ब्लॉग: आश्चर्यजनक नहीं हैं चुनाव परिणाम

By अवधेश कुमार | Published: December 4, 2023 10:23 AM2023-12-04T10:23:53+5:302023-12-04T10:28:42+5:30

राज्य विधानसभाओं के चुनाव परिणाम उनके लिए किंचित भी आश्चर्य का विषय नहीं है जो इन राज्यों के बदले हुए राजनीतिक वातावरण को देख रहे थे। ये चुनाव परिणाम मतदाताओं के तात्कालिक संवेग की अभिव्यक्ति नहीं हैं।

Blog: Election results are not surprising | ब्लॉग: आश्चर्यजनक नहीं हैं चुनाव परिणाम

फाइल फोटो

Highlightsराज्य विधानसभाओं के चुनाव परिणाम उनके लिए किंचित भी आश्चर्य का विषय नहीं हैयह पीएम मोदी के नेतृत्व में देश और राज्य स्तर पर भाजपा के संदर्भ में बने माहौल की परिणति हैमोदी स्पष्ट विचारधारा को प्रतिबिंबित करते हैं जिसे केंद्र और भाजपा की राज्य सरकारें लागू करती हैं

राज्य विधानसभाओं के चुनाव परिणाम उनके लिए किंचित भी आश्चर्य का विषय नहीं है जो इन राज्यों के बदले हुए राजनीतिक वातावरण को देख रहे थे। ये चुनाव परिणाम मतदाताओं के तात्कालिक संवेग की अभिव्यक्ति नहीं हैं। ये परिणाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश और राज्य स्तर पर भाजपा के संदर्भ में बने संपूर्ण माहौल की परिणति हैं।

देश का माहौल बिल्कुल वैसा नहीं है जैसा भाजपा विरोधी प्रस्तुत कर रहे थे। अगर आप उनके पूर्व आकलनों को आधार बनाएं तो भाजपा को एक राज्य में भी विजय नहीं मिलनी चाहिए थी। मध्यप्रदेश में अगर बीच के 15 महीने की कमलनाथ सरकार को छोड़ दें तो करीब 19 वर्ष तक शासन करने के बावजूद भाजपा इतनी बड़ी विजय प्राप्त करती है तो फिर सामान्य विश्लेषणों से परिणाम की सच्चाई नहीं समझी जा सकती।

मध्यप्रदेश में भाजपा को करीब 49% और कांग्रेस को 40% मत मिला है। 9% बहुत बड़ा अंतर है। राजस्थान में भी लगभग दो प्रतिशत मतों का अंतर है जबकि पिछली बार कांग्रेस को भाजपा से केवल करीब 0.25  प्रतिशत ज्यादा वोट मिले थे।

छत्तीसगढ़ में भाजपा ने पिछली बार करीब 33 प्रतिशत और कांग्रेस ने 43 प्रतिशत वोट पाया था जबकि इस बार भाजपा को 45% से अधिक तथा कांग्रेस का वोट लगभग 39% तक सिमटा है यानी भाजपा ने 12% से ज्यादा मत हासिल किया, जबकि कांग्रेस का 4% वोट कट गया तो इस तरह के परिणामों के कारण क्या हैं?

राजनीति में नेतृत्व मात्र चेहरा नहीं होता। वह विचारों और व्यवहार का समुच्चय होता है जिसके आधार पर मतदाता अपना मत तय करते हैं। नरेंद्र मोदी स्पष्ट विचारधारा को प्रतिबिंबित करते हैं जिसे केंद्र और भाजपा की राज्य सरकारें नीतियों और व्यवहारों में लागू कर रही हैं। इसके साथ वक्तव्यों और व्यवहारों से भावी कदमों की झलक भी दी है।

दरअसल, 2014 के बाद राजनीति, सत्ता और नेतृत्व को लेकर भारत के बदले हुए सामूहिक मनोविज्ञान और मतदाताओं के व्यवहार को न समझने के कारण ही ऐसे परिणाम आश्चर्य में डालते हैं।

तेलंगाना में भी भाजपा अगर 2019 की विचारधारा और मुद्दों पर प्रखरता तथा सरकार के विरुद्ध आक्रामकता कायम रखती, ठाकुर राजा सिंह के निष्कासन की घोषणा नहीं करती और उसे दूसरे तरीके से संभालती तो परिणाम अलग आते। लोग बीआरएस की सत्ता बदलना चाहते थे, पर भाजपा हराने वाली सक्षम विकल्प नहीं थी। मतदाता कांग्रेस के साथ गए बावजूद भाजपा को लगभग 14% मत मिले हैं।

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