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ब्लॉगः ब्रिक्स के सम्मेलन में भारत की सफलता, अंतरराष्ट्रीय गुटबाजी से मुक्त, अच्छे संबंध बनाने के लिए तत्पर

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: June 3, 2021 13:21 IST

भारत और दक्षिण अफ्रीका के उस प्रस्ताव का सभी विदेश मंत्रियों ने समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कोविड-वैक्सीन पर से निर्माताओं के स्वत्वाधिकार में ढील देने की मांग की थी.

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ठळक मुद्देमुद्दे पर सहमति प्रकट करके अमेरिका ओर यूरोपीय राष्ट्रों पर दबाव बना दिया है.लोगों की स्वतंत्नता और सम्मान की रक्षा होनी चाहिए.भारत की मान्यता है कि अफगानिस्तान में से हिंसा और आतंकवाद का खात्मा होना चाहिए.

पांच देशों के संगठन ‘ब्रिक्स’ की अध्यक्षता इस साल भारत कर रहा है. भारत, ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका- इन पांच देशों के संगठन की इस बैठक में जो चर्चाएं हुईं और जो संयुक्त वक्तव्य जारी हुआ है, उसमें कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सभी सदस्य देशों ने भारत के दृष्टिकोण पर सहमति व्यक्त की है.

भारत सरकार के प्रयत्नों की प्रशंसा की

ऐसा कोई मुद्दा नहीं उठा, जिसे लेकर उनमें किसी तरह का मतभेद दिखा हो. डर यही था कि चीन और भारत के विदेश मंत्रियों के बीच कुछ कहा-सुनी हो सकती थी, क्योंकि गलवान घाटी प्रकरण अभी शांत नहीं हुआ है लेकिन संतोष का विषय है कि चीन के विदेश मंत्नी वांग यी ने कोई विवाद छेड़ने की बजाय भारत में चल रहे कोरोना महामारी के अभियान में भारत की सक्रिय सहायता का अनुरोध किया, भारतीय जनता के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और भारत सरकार के प्रयत्नों की प्रशंसा की.

अमेरिका ओर यूरोपीय राष्ट्रों पर दबाव बना दिया

 भारत और दक्षिण अफ्रीका के उस प्रस्ताव का सभी विदेश मंत्रियों ने समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कोविड-वैक्सीन पर से निर्माताओं के स्वत्वाधिकार में ढील देने की मांग की थी. चीन और रूस तो स्वयं वैक्सीन-निर्माता राष्ट्र हैं, फिर भी उन्होंने इस मुद्दे पर सहमति प्रकट करके अमेरिका ओर यूरोपीय राष्ट्रों पर दबाव बना दिया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के हाथ मजबूत करने में इस प्रस्ताव का विशेष योगदान रहेगा. अफगानिस्तान के सवाल पर सभी राष्ट्रों ने वही राय जाहिर की, जो भारत कहता रहा है. भारत की मान्यता है कि अफगानिस्तान में से हिंसा और आतंकवाद का खात्मा होना चाहिए और वहां के लोगों की स्वतंत्नता और सम्मान की रक्षा होनी चाहिए.

आतंकवाद के विरुद्ध ब्रिक्स-राष्ट्रों को बोलने पर सहमत करा लिया

उसकी संप्रभुता अक्षुण्ण रहनी चाहिए. जहां तक अंतरराष्ट्रीय संगठनों का सवाल है, भारत बरसों से जो मांगें रख रहा है, पांचों राष्ट्रों ने उनका समर्थन किया है. रूस और चीन सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं, इसके बावजूद उन्होंने भारत, ब्राजील और द. अफ्रीका की आवाज में आवाज मिलाते हुए संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में बुनियादी परिवर्तनों की मांग की है.

अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन का रवैया इन मुद्दों पर ढीला या नकारात्मक ही रहता है. ब्रिक्स-राष्ट्रों ने विश्व व्यापार संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक आदि संस्थाओं में भी बदलाव की मांग की है. भारत को इस दृष्टि से विशेष सफलता मिली है कि उसने सभी प्रकार के आतंकवाद और खास तौर से सीमा पार के आतंकवाद के विरुद्ध ब्रिक्स-राष्ट्रों को बोलने पर सहमत करा लिया है.

ब्रिक्स की इस बैठक के पहले विदेश मंत्नी एस. जयशंकर ने अमेरिकी नेताओं और अफसरों से गहन संवाद स्थापित करके भारत की यह छवि बनाई है कि भारत अंतरराष्ट्रीय गुटबाजी से मुक्त रहकर सभी राष्ट्रों के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए तत्पर है.

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