रेबती फूकन के लापता होने से उल्फा वार्ता में स्थिति ‘अशांत’
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 24, 2018 05:21 AM2018-06-24T05:21:52+5:302018-06-24T05:21:52+5:30
रेबती फूकन उल्फा कमांडर परेश बरुआ की केंद्र से वार्ता कराने के लिए प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में जुटे थे।
शशिधर खान
असम के सबसे मजबूत और खूंखार उग्रवादी गुट उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम) की केंद्र से शांति वार्ता के एक मध्यस्थ रेबती फूकन के अचानक लापता हो जाने के बाद इतना पता चला कि उल्फा शांति वार्ता ‘जारी’ है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद केंद्र और राज्य सरकार यह बताने को तैयार नहीं हैं कि मध्यस्थ रेबती फूकन कैसे लापता हुए तथा वे कहां, किस हालत में हैं। सुप्रीम कोर्ट के सामने जुलाई के दूसरे सप्ताह में केंद्र और राज्य सरकार को अपना पक्ष प्रस्तुत करना है। इस बात के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं कि रेबती फूकन उस समय तक मिल जाएंगे। केंद्र सरकार को अगली तारीख भले मिल जाए।
रेबती फूकन 22 अप्रैल से अपने गुवाहाटी के अंबिकागिरी इलाके में स्थित आवास से लापता हैं। एक महीने तक जब पुलिस रेवती फूकन का कोई सुराग नहीं बता पाई, तब उनके पुत्र कौशिक ने लाचार होकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। विगत एक महीने में जितनी बातें ऑन रिकार्ड और ऑफ रिकार्ड गुवाहाटी में चर्चा में रहीं, उससे तो रेबती फूकन का कोई सुराग मिलने की संभावना कम ही लगती है।
जानकार लोगों का कहना है कि रेबती फूकन उल्फा कमांडर परेश बरुआ की केंद्र से वार्ता कराने के लिए प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में जुटे थे। जब यह बात फैली उसी समय फूकन लापता हो गए। 22 अप्रैल को रोज की तरह सवेरे वे टहलने निकले, पर वापस नहीं लौटे।
कौशिक ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उन्हें 20 अप्रैल को जानकारी मिली कि रेबती फूकन की एक रिटायर ब्यूरोक्रेट और असम के एक वकील के साथ ‘गुप्त बैठक’ हुई। बैठक में परेश बरुआ के साथ वार्ता शुरू करने के नए प्रस्ताव पर विचार हुआ, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा जाना था। 22 अप्रैल की सुबह से रेबती फूकन का कोई अता-पता नहीं है। गुवाहाटी में थाने में रेबती फूकन की गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया गया।
कौशिक के अनुसार अफसोस यह है कि पुलिस को जांच में कुछ पता नहीं चला है और उनके पास सुप्रीम कोर्ट आने के सिवाय कोई दूसरा चारा नहीं था। असम सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वे इस मामले में कुछ ‘गोपनीय कागजात’ कोर्ट में पेश करना चाहते हैं। जबकि केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर करने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय सरकार को भी नोटिस जारी किया है और उसे भी दो हफ्ते में जवाब देना है।
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