लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: धार्मिक रूप से उत्पीड़ितों को अपनाने के लिए बना कानून है सीएए

By अवधेश कुमार | Updated: March 18, 2024 10:53 IST

सीएए और नागरिकता संशोधन कानून लागू होने पर यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि आखिर ऐन चुनाव के पूर्व ही इसे लागू करने की क्या आवश्यकता थी?

Open in App
ठळक मुद्देसीएए को लेकसभा चुनाव से जोड़ते हुए यह मुद्दा उठाया जा रहा है कि इसे अभी क्यों लागू किया गया अगर लागू नहीं किया जाता तो चुनाव में विरोधी यही प्रश्न उठाते कि इसे लागू क्यों नहीं कर रहेकानून पारित होने के बाद नियम तैयार करने के लिए गृह मंत्रालय को कई कारणों से दिक्कत हुई

सीएए और नागरिकता संशोधन कानून लागू किए जाने पर हो रही प्रतिक्रियाएं वही हैं जैसी संसद में पारित होने के पूर्व से लेकर लंबे समय बाद तक रही हैं। यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि आखिर ऐन चुनाव के पूर्व ही इसे लागू करने की क्या आवश्यकता थी?

अगर लागू नहीं किया जाता तो चुनाव में विरोधी यही प्रश्न उठाते कि इसे लागू क्यों नहीं कर रहे? हालांकि आम लोगों के मन में यह प्रश्न उठेगा कि इतना समय क्यों लगा? कानून पारित होने के बाद नियम तैयार करने के लिए गृह मंत्रालय को सात बार विस्तार प्रदान किया गया था। नियम बनाने में देरी के कई कारण रहे।

कानून पारित होने के बाद से ही देश कोरोना संकट में फंस गया और प्राथमिकताएं दूसरी हो गईं। दूसरे, इसके विरुद्ध हुए प्रदर्शनों ने भी समस्याएं पैदा कीं। अनेक जगह प्रदर्शन हिंसक हुए, लोगों की मौत हुई और दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे तक हुए। तीसरे, विदेशी एजेंसियों और संस्थाओं की भी इसमें भूमिका हो गई।

चौथे, उच्चतम न्यायालय में इसके विरुद्ध याचिकाएं दायर हुईं। इन सबसे निपटने तथा भविष्य में लागू करने पर उनकी पुनरावृत्ति न हो, इसकी व्यवस्था करने में समय लगना ही था। मूल बात यह नहीं है कि इसे अब क्यों लागू किया गया। मूल यह है कि इसका क्रियान्वयन आवश्यक है या नहीं और जिन आधारों पर विरोध किया जा रहा है क्या वे सही हैं?

यह बताने की आवश्यकता नहीं कि कानून उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, पारसियों और ईसाइयों के लिए है जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के कारण पलायन कर भारत आने को विवश हुए थे यानी यह कानून इनके अलावा किसी पर लागू होता ही नहीं।

भारत में नियमों के तहत आवेदन कर कोई भी नागरिकता प्राप्त कर सकता है। केवल इस कानून के तहत इन समुदाय के लोगों के लिए नागरिकता प्राप्त करना आसान बनाया गया है। यह आशंका ही निराधार है कि इससे किसी को बाहर निकाला जाएगा। सीएए गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशियों या किसी को निकालने के लिए नहीं लाया गया है। इसके लिए विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट अधिनियम, 1920 पहले से है।

नागरिकता कानून, 1955 के अनुसार अवैध प्रवासियों को या तो जेल में रखा जा सकता है या वापस उनके देश भेजा जा सकता है। नरेंद्र मोदी सरकार ने इनमें संशोधन करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी भारत में रुकने तथा कहीं भी आने-जाने की छूट दे दी थी तो विशेष प्रावधान के द्वारा आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक में खाता खुलवाने, अपना व्यवसाय करने या जमीन तक खरीदने की अनुमति दी गई। इस तरह उन्हें भारत द्वारा अपनाने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी थी।  

टॅग्स :CAALok Sabha Election 2024कांग्रेसगृह मंत्रालयhome Ministry
Open in App

संबंधित खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतकौन थे स्वराज कौशल? दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज के पति का 73 साल की उम्र में हुआ निधन

भारतझारखंड में संभावित सियासी उलटफेर की खबरों पर कोई भी नेता खुलकर बोलने को नहीं है तैयार, सियासी गलियारे में अटकलों का बाजार है गरम

भारतSanchar Saathi App: विपक्ष के आरोपों के बीच संचार साथी ऐप डाउनलोड में भारी वृद्धि, संचार मंत्रालय का दावा

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो ने 5वें दिन की सैकड़ों उड़ानें की रद्द, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में हवाई यात्रा प्रभावित

भारतKyrgyzstan: किर्गिस्तान में फंसे पीलीभीत के 12 मजदूर, यूपी गृह विभाग को भेजी गई रिपोर्ट

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: कहां से आया 'जय भीम' का नारा? जिसने दलित समाज में भरा नया जोश

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: आज भी मिलिंद कॉलेज में संरक्षित है आंबेडकर की विरासत, जानें

भारतडॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि आज, पीएम मोदी समेत नेताओं ने दी श्रद्धांजलि