सीएए और नागरिकता संशोधन कानून लागू किए जाने पर हो रही प्रतिक्रियाएं वही हैं जैसी संसद में पारित होने के पूर्व से लेकर लंबे समय बाद तक रही हैं। यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि आखिर ऐन चुनाव के पूर्व ही इसे लागू करने की क्या आवश्यकता थी?
अगर लागू नहीं किया जाता तो चुनाव में विरोधी यही प्रश्न उठाते कि इसे लागू क्यों नहीं कर रहे? हालांकि आम लोगों के मन में यह प्रश्न उठेगा कि इतना समय क्यों लगा? कानून पारित होने के बाद नियम तैयार करने के लिए गृह मंत्रालय को सात बार विस्तार प्रदान किया गया था। नियम बनाने में देरी के कई कारण रहे।
कानून पारित होने के बाद से ही देश कोरोना संकट में फंस गया और प्राथमिकताएं दूसरी हो गईं। दूसरे, इसके विरुद्ध हुए प्रदर्शनों ने भी समस्याएं पैदा कीं। अनेक जगह प्रदर्शन हिंसक हुए, लोगों की मौत हुई और दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे तक हुए। तीसरे, विदेशी एजेंसियों और संस्थाओं की भी इसमें भूमिका हो गई।
चौथे, उच्चतम न्यायालय में इसके विरुद्ध याचिकाएं दायर हुईं। इन सबसे निपटने तथा भविष्य में लागू करने पर उनकी पुनरावृत्ति न हो, इसकी व्यवस्था करने में समय लगना ही था। मूल बात यह नहीं है कि इसे अब क्यों लागू किया गया। मूल यह है कि इसका क्रियान्वयन आवश्यक है या नहीं और जिन आधारों पर विरोध किया जा रहा है क्या वे सही हैं?
यह बताने की आवश्यकता नहीं कि कानून उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, पारसियों और ईसाइयों के लिए है जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के कारण पलायन कर भारत आने को विवश हुए थे यानी यह कानून इनके अलावा किसी पर लागू होता ही नहीं।
भारत में नियमों के तहत आवेदन कर कोई भी नागरिकता प्राप्त कर सकता है। केवल इस कानून के तहत इन समुदाय के लोगों के लिए नागरिकता प्राप्त करना आसान बनाया गया है। यह आशंका ही निराधार है कि इससे किसी को बाहर निकाला जाएगा। सीएए गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशियों या किसी को निकालने के लिए नहीं लाया गया है। इसके लिए विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट अधिनियम, 1920 पहले से है।
नागरिकता कानून, 1955 के अनुसार अवैध प्रवासियों को या तो जेल में रखा जा सकता है या वापस उनके देश भेजा जा सकता है। नरेंद्र मोदी सरकार ने इनमें संशोधन करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी भारत में रुकने तथा कहीं भी आने-जाने की छूट दे दी थी तो विशेष प्रावधान के द्वारा आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक में खाता खुलवाने, अपना व्यवसाय करने या जमीन तक खरीदने की अनुमति दी गई। इस तरह उन्हें भारत द्वारा अपनाने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी थी।