गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: दिहाड़ी मजदूरों की दयनीय दशा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 1, 2020 10:59 AM2020-04-01T10:59:40+5:302020-04-01T10:59:40+5:30

अकेले दिल्ली में बिहार के 40 लाख से अधिक मजदूर काम करते थे, उनका कहना है कि कोरोना से मरने से अच्छा है कि अपनों के पास जाकर मरें. लाख टके का प्रश्न है कि यदि वे गांव जाएंगे और वहां उनके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं होगा तो वे जिंदा कैसे रहेंगे? बसों और ट्रकों में लदकर ये मजदूर जैसे तैसे अपने राज्यों की तरफ चले गए हैं. परंतु जब वे अपने राज्य में पहुंचेंगे तब उनके लिए और मुसीबत खड़ी होगी क्योंकि लोग पूछेंगे कि क्या आप जहां से आए हैं वहां आपने कोरोना की जांच कराई थी?

Gaurishankar Rajhans Blog: Miserable condition of daily laborers | गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: दिहाड़ी मजदूरों की दयनीय दशा

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

हाल ही में हजारों प्रवासी मजदूर जो मुख्यत: बिहार और उत्तर प्रदेश से थे, दिल्ली के आनंद विहार अंतर्राज्यीय बस अड्डे पर इस अफवाह के कारण जमा हो गए कि सरकार ने उनको उनके राज्य में उनके गांव भेजे जाने का प्रबंध किया है. हजारों लोग आनंद विहार बस अड्डे पर बैठे रहे और हजारों रेल लाइन पर पटरियों पर बैठ गए. घंटों इंतजार के बाद भी उन्हें उनके राज्य में जाने के लिए कोई बस नहीं मिली.

इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना वायरस अप्रत्याशित है और संक्रमित रोगियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है. इसके कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा करनी पड़ी.

अकेले दिल्ली में बिहार के 40 लाख से अधिक मजदूर काम करते थे, उनका कहना है कि कोरोना से मरने से अच्छा है कि अपनों के पास जाकर मरें. लाख टके का प्रश्न है कि यदि वे गांव जाएंगे और वहां उनके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं होगा तो वे जिंदा कैसे रहेंगे? बसों और ट्रकों में लदकर ये मजदूर जैसे तैसे अपने राज्यों की तरफ चले गए हैं. परंतु जब वे अपने राज्य में पहुंचेंगे तब उनके लिए और मुसीबत खड़ी होगी क्योंकि लोग पूछेंगे कि क्या आप जहां से आए हैं वहां आपने कोरोना की जांच कराई थी? जाहिर है उन्होंने कोई जांच नहीं कराई थी.

मामला अत्यंत संगीन है. यह केवल सरकार का दायित्व ही नहीं है, बल्कि देश के हर नागरिक को यह सोचना होगा कि इस महामारी से कैसे निपटा जाए. प्रधानमंत्री ने पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ कराकर लोगों की जान की रक्षा करने का पूरा प्रयास किया.

सरकार ने कहा है कि लोग अपने घरों में ही रहें, बाहर न निकलें. स्कूल-कॉलेज और सिनेमा घर सभी बंद हैं. पूरे देश में अचानक ही लोगों पर ऐसी विपत्ति आ गई है जिसकी किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि इसने पूरी दुनिया  को तोड़कर रख दिया है. विदेशों की एजेंसियां जो कल तक कहती थीं कि भारत की जीडीपी  संसार में सबसे अच्छी होगी वही आज कह रही हैं कि यह 2 से 3 प्रतिशत तक ही रह सकती है.

प्रश्न है कि गरीब और बेसहारा लोग आखिर कहां जाएं? यह एक अत्यंत ही भयावह स्थिति है जैसी पहले कभी नहीं आई थी. ऐसे में हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह गरीब और असहायों की मदद करे.

Web Title: Gaurishankar Rajhans Blog: Miserable condition of daily laborers

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