संपादकीय: खतरनाक मांजे पर सख्ती से लगनी चाहिए रोक
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: January 13, 2023 05:58 PM2023-01-13T17:58:08+5:302023-01-13T18:10:11+5:30
आपको बता दें कि नायलॉन मांजों में कई तरह के केमिकल और एल्युमीनियम आक्साइड और लेड जैसी धातुओं का प्रयोग होता है। ये सभी चीजें मिलकर तेज धार वाला ऐसा धागा बनाती हैं जो बहुत मजबूत होता है। नायलॉन की डोर से पर्यावरण को भी नुकसान होता है क्योंकि वे गैर-बायोडिग्रेडेबल होते हैं और नालों को जाम करते हैं तथा पानी को प्रदूषित कर सकते हैं।
नई दिल्ली: पतंग उड़ाना तो वैसे खतरे वाला खेल नहीं लगता. लेकिन कभी-कभी ये घातक साबित हो सकता है. बहुत से लोगों के लिए पतंग उड़ाना अब मनोरंजन का खेल नहीं रह गया है क्योंकि पतंगबाज खतरनाक मांजों का इस्तेमाल करते हैं.
कई सख्ती के बाद भी व्यापारियों के पास है करोड़ों का मांजा
राज्य के कई शहरों में मकर संक्रांति के करीब आते ही इन मांजों की जब्ती शुरू हो जाती है. खबर है कि महानगरपालिकाओं और पुलिस की कार्रवाइयों के बावजूद करोड़ों रुपए का मांजा व्यापारियों के पास अब भी है. प्रश्न यह है कि इतनी सख्ती के बाद भी ये माल आता कहां से है?
ये लापरवाही लोगों की जान पर भारी पड़ती है. पतंग के कई मांजों पर गोंद से धातु या कांच के टुकड़ों की परत चढ़ाई जाती है जिससे प्रतियोगिता के दौरान विपक्षी पतंगों के मांजों को काटा जा सके. चूंकि ये सूती धागे वाले मांजे से मजबूत होता है इसलिए डिमांड में रहता है. कोई पतंगबाज ये नहीं चाहता कि उसकी पतंग को लूटा जा सके.
आसानी से नायलॉन के मांजे नहीं है टूटते
इधर, पिछले कुछ सालों से पतंगबाजों ने नायलॉन के मांजे इस्तेमाल करने शुरू कर दिए हैं जिन पर कांच और कुछ धातुओं की परत चढ़ी होती है. ये आम मांजों से अधिक मजबूत और खतरनाक होते हैं. ये मांजे आसानी से नहीं टूटते.
कटकर गिरती पतंग के मांजे जो नायलॉन के होते हैं, वे प्राणघातक साबित हो सकते हैं. प्लास्टिक और अन्य सिंथेटिक पदार्थों से बने नायलॉन मांजे के उपयोग से अक्सर लोग घायल हो जाते हैं और कुछ मामलों में लोगों और पक्षियों की मौत तक हुई है. ऐसी भी घटनाएं हुई हैं जब धातु की परत चढ़े मांजे बिजली के तारों पर गिरे और पतंग निकालने गए व्यक्ति की मौत बिजली का करंट लगने से हो गई.
नायलॉन मांजों में कई तरह के केमिकल का होता है इस्तेमाल
नायलॉन मांजों में कई तरह के केमिकल और एल्युमीनियम आक्साइड और लेड जैसी धातुओं का प्रयोग होता है. ये सभी चीजें मिलकर तेज धार वाला ऐसा धागा बनाती हैं जो बहुत मजबूत होता है. नायलॉन की डोर से पर्यावरण को भी नुकसान होता है क्योंकि वे गैर-बायोडिग्रेडेबल होते हैं और नालों को जाम करते हैं तथा पानी को प्रदूषित कर सकते हैं.
देश में नायलॉन मांजे के उपयोग पर वर्ष 2017 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने प्रतिबंध लगा दिया है. पर्यावरण प्रोटेक्शन एक्ट 1985 के कानून के अंतर्गत उसमें संशोधन करने के बाद 5 साल की सजा और 1 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है.
ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नायलॉन मांजे पर लगाई है पाबंदी
पूरे देश में ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नायलॉन मांजे पर पाबंदी लगाई है. इसके बावजूद पतंगबाजी में जमकर इसका उपयोग होता है. हर साल संबंधित दुकानों पर छापामार कार्रवाई की जाती है, लेकिन व्यापारियों पर कोई असर दिखता नहीं.
अब इस मांजे का उपयोग करने वालों पर भी जुर्माने का प्रावधान किया जाना चाहिए. मुंबई पुलिस ने आगामी मकर संक्रांति त्यौहार से पहले पतंग के नायलॉन वाले मांजे के उपयोग, बिक्री और भंडारण पर अगले एक महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. राज्य के सभी शहरों को भी सख्ती बरतनी होगी.