सोने के पंखों की वापसी...
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: June 30, 2018 08:45 IST2018-06-30T08:45:01+5:302018-06-30T08:45:01+5:30
सरकार के सामने वही समस्या थी जो ऐसे आवेदनों के समय सरकार के सामने होती है कि सोने के पंखों को वापस लाने का काम तीनों में से कौन करे?

सोने के पंखों की वापसी...
शनिवार विशेष
एक समय था, हमारा भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। जिसकी भी पंख नोचने की इच्छा हो, उसे छूट थी कि वह भारत में घुसे।चिड़िया न भी ले जा सके, पर जितने पंख नोचना चाहे, नोचकर ले जाए। चिड़िया की खूबी थी कि उसमें नए पंख उग आते थे। जब तक भारत आजाद हुआ, चिड़िया अपने पंख नुचवाते हुए दुर्दशाग्रस्त हो चुकी थी। उसने नई आजाद सरकार से निवेदन किया कि संसार-भर में जो मेरे सोने के पंख फैले हैं, उन्हें वापस इंपोर्ट कर लाने की इजाजत दी जाए।
सरकार के सामने वही समस्या थी जो ऐसे आवेदनों के समय सरकार के सामने होती है कि सोने के पंखों को वापस लाने का काम तीनों में से कौन करे? सरकार खुद करे। मतलब अंतर्राष्ट्रीय भावों में सोना खरीद देश के दुकानदारों को दे दे। या व्यापारी यह काम करें कि उन्हें सोना आयात करने की इजाजत दी जाए या तीसरी आर्थिक शक्ति अर्थात् स्मगलर्स इस काम को हाथ में लें। जाहिर है, गांधीवादी, आदर्शवादी कांग्रेस सरकार, जो नमक आंदोलन और सादगी का व्रत ले कुर्सी तक पहुंची थी, इस कंचनमृग के छलावे से बचना चाहती थी, वह व्यापारियों को सोना लाने का खुला लाइसेंस भी नहीं दे सकती थी, क्योंकि इससे पूंजीवाद पनपता और ऐसा होने में सरकार की समाजवादी नीति आड़े आती थी।
इस तरह आदर्शवाद तो सुरक्षित रहा, पर सरकार ने तीसरी आर्थिक महाशक्ति की ओर आशा-भरी दृष्टि से देखा। वे थे हमारे स्मगलर्स।सरकार ने देश में सोने के भाव बढ़ाए और स्मगलिंग की प्रतिभा को बढ़ावा दिया।
सरकार ने सोने की समस्या पर बेकारी, प्रजातंत्र और खुशहाली की दृष्टि से विचार किया।सोने की स्मगलिंग में आज कितने लोग लगे हैं, कमा रहे हैं। इसी बहाने कई बेकारों को रोजगार मिल रहा है। दूसरा, खुशहाली।कई ऐसे धंधे में करोड़पति हो गए हैं।तीसरी बात है प्रजातंत्र को दृढ़ता। इसी की ब्लैकमनी से पार्टी चुनाव लड़ती है।
उम्मीदवार पानी की तरह पैसा बहाते जीतते हैं। एक आनुषंगिक लाभ यह है कि अफसरों की अतिरिक्त कमाई हो जाती है।
हिंदुस्तानी आंदोलन के मधु मेहता और उनके साथी इन दिनों इसी सवाल पर मुंबई में भूख हड़ताल कर रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों को विदेश से सोना लाने की कानूनी इजाजत दी जाए, जिससे स्मगलिंग बंद हो।
इस समय भारत में छह हजार करोड़ का कोई तीन सौ टन सोना स्मगल होकर आता बताते हैं। शायद भारतवासी पानी के बिना जी सकते हैं, पर सोने के बिना नहीं। सोने के भाव गिर जाएं या सोना कानूनी तरीके से आयात होने लगे तो स्मगलिंग रुक सकती है। पर अपोजीशन की बात मान सरकार अपनी नाक तो कटाने से रही।
(शरद जोशी)