ब्लॉग: डिजिटल करेंसी का स्वागत कीजिए

By भरत झुनझुनवाला | Published: January 3, 2022 11:19 AM2022-01-03T11:19:32+5:302022-01-03T11:21:33+5:30

डिजिटल करेंसी के पीछे क्रिप्टोकरेंसी का जोर है. क्रिप्टोकरेंसी केंद्रीय बैंकों के नियंत्रण से पूर्णत: बाहर है. इस करेंसी को बनाने का उद्देश्य था कि सरकारी बैंकों द्वारा कभी-कभी अधिक मात्रा में नोट छाप कर बाजार में डाल दिए जाते हैं जिससे महंगाई बहुत तेजी से बढ़ती है. लोगों की सालों की गाढ़ी कमाई कुछ ही समय में शून्यप्राय हो जाती है.

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ब्लॉग: डिजिटल करेंसी का स्वागत कीजिए

Highlightsडिजिटल करेंसी एक नंबर होता है जिसे आप अपने मोबाइल अथवा कम्प्यूटर पर रख सकते हैं.कई केंद्रीय बैंकों ने डिजिटल करेंसी जारी करने का मन बनाया है. डिजिटल करेंसी केंद्रीय बैंक के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से हमारी रक्षा नहीं करती है. 

भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी जारी करने पर विचार कर रहा है. डिजिटल करेंसी हमारे नोट की तरह ही होती है. अंतर यह होता है कि यह कागज पर छपा नोट नहीं होता है बल्कि यह एक नंबर मात्र होता है जिसे आप अपने मोबाइल अथवा कम्प्यूटर पर संभाल कर रख सकते हैं. 

उस नंबर को किसी के साथ साझा करते ही उस नंबर में निहित रकम सहज ही दूसरे व्यक्ति के पास पहुंच जाती है.

डिजिटल करेंसी के पीछे क्रिप्टोकरेंसी का जोर है. क्रिप्टोकरेंसी केंद्रीय बैंकों के नियंत्रण से पूर्णत: बाहर है. इस करेंसी को बनाने का उद्देश्य था कि सरकारी बैंकों द्वारा कभी-कभी अधिक मात्रा में नोट छाप कर बाजार में डाल दिए जाते हैं जिससे महंगाई बहुत तेजी से बढ़ती है. लोगों की सालों की गाढ़ी कमाई कुछ ही समय में शून्यप्राय हो जाती है. 

जैसे यदि आप 100 रुपए के नोट से वर्तमान में 5 किलो गेहूं खरीद सकते हैं तो महंगाई तेजी से बढ़ने के बाद उसी 100 रुपये के नोट से आप केवल 1 किलो गेहूं खरीद पाएंगे. इस प्रकार की स्थिति से बचने के लिए इन इंजीनियरों ने क्रिप्टोकरेंसी का आविष्कार किया जिससे कि बैंकों द्वारा नोट अधिक छापे जाने से उनकी क्रिप्टो करेंसी की कीमत पर कोई प्रभाव न पड़े.

केंद्रीय बैंकों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी का विरोध तीन कारणों से किया जा रहा है. पहला यह कि अर्थव्यवस्था केंद्रीय बैंक के नियंत्रण से बाहर निकलने को हो जाती है. जैसे यदि देश में महंगाई अधिक हो रही है और रिजर्व बैंक ने मुद्रा के प्रचलन को कम किया तो क्रिप्टो करेंसी का चलन बढ़ सकता है और सरकार की नीति फेल हो सकती है. 

दूसरा विरोध यह है कि क्रिप्टो करेंसी फेल हो सकती हैं. जैसे यदि कम्प्यूटर का नंबर हैक हो जाए अथवा क्रिप्टोकरेंसी बहुत भारी संख्या में बनाई जाने लगे तो आज जिस बिटकॉइन को आप ने एक लाख रुपए में खरीदा वह कल पांच हजार रुपए की हो सकती है. 

तीसरा विरोध यह कि क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग आपराधिक गतिविधियों को सपोर्ट करने के लिए किया जा सकता है. इसलिए यदि केंद्रीय बैंक जिम्मेदार है और अर्थव्यवस्था सही चल रही है तो क्रिप्टोकरेंसी उसे अस्थिर बना सकती है.

दूसरी तरफ यदि बैंक गैर जिम्मेदार है जैसे महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है तो क्रिप्टोकरेंसी लाभप्रद हो जाती है. उस परिस्थिति में व्यापार करना कठिन हो जाता है. 

आज आपने किसी व्यापारी से एक बोरी गेहूं का सौदा एक हजार रुपये में किया. कल उस एक हजार रुपये की कीमत आधी रह गई. बेचने वाले ने सौदे से इंकार कर दिया. आप यह सौदा क्रिप्टोकरेंसी में करते तो यह कठिनाई नहीं आती. 

अत: यदि केंद्रीय बैंक द्वारा बनाई गई मुद्रा अस्थिर हो तो क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से व्यापार सुचारु रूप से चल सकता है. यदि केंद्रीय बैंक जिम्मेदार है तो क्रिप्टोकरेंसी अस्थिरता पैदा करती है लेकिन यदि केंद्रीय बैंक गैर जिम्मेदार है तो क्रिप्टोकरेंसी लाभप्रद हो सकती है.

इस स्थिति में कई केंद्रीय बैंकों ने डिजिटल करेंसी जारी करने का मन बनाया है. डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी में समानता यह है कि दोनों एक नंबर होते हैं जो आपके मोबाइल में रखे जा सकते हैं. लेकिन क्रिप्टो करेंसी की तरह डिजिटल करेंसी गुमनाम नहीं होती है.

रिजर्व बैंक द्वारा इसे उसी तरह जारी किया जाएगा जैसे नोट छापे जाते हैं. इसलिए डिजिटल करेंसी केंद्रीय बैंक के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से हमारी रक्षा नहीं करती है. 

नोट छापने की तरह केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी भी भारी मात्रा में जारी कर महंगाई पैदा कर सकती है. लेकिन फिर भी मुद्रा को सुरक्षित रखने में डिजिटल करेंसी मदद करती है क्योंकि आपको नोटों को आग, पानी और चोरों से बचाना नहीं है. 

यदि कभी आप अपनी करेंसी का नंबर भूल जाएं अथवा आपका मोबाइल चोरी हो जाए तो आपकी पहचान करके उसे वापस प्राप्त करने की व्यवस्था की जा सकती है.

मेरा मानना है कि डिजिटल करेंसी का हमें स्वागत करना चाहिए भले यह केंद्रीय बैंक के गैरजिम्मेदाराना आचरण से हमारी रक्षा नहीं करती है. केंद्रीय बैंक के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार को इस प्रकार के तकनीकी आविष्कारों से नहीं रोका जा सकता है. 

उसे ठीक करने का कार्य अंतत: राजनीति का है और उस व्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए. पर डिजिटल करेंसी के माध्यम से नोट को छापने और रखने का खर्च कम होता है और आपस में लेनदेन भी सुलभ हो सकता है इसलिए हमें डिजिटल करेंसी का स्वागत करना चाहिए.

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