ब्लॉग: हिंडनबर्ग मामले में शीर्ष न्यायालय के फैसले के मायने

By अवधेश कुमार | Published: January 9, 2024 10:49 AM2024-01-09T10:49:22+5:302024-01-09T10:56:10+5:30

अदानी हिंडनबर्ग मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का पहला निष्कर्ष यह है कि सरकार के विरुद्ध किसी मुद्दे को उठाने और उसे बड़ा बनाने के पहले उस पर पर्याप्त शोध और सोच-विचार किया जाना चाहिए।

Blog: Meaning of the Supreme Court's decision in the Hindenburg case | ब्लॉग: हिंडनबर्ग मामले में शीर्ष न्यायालय के फैसले के मायने

फाइल फोटो

Highlightsअदानी हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि सरकार को दोष देना सही नहीं है कोर्ट के फैसले को आधार बनाएं तो मोदी सरकार को लेकर पैदा हुआ संदेह निराधार साबित हुआ हैसुप्रीम कोर्ट ने सेबी की जांच को प्रश्नों के घेरे में लाने को भी सही नहीं माना है

अदानी हिंडनबर्ग मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का पहला निष्कर्ष यह है कि सरकार के विरुद्ध किसी मुद्दे को उठाने और उसे बड़ा बनाने के पहले उस पर पर्याप्त शोध और सोच-विचार किया जाना चाहिए। न्यायालय के फैसले को आधार बनाएं तो हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर भारत और भारतीयों के संपर्क से पूरी दुनिया में जो बवंडर खड़ा हुआ, शेयर मार्केट से लेकर स्वयं गौतम अदानी की कंपनियों को जो नुकसान पहुंचा तथा नरेंद्र मोदी सरकार को लेकर पैदा हुआ संदेह- सभी तत्काल निराधार साबित हुए हैं।

न्यायालय ने यह कहते हुए याचिकाओं को निरस्त कर दिया कि हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने यानी किसी दूसरी एजेंसी को सौंपने की आवश्यकता नहीं है। याचिकाकर्ताओं की ओर से बार-बार सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी की जांच को प्रश्नों के घेरे में लाने को भी न्यायालय ने सही नहीं माना तथा उसकी जांच से संतुष्टि व्यक्त की। सेबी अब तक 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर चुकी है।

सही है कि शीर्ष न्यायालय ने सेबी और भारत सरकार से कहा है कि निवेशकों की रक्षा के लिए तत्काल उपाय करें, कानून को सख्त करें तथा जरूरत के मुताबिक सुधार भी। यह भी कहा कि सुनिश्चित करें कि फिर निवेशक इस तरह की अस्थिरता का शिकार नहीं हो जैसा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के बाद देखा गया था।

ध्यान रखिए कि न्यायालय द्वारा न्यायमूर्ति सप्रे की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट पर भी विचार किया गया। इस समिति ने भी शेयर निवेश की सुरक्षा से संबंधित सुझाव दिए हैं। न्यायालय ने उसे शामिल करने को कहा है। वास्तव में फैसले का यह पहलू स्वाभाविक है क्योंकि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अदानी समूह के शेयरों में जिस ढंग से गिरावट आई उससे पूरा भूचाल पैदा हो गया था। आगे ऐसा न हो, इसके लिए सुरक्षा उपाय करना आवश्यक है और इसी ओर न्यायालय ने ध्यान दिलाया है।

अगर उच्चतम न्यायालय को हिंडनबर्ग रिपोर्ट में थोड़ी भी सच्चाई दिखती तो उसके आदेश में यही लिखा होता कि आगे कोई भी कंपनी किसी तरह अपने प्रभाव का लाभ न उठा पाए इसके लिए सुरक्षा उपाय करें। उसने ऐसा नहीं कहा है। उसका कहना इतना ही है कि अगर कहीं से फिर ऐसी रिपोर्ट आ गई तब शेयर मार्केट में निवेशकों को कैसे सुरक्षित रखा जाए इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार की जांच एजेंसी के रूप में सेबी जांच करे कि क्या हिंडनबर्ग रिसर्च और किसी अन्य संस्था की वजह से निवेशकों को हुए नुकसान में कानून का कोई उल्लंघन हुआ है? यदि हुआ है तो उचित कार्रवाई की जाए।

Web Title: Blog: Meaning of the Supreme Court's decision in the Hindenburg case

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