हरीश गुप्ता का ब्लॉग: फिजूलखर्ची को लेकर पीएमओ की नाराजगी
By हरीश गुप्ता | Published: July 2, 2020 06:28 AM2020-07-02T06:28:37+5:302020-07-02T06:28:37+5:30
सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों को 17 जून को एक असाधारण एडवाइजरी जारी की गई थी, जिसमें सभी पीएसयू बैंकों को स्टाफ के लिए कारों की खरीद और गेस्ट हाउसों के नवीनीकरण सहित सभी परिहार्य व्यय को टालने के लिए कहा गया था.
सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक में जब एक नहीं बल्कि तीन-तीन शानदार ऑडी कार खरीदने की धृष्टता की गई तो प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का पारा चढ़ गया. जब पीएमओ में एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी ने इस बारे में वित्त मंत्रलय से संपर्क साधा तो हंगामा मच गया. सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों को 17 जून को एक असाधारण एडवाइजरी जारी की गई थी, जिसमें सभी पीएसयू बैंकों को स्टाफ के लिए कारों की खरीद और गेस्ट हाउसों के नवीनीकरण सहित सभी परिहार्य व्यय को टालने के लिए कहा गया था. बेशक, उन्हें कुछ स्वतंत्रता दी गई थी कि उन मामलों में खर्च किया जा सकता है जहां यह बहुत ही अपरिहार्य है.
बैंकों पर प्रशासनिक कार्यालयों और बैक ऑफिस जैसे अंदरूनी परिसरों में सजावटी, गैर-कार्यात्मक वस्तुओं पर खर्च करने पर रोक लगाई गई थी और गेस्ट हाउसों का नवीनीकरण नहीं करने के लिए कहा गया था. एक अग्रणी पीएसयू बैंक ने अपने शीर्ष अधिकारियों की यात्र के लिए 1.30 करोड़ रुपए से अधिक की तीन ऑडी कारें खरीदीं. अब यह महंगी गाड़ियां एक गैरेज में पार्क कर दी गई हैं. मंत्रलय की ओर से कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपनी कार्यालयीन जरूरतों, खर्च और आमदनी के हिसाब से किराये पर लिए गए वाहनों के मौजूदा बेड़े का आकलन करें. पीएसयू बैंकों के प्रमुख नाराज हैं कि एक के कामों की कीमत सभी को चुकानी पड़ रही है.
फ्लाइट्स बैन पर कैसे पिघले उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र के सुझावों को मजबूती से खारिज कर दिया था कि घरेलू उड़ानों को राज्य में संचालित करने की अनुमति दी जाए. ठाकरे को मनाने के सभी प्रयास विफल हो गए थे क्योंकि कोविड के मरीज बढ़ रहे थे और उड़ानों को संचालित करने की अनुमति देने से स्थिति और खराब हो जाती. लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी हार मानने वाले नहीं थे क्योंकि ज्यादातर राज्य उड़ानें शुरू करने पर सहमत थे. वे जानते थे कि मुंबई के बिना घरेलू उड़ानों का संचालन निर्थक होगा.
सूत्रों से पता चला है कि पुरी ने पूर्व राजनयिक के रूप में हासिल किए गए अपने पूरे कौशल का उपयोग किया और राजनीतिक क्षेत्र में सही संपर्को का इस्तेमाल किया. उन्होंने भाजपा के किसी नेता का सहारा नहीं लिया, लेकिन अर्थव्यवस्था को गतिमान रखने के लिए एनसीपी के एक दिग्गज नेता की मदद ली. अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह शरद पवार थे जिन्होंने ठाकरे को मना लिया कि जोखिम लेने लायक है. पता चला है कि ठाकरे के सकारात्मक रवैये से प्रधानमंत्री बहुत खुश थे और तब से दिल्ली और मुंबई के बीच अच्छे संबंध हैं. दिलचस्प बात यह है कि ठाकरे और हरदीप पुरी ने भी एक अच्छी आपसी समझ विकसित कर ली है.
शाह का कोपभाजन बने दिल्ली के एलजी!
इन दिनों दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के लिए सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और सत्ता के गलियारों में किस्मत उनसे रूठी हुई है. देश के गृह मंत्री अमित शाह कोविड संकट से निपटने से तरीके को लेकर उनसे नाखुश हैं. विभिन्न राजनीतिक समूहों को एक साथ लाने के बजाय बैजल ने पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाई. इसकी पराकाष्ठा 21 जून को हुई जब अमित शाह ने खुद एक बैठक बुलाई जिसमें एलजी, सीएम और भाजपा शासित एमसीडी प्रमुखों ने होम क्वारंटाइन को बंद करने का फैसला किया और कहा कि सभी तयशुदा क्वारंटाइन सुविधाओं का ही लाभ उठाएं.
बैजल ने अरविंद केजरीवाल से सलाह लिए बिना अपनी मर्जी से यह फैसला लिया था. लेकिन झटका देने वाली बात यह थी कि एलजी ने 21 जून के फैसले के बावजूद पूरे चार दिनों तक अपने आदेश को रद्द नहीं किया. इस पर हंगामा मच गया और नाराज अमित शाह ने सार्वजनिक रूप से आदेश वापस लेने का निर्देश दिया. फिर निरादर करने की बारी आई! जब अमित शाह 10,000 मरीजों की क्षमता वाले विशेष रूप से निर्मित कोविड केयर सेंटर का उद्घाटन करने गए तो केजरीवाल उनके साथ थे. बैजल को अकेला छोड़ दिया गया था. यह एलजी के लिए एक और सार्वजनिक अनादर था. अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि एलजी के रूप में अब उनके दिन गिनती के ही शेष रह गए हैं.