ब्लॉगः आम नागरिकों को उपलब्ध हो सस्ता इलाज, क्या विधेयक से इलाज में लूटपाट पर लगेगा लगाम?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 12, 2022 04:16 PM2022-12-12T16:16:50+5:302022-12-12T16:17:56+5:30
नई परिस्थितियों के मुताबिक आधुनिक कानून मानने के कारण बहुत-सी परेशानियों से भारत के लोगों को मुक्त होने का मौका सहज ही मिल जाएगा। इसी तरह से अपने देश में लोगों को समुचित इलाज और इंसाफ पाने में बहुत दिक्कत होती है।
इस बार राज्यसभा में ऐसे दो निजी विधेयक पेश किए गए हैं, जो पता नहीं कानून बन पाएंगे या नहीं लेकिन उन पर यदि खुलकर बहस हो गई तो वह भी देश के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी। पहला विधेयक सबके लिए समान निजी कानून बनाने के बारे में है और दूसरा है, इलाज में लूटपाट रोकने के लिए। निजी कानून यानी शादी-ब्याह, तलाक, दहेज, उत्तराधिकार संबंधी कानून। इस बारे में मेरी विनम्र राय है कि सारे भारतीय लोगों को एक ही तरह का निजी कानून मानने में ज्यादा फायदा है।
नई परिस्थितियों के मुताबिक आधुनिक कानून मानने के कारण बहुत-सी परेशानियों से भारत के लोगों को मुक्त होने का मौका सहज ही मिल जाएगा। इसी तरह से अपने देश में लोगों को समुचित इलाज और इंसाफ पाने में बहुत दिक्कत होती है। अस्पताल में लोगों का बहुत पैसा खर्च होता है। इसीलिए अस्पतालों, डॉक्टरों की फीस, दवाइयों और जांच की कीमतों पर नियंत्रण लगाना बहुत जरूरी हो गया है। मेरी राय में तो इलाज और इंसाफ हर नागरिक को मुफ्त मिलना चाहिए। इसीलिए राज्यसभा के वर्तमान सत्र में यह जो विधेयक इलाज की कीमतों पर नियंत्रण के लिए लाया गया है, इसे सर्वानुमति से पारित कर लोकसभा को भेजा जाना चाहिए।
इस विधेयक में शायद यह मांग नहीं की गई है कि गैर-सरकारी अस्पतालों में शल्य-चिकित्सा और कमरों की फीसों में मच रही लूटपाट को रोका जाए। एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 2021 में इलाज की महंगाई 14 प्रतिशत बढ़ गई थी। उसके कारण देश के साढ़े पांच करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए थे। भारत में इलाज पर हमारे नागरिकों को अपने जेब खर्च का 63 प्रतिशत खर्च करना होता है। भारतीय नागरिकों का स्वास्थ्य बेहतर रखने के लिए कई अन्य कदम भी जरूरी हैं लेकिन उनके इलाज को सस्ता करने में संसद को झिझक नहीं होनी चाहिए।