ब्लॉग: हरियाणा के आईने में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का भविष्य
By राजकुमार सिंह | Published: September 25, 2023 09:31 AM2023-09-25T09:31:17+5:302023-09-25T09:34:45+5:30
इनेलो का दावा तीन का है पर जो दल राज्य में कई बार सत्तारूढ़ रह चुका हो उसे गठबंधन में शामिल होने पर एक भी लोकसभा सीट न मिले, यह संभव नहीं लगता।
चौधरी देवीलाल की जयंती पर 25 सितंबर को कैथल (हरियाणा) में सम्मान दिवस रैली में विपक्षी दिग्गजों के जमावड़े के बीच इंडियन नेशनल लोकदल यानी इनेलो को ‘इंडिया’ में शामिल किए जाने की चर्चा पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की प्रतिक्रिया बताती है कि नए विपक्षी गठबंधन की असली चुनौतियां अभी शुरू होनी हैं।
यह भी कि भाजपा से लड़ने से पहले ‘इंडिया’ के घटक दल आपस में लड़ते नजर आएंगे। हरियाणा में ताऊ के नाम से लोकप्रिय देवीलाल देश में तीसरे मोर्चा की राजनीति के अग्रणी नेता रहे। उनकी जयंती पर रैली में हर साल कांग्रेस-भाजपा से इतर दलों के नेता जुटते हैं।
इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला की मौजूदगी में जद यू के प्रधान राष्ट्रीय प्रवक्ता के. सी. त्यागी ने बताया कि पिछले साल सम्मान दिवस रैली में विपक्षी गठबंधन की नींव पड़ी थी और इस साल इनेलो को इंडिया में विधिवत शामिल कर लिया जाएगा।
उसके बाद ही हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस अकेले दम पर भाजपा को हरा कर सरकार बनाने में सक्षम है इसके लिए किसी गठबंधन की जरूरत नहीं। हुड्डा ने यह राय मजबूती से कांग्रेस आलाकमान तक भी पहुंचा दी बताते हैं।
बेशक हरियाणा उन राज्यों में है, जहां कांग्रेस आज भी मजबूत है, पर कितनी? लगातार दो विधानसभा चुनाव कांग्रेस हार चुकी है. 2014 में तो उसे मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी नसीब नहीं हो पाया. इनेलो को वह हैसियत मिली।
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला, जबकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके पुत्र दीपेंद्र, दोनों चुनाव लड़े फिर भी माना जा सकता है कि हरियाणा में कांग्रेस मजबूत विपक्षी दल है और हुड्डा बड़े जनाधारवाले नेता, पर यह तर्क तो अपने प्रभाववाले राज्यों की बाबत आप, तृणमूल कांग्रेस, राजद और सपा भी दे सकते हैं।
हर राज्य का राजनीतिक परिदृश्य और समीकरण अलग है। यह भी कि विपक्षी एकता का मुख्य लक्ष्य राज्य नहीं, केंद्र की सत्ता से भाजपा को बेदखल करना है। ऐसे में कमोबेश सभी राज्यों में सभी न सही, कुछेक दलों के बीच सीटों का बंटवारा होगा ही। ऐसा नहीं कि हुड्डा राजनीति की व्यावहारिकता नहीं समझते, पर उनकी भी अपनी मुश्किलें हैं।
बेशक ‘इंडिया’ के विस्तार का फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व करेगा और उसमें सभी घटक दलों की भूमिका रहेगी। सम्मान दिवस रैली का निमंत्रण सोनिया गांधी को भी भेजा गया है। अगर वह या उनके प्रतिनिधि के रूप में कोई राष्ट्रीय नेता आता है, तब हुड्डा क्या करेंगे? अभय ने तो कह दिया है कि वह हुड्डा का स्वागत करने को तैयार हैं।
इनेलो का दावा तीन का है पर जो दल राज्य में कई बार सत्तारूढ़ रह चुका हो उसे गठबंधन में शामिल होने पर एक भी लोकसभा सीट न मिले, यह संभव नहीं लगता।