ब्लॉग: भूजल हालत में थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन खतरा बड़ा है
By पंकज चतुर्वेदी | Published: December 18, 2023 09:25 AM2023-12-18T09:25:24+5:302023-12-18T09:30:56+5:30
जलवायु परिवर्तन के कुप्रभाव के चलते बरसात का अनियमित और असमय होना तो है ही। ऐसे में पानी का सारा दारोमदार भूजल पर है, जो कि अनंत काल तक चलने वाला स्रोत कतई नहीं है।
पिछले दिनों भारत सरकार द्वारा जारी एक रिपोर्ट ने यह सुखद समाचार दिया है कि पिछले साल की तुलना में इस बार देश के कई हिस्सों में भूजल के हालात सुधरे हैं।
वर्ष 2023 के लिए पूरे देश के सक्रिय भूजल संसाधन मूल्यांकन रिपोर्ट से पता चलता है कि पूरे देश के लिए कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण 449.08 अरब घन मीटर (बीसीएम) है, जो पिछले वर्ष 2022 की तुलना में 11.48 बीसीएम अधिक है।
यह मूल्यांकन केंद्रीय भूजल बोर्ड और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। यह सुधार एक आशा तो है लेकिन जान लें कि हमारे देश में भूजल के हालात बहुत खतरनाक की हद तक हैं।
विदित हो कि अभी दो महीने पहले ही संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय - पर्यावरण और मानव सुरक्षा संस्थान (यूएनयू-ईएचएस) के शोध में चेताया गया था कि भारत में भूजल की कमी चरम बिंदु तक पहुंचने के करीब है। रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में 78% भूजल स्रोत अतिदोहित हैं और पूरे उत्तर-पश्चिमी भारत में खतरा मंडरा रहा है कि 2025 तक भूजल कहीं पाताल में न पहुंच जाए।
समझना होगा कि भारत दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है, जो अमेरिका और चीन के संयुक्त उपयोग से अधिक है। भारत का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र देश की बढ़ती एक अरब 40 करोड़ आबादी के लिए पेट भरने का खजाना कहलाता है। पंजाब और हरियाणा राज्य देश की 50% चावल आपूर्ति और 85% गेहूं का उत्पादन करते हैं।
देश का बड़ा हिस्सा पेयजल और खेती के लिए भूजल पर निर्भर है। जिस देश में भूजल ने हरित क्रांति को संवारा और जिसके चलते भारत एक खाद्य-सुरक्षित राष्ट्र बन गया, वहीं बहुमूल्य संसाधन अतिदोहन के चलते अब खतरे में हैं. एक तरफ हर घर नल योजना है तो दूसरी तरफ अधिक अन्न उगाने का दबाव और साथ ही सतह के जल के भंडार जैसे- नदी, तालाब, झील आदि सिकुड़ रहे हैं या उथले हो रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कुप्रभाव के चलते बरसात का अनियमित और असमय होना तो है ही। ऐसे में पानी का सारा दारोमदार भूजल पर है, जो कि अनंत काल तक चलने वाला स्रोत कतई नहीं है।
भारत के 360 जिलों, यानी 63 प्रतिशत, अर्थात लगभग दो-तिहाई जिलों में भूजल स्तर की गिरावट गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है। कई जगह भूजल दूषित हो रहा है। चिंताजनक बात यह है कि जिन जिलों में भूजल स्तर 8 मीटर से नीचे चला गया है।