ब्लॉगः कश्मीर में अमित शाह की दो-टूक बातें 

By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 7, 2022 03:15 PM2022-10-07T15:15:27+5:302022-10-07T15:15:37+5:30

बारामूला की जनसभा और यात्रियों की बढ़ी हुई संख्या ही इस बात के प्रमाण हैं कि कश्मीर के हालात अब बेहतर हुए हैं, खास तौर से 2019 में धारा 370 के हटने के बाद से। लगभग सभी कश्मीरी नेताओं ने धारा 370 हटाने का जमकर विरोध किया था लेकिन अब उस मुद्दे की हवा निकल गई है, क्योंकि कश्मीर के हालात में पहले से बहुत सुधार है।

Blog Amit Shah's candid talk in Kashmir pakistan taliban america | ब्लॉगः कश्मीर में अमित शाह की दो-टूक बातें 

ब्लॉगः कश्मीर में अमित शाह की दो-टूक बातें 

देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बारामूला में 10 हजार से ज्यादा लोगों की सभा को संबोधित किया, यही अपने आप में बड़ी बात है। उनका यह भाषण ऐतिहासिक और अत्यंत प्रभावशाली था। कई नेता तो डर के मारे कश्मीर जाना ही पसंद नहीं करते लेकिन इस साल कश्मीर में यात्रियों की संख्या 22 लाख रही जबकि पिछले कुछ वर्षों में 5-6 लाख से ज्यादा लोग वहां नहीं जाते थे। बारामूला की जनसभा और यात्रियों की बढ़ी हुई संख्या ही इस बात के प्रमाण हैं कि कश्मीर के हालात अब बेहतर हुए हैं, खास तौर से 2019 में धारा 370 के हटने के बाद से। लगभग सभी कश्मीरी नेताओं ने धारा 370 हटाने का जमकर विरोध किया था लेकिन अब उस मुद्दे की हवा निकल गई है, क्योंकि कश्मीर के हालात में पहले से बहुत सुधार है।

मनोज सिन्हा के उपराज्यपाल रहते हुए कश्मीर में अब भ्रष्टाचार करने की किसी की हिम्मत ही नहीं पड़ती। कश्मीर में स्थानीय नेतागण केंद्र से मिलनेवाली अरबों-खरबों की धनराशि का जितना इस्तेमाल लोक-कल्याण के लिए करते थे, उससे कई गुना ज्यादा अब होने लगा है। अमित शाह ने कहा है कि पिछले 70 साल में कश्मीर में केंद्र की ओर से सिर्फ 15000 करोड़ रु। लगाए गए थे जबकि अब पिछले तीन साल में 56000 करोड़ रुपयों का विनिवेश हुआ है। कई अस्पताल, विश्वविद्यालय, स्कूल, पंचायत भवन आदि खड़े कर दिए गए हैं। पहले कश्मीर का लोकतंत्र सिर्फ 87 विधायकों, 6 सांसदों और दो-तीन परिवारों तक ही सीमित था लेकिन अब 30000 पंचों और सरपंचों को भी स्थानीय विकास के अधिकार मिल चुके हैं। आतंकवादियों ने कुछ पंचों की हत्या भी कर दी थी लेकिन पंचायत के चुनावों में जन-उत्साह देखने लायक था। अमित शाह ने सरकार की इस नीति को दो-टूक शब्दों में दोहराया है कि जब तक आतंकवाद जारी है, पाकिस्तान से भारत बात नहीं करेगा।

मेरी राय यह है कि जब पांडव और कौरव महाभारत युद्ध के दौरान बात करते थे और अब नरेंद्र मोदी यूक्रेन के सवाल पर पुतिन और जेलेंस्की से बात करने का आग्रह कर रहे हैं तो हम पाकिस्तान से बात बंद क्यों करें? मैं तो शाहबाज शरीफ और नरेंद्र मोदी दोनों से कहता हूं कि वे बात करें। पहले कुछ गैर-सरकारी माध्यमों के जरिये संपर्क करें। जैसे हमने संकटग्रस्त श्रीलंका और तालिबानी अफगानिस्तान की मदद की, वैसे  ही मुसीबत में फंसे पाकिस्तानियों की मदद के लिए भी हाथ आगे बढ़ाएं। 

Web Title: Blog Amit Shah's candid talk in Kashmir pakistan taliban america

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