शशांक द्विवेदी का ब्लॉगः बेहतर भविष्य के लिए बचाएं ऊर्जा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 14, 2018 08:58 PM2018-12-14T20:58:43+5:302018-12-14T20:58:43+5:30

पेरिस जलवायु समझौते पर होने वाला फैसला 2020 से लागू होना है, जिसका मकसद औद्योगीकरण से पहले के तापमान से ग्लोबल वार्मिग को 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होने देना है.

Climate change: Save energy for a better future | शशांक द्विवेदी का ब्लॉगः बेहतर भविष्य के लिए बचाएं ऊर्जा

शशांक द्विवेदी का ब्लॉगः बेहतर भविष्य के लिए बचाएं ऊर्जा

शशांक द्विवेदी

दुनियाभर के 200 देशों के प्रतिनिधियों के बीच जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) की 24वीं कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप-24) पोलैंड के काटोविक शहर में चल रही  है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेज ने जलवायु सम्मेलन के नेताओं से आग्रह किया है कि वे अपना अड़ियल रवैया छोड़कर पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने के लिए प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए मिलकर काम करें. जलवायु  समझौते से अमेरिका के हटने के फैसले के बाद विश्व के नेता पेरिस समझौते में नई जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं.

पेरिस जलवायु समझौते पर होने वाला फैसला 2020 से लागू होना है, जिसका मकसद औद्योगीकरण से पहले के तापमान से ग्लोबल वार्मिग को 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होने देना है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव के अनुसार साल 2020 तक अगर दुनिया जलवायु परिवर्तन पर ठोस कदम नहीं उठाती है तो हम जलवायु परिवर्तन के जोखिम को और आगे बढ़ाएंगे. 

उन्होंने कहा कि जलवायु में इंसान के मुकाबले ज्यादा तेजी से बदलाव हो रहे हैं. उन्होंने वैश्विक नेताओं को इस विषय पर पहले ही चेताया है और कहा है कि यह हमारे दौर का एक अहम परिभाषित मुद्दा है. पेरिस समझौते को लागू करने के लिए दिशा-निर्देशों पर सहमति बनने की संभावना के बीच 14 दिसंबर तक चलने वाले जलवायु सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधि के रूप में शामिल केंद्रीय पर्यावरण मंत्नी डॉ. हर्षवर्धन ने इस सम्मेलन से सकारात्मक उम्मीद जताई है. 

असल में भारत को उम्मीद है कि कॉप-24 विकसित देशों के मुकाबले विकासशील देशों के सामने मौजूद चुनौतियों को समङोगा. उम्मीद की जा रही है कि सम्मेलन से निकलने वाला परिणाम ‘संतुलित और समावेशी’ होगा. अधिकांश विकासशील देश अति संवेदनशीलता, विकास की प्राथमिकता, गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा की मांग और स्वास्थ्य ढांचा उपलब्ध कराने के मामले में अभी शुरु आती स्तर पर खड़े हैं. ऐसे में भारत को इस सम्मेलन में समयबद्ध तरीके से लागू होने वाले दिशा-निर्देश तैयार किए जाने की भी उम्मीद है. 

Web Title: Climate change: Save energy for a better future

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