ब्लॉग: कनाडा के साथ पूरी सख्ती से निपटना होगा
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 21, 2023 10:42 AM2023-09-21T10:42:37+5:302023-09-21T10:43:05+5:30
जहां तक भारत का संबंध है, राय के निष्कासन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा बदले में एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को देश से निष्कासित किया जाना पूरी तरह से उचित है.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में बिना किसी सबूत के भारत पर आरोप लगाना और एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक पवन कुमार राय को कनाडा से निष्कासित करना निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद गैरजिम्मेदाराना हरकत है. इतना ही नहीं बल्कि कनाडा ने भारत के साथ मुक्त व्यापार की दिशा में बढ़े कदम भी वापस खींच लिए.
जहां तक भारत का संबंध है, राय के निष्कासन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा बदले में एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को देश से निष्कासित किया जाना पूरी तरह से उचित है. ट्रूडो ने असल में अपने देश के घरेलू राजनीतिक समीकरणों के चलते भारत के साथ अपने देश के संबंधों को दांव पर लगा दिया है, क्योंकि उनकी अल्पमत की सरकार खालिस्तान समर्थकों के समर्थन से ही चल रही है.
2019 के चुनाव में जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को 338 सदस्यों वाले कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में 157 सीटें ही मिल सकी थीं, जबकि सरकार बनाने के लिए उसे 170 सीटों की जरूरत थी. इसलिए उसे 24 सांसदों वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन लेना पड़ा है, जिसके मुखिया जगमीत सिंह को खालिस्तानी आंदोलन के बड़े समर्थकों में माना जाता है.
लेकिन खालिस्तानियों को खुश करने के लिए भारत के साथ संबंधों को बिगाड़कर ट्रूडो ने शायद बहुत बड़ी गलती कर दी है और वे अपने देश में ही घिर गए हैं. वहां के मुख्य विपक्षी दल कंजर्वेटिव पार्टी ने ही प्रधानमंत्री ट्रूडो से अपने आरोप साबित करने के लिए सबूतों की मांग कर डाली है. वैसे खालिस्तान समर्थकों को शरण देने का कनाडा का पुराना इतिहास रहा है.
1982 में जस्टिन ट्रूडो के पिता और कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो ने भी ऐसी ही एक भारी गलती की थी, जैसी अब उनके बेटे ने की है. पियरे ट्रूडो ने भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से किए गए खालिस्तानी आतंकवादी तलविंदर सिंह परमार के प्रत्यर्पण के अनुरोध को ठुकरा दिया था.
बाद में उसी तलविंदर सिंह ने 1985 में एयर इंडिया के कनिष्क विमान को टाइम बम से उड़ा दिया था, जिससे विमान में सवार सभी 329 लोगों की मौत हो गई थी और हादसे में मरने वालों में सबसे ज्यादा 268 कनाडाई नागरिक थे.
दुर्भाग्य की बात है कि इससे भी कनाडा ने कोई सबक नहीं सीखा और खालिस्तानी आतंकवादियों को प्रोत्साहन देना जारी रखा. वहां खालिस्तानियों के हौसले बढ़े हुए हैं और वे खुलेआम भारत विरोधी कार्रवाई करते हैं. भारत ने कनाडा से कई बार ऐसे तत्वों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर वह हमेशा खालिस्तानियों पर कार्रवाई करने से इंकार करता रहा है.
अब निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर खुलेआम आरोप लगाकर तो उसने सारी सीमा पार कर दी है.
हालांकि भारत द्वारा कनाडा के एक राजनयिक के निष्कासन की जवाबी कार्रवाई के बाद ट्रूडो को शायद अहसास हुआ है कि उन्होंने बड़ी गलती कर दी है, इसलिए उन्होंने कहा कि उनका देश भारत को उकसाने की कोशिश नहीं कर रहा है और कनाडा सिर्फ इतना चाहता है कि भारत इस मामले से सही तरीके से निपटे. लेकिन जस्टिन ट्रूडो का असली चेहरा तो सामने आ ही गया है और भारत को उनसे पूरी सख्ती से निपटना चाहिए.