ग्लोबल वार्मिंग का कहर: देश के 25 राज्यों में बारिश का रौद्र रूप, आखिर कैसे दूर होंगे जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: July 13, 2022 03:16 PM2022-07-13T15:16:20+5:302022-07-13T15:19:19+5:30

जितनी तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है उसके लिए हम मनुष्य ही  सर्वाधिक दोषी हैं. इसलिए इसका रास्ता भी हमें खोजना होगा. कुछ दिक्कतें सह कर भी अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देना जरूरी है.

Global Warming: heavy rain in 25 states of the country, how will the effects of climate change be overcome | ग्लोबल वार्मिंग का कहर: देश के 25 राज्यों में बारिश का रौद्र रूप, आखिर कैसे दूर होंगे जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव

कई राज्यों में बारिश का रौद्र रूप (फाइल फोटो)

देश के लगभग 25 राज्यों में बारिश इन दिनों अपना रौद्र रूप दिखा रही है. खासकर महाराष्ट्र और गुजरात के अनेक इलाके बाढ़ में डूबे हुए हैं और हाई अलर्ट जारी किया गया है. इन दोनों राज्यों में कुल मिलाकर लगभग डेढ़ सौ लोगों की अतिवृष्टि के चलते मौत हो चुकी है. उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश में भी तेज बारिश हो रही है. हालांकि उत्तर भारत के कुछ इलाके अभी भी गर्मी से बेहाल हैं. 

डेढ़-दो माह पहले ही देश प्रचंड गर्मी से तप रहा था. मई में अनेक जगहों पर तापमान 47 डिग्री सेल्सियस या उसके ऊपर पहुंच गया था और सैकड़ों लोगों की लू लगने से मौत हुई थी. मार्च में गर्मी इतनी तेजी से बढ़ी थी कि गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचा था क्योंकि गर्मी की वजह से उसके दाने पतले पड़ गए थे. रिकॉर्डतोड़ गर्मी के लिए बढ़ते वैश्विक तापमान को जिम्मेदार बताया गया था और अब भारी बारिश के लिए भी ग्लोबल वार्मिंग को ही जिम्मेदार माना जा रहा है. 

दरअसल जितनी तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है उसके लिए हम मनुष्य ही  सर्वाधिक दोषी हैं. घरेलू कामों, कारखानों और परिचालन के लिए हम तेल, गैस और कोयले का इस्तेमाल करते हैं. इन जीवाश्म ईंधनों के जलने से ग्रीनहाउस गैस निकलती हैं जिसमें सबसे अधिक मात्रा कार्बन डाईऑक्साइड की होती है. इन गैसों की सघन मौजूदगी के कारण सूर्य का ताप धरती से बाहर नहीं जा पाता है और धरती का तापमान बढ़ने का कारण बनता है. मुश्किल यह है कि इस प्रक्रिया को अचानक नहीं रोका जा सकता. 

पिछले कई दशकों में हम इन ईंधनों पर इतना ज्यादा निर्भर हो चुके हैं कि अगर तत्काल इनका इस्तेमाल बंद कर दिया जाए तो पूरा विकास कार्य ही ठप पड़ जाएगा. लेकिन जिस तेजी से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं, उसे देखते हुए और कोई उपाय भी नहीं है. 

अक्षय ऊर्जा की कीमत काफी कम हो गई है. सोलर पैनल 80 प्रतिशत तक सस्ते हो गए हैं. सौर ऊर्जा के लिए बैटरी स्टोरेज जरूरी है और बैटरी की कीमत भी 80 फीसदी कम हुई है. पवन ऊर्जा 50 प्रतिशत तक सस्ती हुई है. दुनिया के कुछ हिस्सों में तो जीवाश्म से मिलने वाली ऊर्जा से भी अक्षय ऊर्जा सस्ती हो गई है. इसलिए कुछ दिक्कतें सह कर भी अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देना जरूरी है ताकि संभावित विनाश को रोका जा सके.

Web Title: Global Warming: heavy rain in 25 states of the country, how will the effects of climate change be overcome

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