ब्लॉग: इस त्रासदी से सीख लेकर रोकें पुनरावृत्ति

By अवधेश कुमार | Updated: July 30, 2024 10:26 IST2024-07-30T10:25:11+5:302024-07-30T10:26:23+5:30

इसके बाद न्यायालय की लड़ाई, साथ ही साथ पूरी स्थिति की समीक्षा और फिर भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं हो इसके सुरक्षोपाय करना हमारे समाज और सत्ता प्रतिष्ठान के चरित्र में बहुत कम परिमाण में दिखता है। कोचिंग सेंटर को सील कर दिया गया।

Delhi Coaching Accident Prevent recurrence by learning from this tragedy | ब्लॉग: इस त्रासदी से सीख लेकर रोकें पुनरावृत्ति

ब्लॉग: इस त्रासदी से सीख लेकर रोकें पुनरावृत्ति

दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में तीन छात्रों की अकल्पनीय दुखद मृत्यु हर चिंतनशील व्यक्ति को अंदर से हिलाने वाली है। निश्चित रूप से कोचिंग करने आए उन तीन दुर्भाग्यशाली छात्रों का कोई दोष नहीं है। दुर्घटना के बाद दिल्ली पुलिस और प्रशासन जिस त्वरित गति से कार्रवाई कर रहे हैं, अगर इन सबने अपनी निर्धारित भूमिका का निर्वहन किया होता तो शायद यह भयानक घटना नहीं घटती।

शायद इसलिए क्योंकि इसके दूसरे पहलू भी है। व्यावसायिक क्षेत्र में व्यावसायिक भवनों का निर्माण, उसकी आंतरिक संरचना, उसमें सुरक्षोपाय आदि के स्पष्ट मानक बने हुए हैं। बगैर उनके किसी मकान के निर्माण की पूर्णता का प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता। सुरक्षोपाय की पूरी जांच के बाद ही उनमें व्यावसायिक गतिविधियां चलाने के कानून और मानक निहित हैं।

घटना के बारे में जानकारी इतनी ही है कि ओल्ड राजेंद्र नगर में बारिश का पानी सड़कों पर भर गया, जो दुकानों -मकान में घुसने लगा और बड़ी गाड़ियों के यू-टर्न लेने से कुछ मिनट के लिए पानी इतनी तेजी से आया कि स्टडी सर्किल के बेसमेंट में लगे शीशे के दरवाजे टूट गए और मिनटों में अंदर पानी भर गया। कुछ सौभाग्यशाली छात्र बच कर निकल गए। ये तीन नहीं निकल सके।

इसे अगर सामान्य दृष्टि से भी विश्लेषित करें तो नालियों, सड़कों पर जल जमाव के बीच यातायात की व्यवस्था, व्यावसायिक स्थलों के बचाव तथा भवन निर्माण में ऐसे सुरक्षित दरवाजे आदि के पहलू सामने आएंगे। इसके लिए कितने विभाग और लोग अपराधी दिखाई देते हैं यह बताने की आवश्यकता नहीं। कह सकते हैं कि जब बारिश काफी तेज हो तो एकाएक पानी का निकास संभव नहीं होता, बिल्कुल सही है।

क्या इसके आधार पर ऐसी भयावह घटना को स्वाभाविक माना जा सकता है? बिल्कुल नहीं। दिल्ली के उपराज्यपाल का बयान है कि दोषी बख्शे नहीं जाएंगे। यह एक सामान्य सा बयान है। कौन-कौन दोषी हैं इसकी पहचान अपने आप में सबसे बड़ा प्रश्न होता है. घटना बिल्कुल ताजी है, देशभर का ध्यान है, लोगों में आक्रोश है तो ऐसे समय कार्रवाई होती है। इसके बाद न्यायालय की लड़ाई, साथ ही साथ पूरी स्थिति की समीक्षा और फिर भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं हो इसके सुरक्षोपाय करना हमारे समाज और सत्ता प्रतिष्ठान के चरित्र में बहुत कम परिमाण में दिखता है। कोचिंग सेंटर को सील कर दिया गया।

क्या सड़क के उस स्थान को सील किया जा सकता है जहां से पानी का तेज बहाव अंदर आया? क्या उस व्यावसायिक क्षेत्र के निर्माण की अनुमति और पूर्णता का सर्टिफिकेट देने वाले सारे लोगों की पहचान संभव है? इसी तरह युवाओं के करियर बनाने के नाम पर चारों तरफ दिख रहे कोचिंग सेंटरों में से कम-से-कम बड़े नामों की भी एक बार संपूर्ण जांच संभव है?.......इन प्रश्नों का उत्तर हम आप अच्छी तरह जानते हैं।

Web Title: Delhi Coaching Accident Prevent recurrence by learning from this tragedy

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