डॉ. एस. एस. मंठा का ब्लॉग: असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्या

By डॉ एसएस मंठा | Published: April 3, 2020 12:37 PM2020-04-03T12:37:31+5:302020-04-03T12:37:31+5:30

हमारे देश में 90 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों के असंगठित क्षेत्र में होने का अनुमान है. आर्थिक सव्रेक्षण 2017-18 में अनुमान लगाया गया था कि देश की 87 प्रतिशत कंपनियां कुल 21 प्रतिशत कारोबार का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो कि असंगठित क्षेत्र में हैं और टैक्स तथा सामाजिक सुरक्षा के दायरे से बाहर हैं. उनमें से कई कंपनियां वर्तमान संकट से बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं.

Dr. SS Mantha blog on Coronavirus: The problem of unorganized sector workers | डॉ. एस. एस. मंठा का ब्लॉग: असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्या

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

वैश्विक महामारी कोविड-19 की मार पूरी दुनिया में दिनोंदिन गहराती जा रही है. याद रखें कि हम एक पूरी तरह से जुड़ी हुई दुनिया में रह रहे हैं, चाहे वह वेब के जरिये जुड़ी हो या अन्य साधनों से. स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से तकनीकी रूप से उन्नत देश इसके आगे असहाय दिख रहे हैं.  

भारत जैसा सवा अरब लोगों का देश भी इस महामारी से प्रभावित हुआ है, जहां गरीबों की एक बड़ी संख्या है जिनके पास रहने-खाने की बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं. लेकिन हालत अन्य बड़े देशों के समान बुरी नहीं है. देश में  21 दिनों का लॉकडाउन घोषित कर दिया गया और उसका कड़ाई से पालन हो रहा है. हालांकि यह कहना अभी थोड़ा जल्दबाजी हो सकता है, लेकिन संकट से निपटने का भारतीय तरीका भविष्य के लिए उदाहरण बन सकता है.

तत्काल चिंता का विषय यह है कि इस महामारी ने पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्था को अपनी चपेट में ले लिया है जिसका असर अगले कई वर्षो तक देखने को मिलेगा. पहले से ही गिरावट की ओर अग्रसर अर्थव्यस्था पर इसका भयावह असर होगा.

हमारे देश में 90 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों के असंगठित क्षेत्र में होने का अनुमान है. आर्थिक सव्रेक्षण 2017-18 में अनुमान लगाया गया था कि देश की 87 प्रतिशत कंपनियां कुल 21 प्रतिशत कारोबार का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो कि असंगठित क्षेत्र में हैं और टैक्स तथा सामाजिक सुरक्षा के दायरे से बाहर हैं. उनमें से कई कंपनियां वर्तमान संकट से बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं.

इस संकट के कारण प्रवासी मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है जो कि मुख्यत: बिहार, प. बंगाल और उत्तर प्रदेश के हैं. कई होटल, जो मुंबई जैसे शहरों की जीवनरेखा हैं, दक्षिणी राज्यों के प्रवासी कामगारों को काम पर रखते हैं, अचानक ही बंद हो गए हैं. कपड़े धोने, इस्त्री करने वालों से लेकर घरों में काम करने वालों तक, कामगारों का एक बहुत बड़ा हिस्सा इस संकट से प्रभावित हुआ है. ठहराव उन्हें बेमानी बनाता है. उनके पास इतने संसाधन नहीं कि काम के फिर से शुरू होने तक इंतजार कर सकें. उनके पास विकल्प क्या है? या तो वायरस का खतरा उठाकर अपने घरों की ओर लौटें या भूख का सामना करें.

Web Title: Dr. SS Mantha blog on Coronavirus: The problem of unorganized sector workers

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