कोरोना : भारत ने दिखाई मुस्तैदी, पढ़ें वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग
By वेद प्रताप वैदिक | Published: March 6, 2020 07:37 AM2020-03-06T07:37:17+5:302020-03-06T07:37:17+5:30
यदि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्नी डॉ. हर्षवर्धन और दिल्ली के मुख्यमंत्नी अरविंद केजरीवाल ने तत्काल मुस्तैदी नहीं दिखाई होती तो अब तक चीन की तरह हजारों लोग भारत में भी काल के गाल में समा जाते.
कोरोना वायरस का मुकाबला करने में भारत के स्वास्थ्य मंत्नालय और दिल्ली सरकार ने जो मुस्तैदी दिखाई है, वह काबिले-तारीफ है. हजारों लोगों की जांच हवाई अड्डों और अन्य स्थानों पर हो रही है. यदि चीन से निकली यह बीमारी अमेरिका जैसे हजारों मील दूर स्थित कई देशों तक फैल चुकी है तो चीन तो हमारा एकदम पड़ोसी देश है.
यदि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्नी डॉ. हर्षवर्धन और दिल्ली के मुख्यमंत्नी अरविंद केजरीवाल ने तत्काल मुस्तैदी नहीं दिखाई होती तो अब तक चीन की तरह हजारों लोग भारत में भी काल के गाल में समा जाते. सरकार द्वारा टीवी चैनलों और अखबारों के जरिए जो चेतावनियां जारी की जा रही हैं, उन पर लोग बराबर ध्यान दे रहे हैं और फिर गर्मियों का मौसम शुरू हो रहा है, इसीलिए देश के लोगों को बदहवास होने की जरूरत नहीं है.
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्नी ने इस बार होली के उत्सव से बचने की घोषणा की है और कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन भी स्थगित किए जा रहे हैं. लेकिन हमें यह सोचना चाहिए कि 70-80 देशों में फैला यह वायरस चीन में ही क्यों उत्पन्न हुआ? यदि इसका ठीक-ठीक पता चल सके तो भारत और दुनिया के अन्य देश भी इससे बच सकेंगे.
कुछ सामरिक विशेषज्ञों का यह मत है कि चीन के वैज्ञानिकों ने इस वायरस को खुद पैदा किया है ताकि चीन के दुश्मन राष्ट्रों के विरुद्ध एक हथियार के रूप में इसका प्रयोग कर सकें. कुछ दिन पहले इसके दूसरे कारण के तौर पर चीनियों की मांसाहारी प्रवृत्ति को बताया गया था. वे किसी भी पशु या पक्षी के मांस से परहेज नहीं करते.
चमगादड़ का मांस कोरोना वायरस की उत्पत्ति का खास कारण माना गया है. इसका तीसरा कारण चीन के औद्योगीकरण में साफ-सफाई के प्रति लापरवाही को भी माना गया है. कारण जो भी हो, इस बीमारी के कारण चीनी अर्थव्यवस्था बैठ गई है. उसका असर संपूर्ण विश्व-अर्थव्यवस्था पर भी हो रहा है.
चीन के साथ भारत का व्यापार सबसे ज्यादा है. वह ठप होने के कगार पर है. भारत चीन का पड़ोसी है और कई दृष्टियों से चीन-जैसा ही है. यह बिल्कुल सही मौका है, जबकि भारत को चीन से सबक लेना चाहिए.