ब्लॉग: गरबा को वैश्विक स्वीकृति भारत के लिए उत्साहजनक

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: December 8, 2023 11:11 AM2023-12-08T11:11:01+5:302023-12-08T11:11:11+5:30

कसाने, बोत्सवाना में शुरू हुई अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की हिफाजत के लिए अंतर सरकारी समिति की 18वीं बैठक के दौरान अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सहेजने संबंधी 2003 की संधि के प्रावधानों के तहत इसे सूची में शामिल किया गया।

Global acceptance of Garba is encouraging for India | ब्लॉग: गरबा को वैश्विक स्वीकृति भारत के लिए उत्साहजनक

फाइल फोटो

यूनेस्को ने जीवंत और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण गरबा नृत्य को आधिकारिक तौर पर स्वीकार करते हुए इसे मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में एक प्रतिष्ठित स्थान प्रदान किया है।

इस पारंपरिक भारतीय नृत्य शैली को वैश्विक स्वीकृति भारतीय जनमानस के लिए उत्साहजनक है। भारत की परंपराओं या सांस्कृतिक आयोजन जैसे रामलीला, वैदिक मंत्रोच्चार, कुंभ मेला और दुर्गा पूजा को पहले ही यूनेस्को सूची में जगह मिल चुकी है। गरबा के रूप में देवी मां की भक्ति की सदियों पुरानी परंपरा जीवित है। यह सामाजिक और लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देता है।

गरबा को एक अनुष्ठानात्मक और भक्तिपूर्ण नृत्य बताया गया है जो कि स्त्री ऊर्जा या शक्ति की पूजा के लिए समर्पित है। कसाने, बोत्सवाना में शुरू हुई अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की हिफाजत के लिए अंतर सरकारी समिति की 18वीं बैठक के दौरान अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सहेजने संबंधी 2003 की संधि के प्रावधानों के तहत इसे सूची में शामिल किया गया।

इसका उद्देश्य अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की दृश्यता को बढ़ाना, इसके महत्व के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करने वाले संवाद को बढ़ावा देना है। एक नृत्य शैली के रूप में गरबा धार्मिक और भक्ति की जड़ों में गहराई से समाया हुआ है।

गरबा नृत्य, जो गुजरात के सांस्कृतिक ताने-बाने में गहराई से निहित है, लंबे समय से नवरात्रि उत्सव के दौरान देवी की भक्ति का प्रतीक रहा है। गरबा ने न केवल अपनी सदियों पुरानी परंपराओं को बरकरार रखा है बल्कि यह समुदायों को एकजुट करने वाली एक जीवंत परंपरा के रूप में विकसित हो रहा है। एक नृत्य शैली के रूप में गरबा परंपरा और श्रद्धा की जड़ों में गहराई से समाया हुआ है, जिसमें सभी क्षेत्रों के लोग शामिल होते हैं।

गरबा विविधता में एकता का समर्थन करता है और विभिन्न समुदायों के बीच सामाजिक समानता पैदा करता है। वैसे देखा जाए तो गरबा खेलना एक परंपरा ही नहीं, बल्कि इसके पीछे एक दर्शन है। गरबा लय और ताल का सामंजस्य है। इसी में छिपा है जीवन का फलसफा जिस तरह से गरबा खेलने के दौरान पता होता है कि कब कदम आगे बढ़ाना है, कब रोकना है।

वास्तव में यही जीवन का अनुशासन है। वर्तमान समय में गुजरात के साथ-साथ देश के कई हिस्सों में नवरात्रि के दौरान बड़े स्तर पर गरबा नृत्य का आयोजन होता है।

यह जीवन, एकता और हमारी गहन परंपराओं का उत्सव है। यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में इसका सम्मिलित होना विश्व के समक्ष भारतीय संस्कृति के सौंदर्य का प्रदर्शन है। यह सम्मान हमें भावी पीढ़ियों के लिए अपनी विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। 

Web Title: Global acceptance of Garba is encouraging for India

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