अनेक युवाओं ने लाखों रुपए की निजी नौकरी को छोड़कर सिविल सेवा को अपनाया, जिसके पीछे उनका कारण अपनी प्रतिभा और योग्यता का लाभ देना था. लेकिन इन दिनों जिस प्रकार की घटनाएं सामने आ रही हैं, वे नई पीढ़ी के मन में निराशा का भाव भी जगा रही हैं.
वह नकारात्मक सोच रखने वालों की इस धारणा को मजबूत कर रही हैं कि अधिकतर आईएएस अधिकारी भ्रष्ट हैं या अक्षम हैं या दोनों भी हैं. निश्चित ही इस परिदृश्य के बाहर आना आवश्यक है. सेवा की कमियों और कमजोरियों को दूर करना जरूरी है.
यद्यपि अन्य पेशों की तुलना में आईएएस अधिकारी के लिए कोई भी लिखित या अलिखित व्यवहार का कोड नहीं है. वे पेशेवर भी नहीं माने जाते हैं. ऐसे में उनसे आत्मानुशासन की ही अपेक्षा होती है. उसे तोड़ने पर समस्याएं खड़ी होती हैं. ताजा घटनाएं भी कुछ यही संदेश दे रही हैं और ठोस निराकरण किए जाने की अपेक्षा रख रही हैं.