जवाहरलाल नेहरू क्यों थे 14 नवंबर 1962 को अवसाद की स्थिति में ?

By विवेक शुक्ला | Updated: November 14, 2022 09:31 IST2022-11-14T09:31:48+5:302022-11-14T09:31:48+5:30

चीन और भारत के बीच हुई जंग के बाद बहुत दिनों तक जवाहरलाल नेहरू नहीं जी पाए. नेहरू जी की सेहत पर नजर रखने वाले डॉ. आर.के. करौली बताते हें कि उन्हें इस बात का सदमा लगा था कि चीन ने भारत पर हमला कर दिया.

China attack on India Why Jawaharlal Nehru was in state of depression on 14 November 1962 | जवाहरलाल नेहरू क्यों थे 14 नवंबर 1962 को अवसाद की स्थिति में ?

जवाहरलाल नेहरू क्यों थे 14 नवंबर 1962 को अवसाद की स्थिति में?

पंडित जवाहरलाल नेहरू 14 नवंबर 1962 को अपने 73वें जन्मदिन के मौके पर बेहद निराश और अवसाद की स्थिति में थे. वे तीन मूर्ति भवन से संसद जाने से पहले किसी से बात भी नहीं कर रहे थे. दरअसल चीन ने 20 अक्तूबर 1962 को भारत पर आक्रमण कर दिया था. हालांकि तब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद गहरा रहा था, पर चीन की एकतरफा कार्रवाई की किसी ने उम्मीद नहीं की थी. 

उस युद्ध में विपरीत हालात में लड़ते हुए भारत के वीर योद्धाओं ने चीन के गले में अंगूठा डाल दिया था. पर यह भी सच है कि चीन ने भारत के एक बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया था. नेहरूजी के लिए 14 नवंबर इसलिए भी विशेष था क्योंकि उस दिन संसद चीन से युद्ध में पराजय पर विचार कर रही थी. चर्चा 8 नवंबर, 1962 से ही जारी थी.

संसद को उसी 14 नवंबर, 1962 को एक प्रस्ताव को पारित करना था, जिसमें चीन द्वारा हड़पी गई भारतीय भूमि को वापस लेने का राष्ट्रीय संकल्प था. प्रस्ताव को 8 नवंबर, 1962 को लोकसभा में रखा गया था. नेहरूजी ने प्रस्ताव रखा था. चीन ने 1962 की जंग में अक्साई चिन पर कब्जा लिया था. प्रस्ताव में कहा गया था-‘ये सदन पूरे विश्वास के साथ भारतीय जनता के संकल्प को दोहराना चाहता है कि भारत की पवित्र भूमि पर से आक्रमणकारी को खदेड़ दिया जाएगा. इस बाबत भले ही कितना लंबा और कठोर संघर्ष करना पड़े.’

सदन ने इस प्रस्ताव को 14 नवंबर को पारित कर दिया. बहस में 165 सदस्यों ने भाग लिया. सभी ने चीन को अक्साई चिन से खदेड़ने की वकालत की. बहस बेहद भावुक हुई. यह बात अलग है कि 60 साल गुजरने के बाद भी चीन ने हमारे अक्साई चिन पर अपना कब्जा जमाया हुआ है. चीन की तरफ से कब्जाए हुए इलाके का क्षेत्रफल  37,244 वर्ग किलोमीटर है.

बहरहाल, चीन से युद्ध के बाद नेहरूजी की सेहत गिरने लगी थी. वे उदास रहने लगे थे. कह सकते हैं कि उनकी मौत 1962 के भारत-चीन युद्ध के ‘सदमे’ से हुई थी. अब भी देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की फ्रेंड्स कॉलोनी में मरीजों का इलाज करने वाले 91 साल के डॉ. आर.के. करौली विलिंग्डन अस्पताल ( अब राम मनोहर लोहिया अस्पताल) के अपने सीनियर्स के साथ नेहरूजी की सेहत पर नजर रखने के लिए उनसे तीन मूर्ति भवन में मिलते थे. 

वे कहते हैं- ‘पंडित नेहरू को कोई गंभीर बीमारी नहीं थी. हमारी सेना ने हथियारों की भारी कमी के बावजूद काफी वीरता दिखाई थी लेकिन इसके बाद पंडित नेहरू ज्यादा दिनों तक नहीं जी पाए. उन्हें इस बात का सदमा लगा था कि चीन ने भारत पर हमला कर दिया और इसी वजह से उनकी मौत हुई.’

Web Title: China attack on India Why Jawaharlal Nehru was in state of depression on 14 November 1962

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