डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: चुनावों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 9, 2019 12:53 PM2019-04-09T12:53:04+5:302019-04-09T12:53:04+5:30

हर पांच साल में होने वाले दो माह के चुनाव कार्यक्रम में करोड़ों लोग शामिल होते हैं. पहले मतपत्रिका मतपेटी में डालनी पड़ती थी, अब मतपेटी की  जगह ईवीएम ने ले ली है. अब इसके आगे का चरण कौन सा हो सकता है?

Dr. S. S. Mantha Blog: Use of Artificial Intelligence in Elections | डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: चुनावों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग

डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: चुनावों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग

भारत में सत्ता किसकी होगी, इसके लिए लड़ाई चुनाव के माध्यम से लड़ी जा रही है. आज तकनीकी ज्ञान का युग है. भविष्य में चुनाव किस तरह से लड़े जाएंगे? यह तो तय है कि तकनीक का असर उपलब्ध सारे तरीकों पर पड़ेगा. पहले की लंबी चुनाव पद्धति की अपेक्षा आज की पद्धति अधिक सरल हो गई है.

हर पांच साल में होने वाले दो माह के चुनाव कार्यक्रम में करोड़ों लोग शामिल होते हैं. पहले मतपत्रिका मतपेटी में डालनी पड़ती थी, अब मतपेटी की  जगह ईवीएम ने ले ली है. अब इसके आगे का चरण कौन सा हो सकता है? आधार कार्ड व तकनीकी ज्ञान के इस्तेमाल से क्या नागरिकों के लिए कहीं से भी मतदान करना संभव हो सकेगा? अगर ऐसा हो जाए तो मतदान केंद्र तक जाने की जरूरत ही नहीं रह जाएगी और मतदान भी सौ प्रतिशत तक हो सकता है जिससे हमारे देश में लोकतंत्र का दर्जा और ऊंचा हो जाएगा.

आधुनिक काल में अभी तक राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के पास सीमित पारंपरिक साधन ही रहे हैं. लेकिन अब बड़े पैमाने पर डाटा व उसके विश्लेषण की तकनीक उपलब्ध है. इसकी वजह से चुनाव प्रचार की परिणामकारकता बढ़ी है.  सोशल मीडिया लोगों की राय  को जानने का बेहद प्रभावशाली माध्यम है. हाल के दिनों में हम सोशल मीडिया अभियान से डाटा-संचालित अभियान की ओर बढ़ रहे हैं. डाटा के विश्लेषण से प्राप्त जानकारी के बाद लक्ष्य तय किया जाता है और मतदाताओं की राय को प्रभावित करने की कोशिश की  जाती है.

वर्तमान में सोशल मीडिया पर जानकारी का आदान-प्रदान बड़े पैमाने पर होता है. प्रचार अभियान चलाने और लोगों तक जानकारी पहुंचाने के लिए भी नए मार्ग खोजे जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में चुनावों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से बचा नहीं जा सकता. अगर इसके दुरुपयोग से लोगों को दिग्भ्रमित किए जाने का खतरा है तो लोकतंत्र की भलाई के लिए इसका सदुपयोग भी किया जा सकता है.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता से डाटा के विश्लेषण के जरिए पता लगाया जा सकता है कि कोई खबर सही है या गलत. यह उम्मीदवारों या पार्टियों का पिछला रिकार्ड भी निकाल सकता है और  बता सकता है कि किसी पार्टी या उम्मीदवार पर क्यों विश्वास नहीं किया जाना चाहिए. इस तरह अगर सदुपयोग किया जाए तो चुनावों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का काफी सकारात्मक असर पड़ सकता है.

Web Title: Dr. S. S. Mantha Blog: Use of Artificial Intelligence in Elections