डॉ. मधुकर हुरमाडे का ब्लॉग: दुनिया को देखने की अलग दृष्टि देती हैं किताबें

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 23, 2022 10:58 AM2022-04-23T10:58:23+5:302022-04-23T10:59:10+5:30

वर्ल्ड बुक कैपिटल एडवाइजरी कमेटी की सिफारिश पर यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजोले द्वारा वर्ष 2022 के लिए ग्वाडलजारा (मैक्सिको) को विश्व पुस्तक राजधानी नामित किया गया है। यूनेस्को के अनुसार 2018 में आईएसबीएन में रजिस्टर्ड किताबों की संख्या 1,29,326 थी।

Books give a different view of the world | डॉ. मधुकर हुरमाडे का ब्लॉग: दुनिया को देखने की अलग दृष्टि देती हैं किताबें

डॉ. मधुकर हुरमाडे का ब्लॉग: दुनिया को देखने की अलग दृष्टि देती हैं किताबें

Highlightsपुस्तकों से मित्रता बढ़ाने से ज्ञान का स्तर बढ़ता है और जीवन में आने वाली मुश्किलों का सामना करने का हौसला भी वे देती हैं।सार्वजनिक तौर पर कागजी किताबों को डिजिटल संस्करण में बदलने का प्रयास शुरू है।

आपके पास अगर दो रुपए हैं तो एक रुपए की रोटी खरीदें और एक रुपए की किताब खरीदें क्योंकि रोटी तुम्हें जीने के लिए मदद करेगी तो किताब कैसे जीना है, यह सिखाएगी। इतना ही नहीं रोटी, कपड़ा और मकान की तरह ही किताबें भी इंसान की मौलिक जरूरत हैं। ऐसा डॉ बाबासाहब आंबेडकर कहते थे। इससे समझा जा सकता है कि मानव जीवन में किताबें कितनी महत्वपूर्ण हैं। किताबें इंसान के जीवन को संवारती हैं। मूर्त रूप देती हैं, विचार करने की शक्ति एवं संसार की तरफ देखने की अलग दृष्टि देती हैं। इसलिए लोगों में पढ़ने की रुचि बढ़ाने और किताबों का सम्मान करने के लिए विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है।

विलियम शेक्सपियर, मिगुएल डी सर्वांटेस और इंका गार्सिलोसो के साथ विश्व के ख्यातनाम लेखकों को आदरांजलि देने के लिए यूनेस्को ने 23 अप्रैल 1995 को विश्व पुस्तक दिवस मनाने की घोषणा की। पहली बार यह दिन 23 अप्रैल 1923 को स्पेन के पुस्तक विक्रेताओं ने सर्वांटेस की स्मृति में मनाया था। आज विश्व के 100 से अधिक देशों में यह दिन मनाया जाता है। इस दिन शिक्षक, लेखक, प्रकाशक, ग्रंथालय, सभी शैक्षणिक संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं, मीडिया तथा काॅर्पोरेट संस्थाओं द्वारा विश्वस्तर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों में लेखक, प्रकाशक और उत्कृष्ट किताबों को पुरस्कृत किया जाता है। भारत सरकार ने इस दिन को 23 अप्रैल 2001 से विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।

बचपन में हम दादा-दादी से कहानियां सुनते थे, स्कूल में जाने पर पढ़ाई की किताबों के साथ कहानियों की किताबें पढ़ते थे, लेकिन अब पिछले दो दशकों से कम्प्यूटर, स्मार्टफोन, स्मार्ट टीवी, इंटरनेट और मनोरंजन के अन्य साधनों के प्रति बढ़ती दिलचस्पी के कारण पुस्तकों से लोगों की दूरी बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि लोगों और किताबों के बीच की दूरी को खत्म करने के लिए यूनेस्को ने 23 अप्रैल को ‘विश्व पुस्तक दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया। अब ई-बुक बाजार में उपलब्ध हैं। अपने इलेक्ट्रॉनिक साधनों के जरिये इसे पढ़ा जा सकता है। अब यह बुक सुनी भी जा सकती है। इसे ऑडियो बुक्स कहते हैं। भागदौड़ के दौर में यात्रा करते हुए, काम करते हुए, जिन्हें किताबें पढ़ने के लिए समय निकालना मुश्किल होता है, वे इसे सुनकर किताब पढ़ने का आनंद ले सकते हैं। सभी भाषाओं में सभी विषयों की ई-पुस्तकें उपलब्ध हैं।

20वीं सदी में पुस्तकालयों ने पुस्तक प्रकाशन की अधिक से अधिक गति को देखा है। इसे कभी-कभी जानकारी का विस्फोट भी कहा जाता है। इलेक्ट्रॉनिक प्रकाशन एवं इंटरनेट की वजह से कई नई जानकारियां किताबों में छापी नहीं जातीं। वे डिजिटल पुस्तकालय द्वारा ऑनलाइन रूप में सीडी, पेनड्राइव तथा ई-पुस्तक के माध्यम से उपलब्ध की जाती हैं। इनमें से कई किताबें इलेक्ट्रॉनिक साधनों के अभाव में साधारण लोगों को उपलब्ध नहीं होतीं। इसलिए कागजी किताबों का प्रकाशन कम नहीं हुआ है। सार्वजनिक तौर पर कागजी किताबों को डिजिटल संस्करण में बदलने का प्रयास शुरू है।

वर्ल्ड बुक कैपिटल एडवाइजरी कमेटी की सिफारिश पर यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजोले द्वारा वर्ष 2022 के लिए ग्वाडलजारा (मैक्सिको) को विश्व पुस्तक राजधानी नामित किया गया है। यूनेस्को के अनुसार 2018 में आईएसबीएन में रजिस्टर्ड किताबों की संख्या 1,29,326 थी। 2019 में भारत में किताबें खरीदकर पढ़ने वालों की संख्या 28.9 प्रतिशत थी, वहीं ई-पुस्तकें डाउनलोड कर ऑफलाइन पढ़ने वालों की संख्या 71.1 प्रतिशत थी।
कुल मिलाकर आधुनिक साधनों द्वारा पढ़ना कम नहीं हुआ है। पुस्तकों से मित्रता बढ़ाने से ज्ञान का स्तर बढ़ता है और जीवन में आने वाली मुश्किलों का सामना करने का हौसला भी वे देती हैं। इसलिए हमें पढ़ने की आदत अवश्य डालनी चाहिए।

Web Title: Books give a different view of the world

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