रमेश ठाकुर का ब्लॉग: महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गहराती चिंताएं

By रमेश ठाकुर | Updated: August 26, 2024 10:16 IST2024-08-26T10:12:10+5:302024-08-26T10:16:54+5:30

19वीं सदी में अमेरिका की धरती से महिलाओं के मताधिकार के लिए जो अलख जगी थी, उसका प्रत्यक्ष फायदा समूचे संसार की महिलाओं को हुआ था. उसी की याद में हर साल 26 अगस्त को पूरे विश्व में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला समानता दिवस’ मनाने का प्रचलन शुरू हुआ.

Deepening concerns regarding women's safety | रमेश ठाकुर का ब्लॉग: महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गहराती चिंताएं

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsअमेरिकी कांग्रेस ने 1973 में प्रतिनिधि बेला अब्जुग के प्रयासों के बाद 26 अगस्त को महिला समानता दिवस घोषित किया.इस दिन वोटिंग के अधिकार से वंचित महिलाओं ने जश्न मनाया था. अमेरिका के बाद सभी देशों ने महिलाओं को वोटिंग का अधिकार देना आरंभ किया था.

19वीं सदी में अमेरिका की धरती से महिलाओं के मताधिकार के लिए जो अलख जगी थी, उसका प्रत्यक्ष फायदा समूचे संसार की महिलाओं को हुआ था. उसी की याद में हर साल 26 अगस्त को पूरे विश्व में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला समानता दिवस’ मनाने का प्रचलन शुरू हुआ. इस दिवस का मकसद है आधी आबादी के लिए समान अधिकारों को सुरक्षित करने को लेकर जनमानस में जागरूक पैदा करना.

अमेरिकी कांग्रेस ने 1973 में प्रतिनिधि बेला अब्जुग के प्रयासों के बाद 26 अगस्त को महिला समानता दिवस घोषित किया. महिला समानता दिवस 26 अगस्त को इसलिए चुना गया क्योंकि ये 1920 के उस दिन की याद दिलाता है जब 19वें संशोधन को आधिकारिक रूप से प्रमाणित करके सार्वजनिक किया गया. इस दिन वोटिंग के अधिकार से वंचित महिलाओं ने जश्न मनाया था. 

अमेरिका के बाद सभी देशों ने महिलाओं को वोटिंग का अधिकार देना आरंभ किया था. भारत एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य देश है जहां सभी नागरिकों के लिए समानता की गारंटी देने वाले मौलिक अधिकार मौजूद हैं. हालांकि, अमेरिका में 19वें संशोधन से केवल श्वेत महिलाओं को ही लाभ हुआ था, क्योंकि विभिन्न नस्लवादी नीतियों के कारण गैर-श्वेत महिलाओं को मतदान करने से रोका गया था. 

मूल अमेरिकियों को 1924 तक मतदान का अधिकार नहीं मिला, एशियाई महिलाओं को वहां 1952 तक मतदान का अधिकार नहीं मिला और 1965 के मतदान अधिकार अधिनियम तक अश्वेत महिलाओं के लिए मतदान के अधिकार की कानूनी गारंटी नहीं थी. भारत में महिला समानता को लेकर कुछ देरी जरूर हुई थी, लेकिन हालात ज्यादा खराब कभी नहीं रहे. पूर्ववर्ती सभी हुकूमतों ने इस संदर्भ में ध्यान दिया. 

लेकिन अब दरकार महिला सुरक्षा को लेकर है. अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो कोलकाता या निर्भया जैसी घटनाएं यूं ही घटती रहेंगी. महिला समानता से तात्पर्य है महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों में पुरुषों के समान अधिकार जैसी समानताएं. पर, अब गंभीर सवाल महिलाओं की सुरक्षा का भी है.

Web Title: Deepening concerns regarding women's safety

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