ब्लॉग: इंडिया गठबंधन की बिखरती कड़ियों से भाजपा का फायदा

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: January 25, 2024 10:57 AM2024-01-25T10:57:24+5:302024-01-25T10:59:27+5:30

ममता और आम आदमी पार्टी कोई त्याग नहीं करना चाहते। उधर सपा ने भी उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के प्रति सख्त रवैया अपनाया है।

BJP benefits from the disintegrating links of India alliance | ब्लॉग: इंडिया गठबंधन की बिखरती कड़ियों से भाजपा का फायदा

ब्लॉग: इंडिया गठबंधन की बिखरती कड़ियों से भाजपा का फायदा

28 दलों का इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव आते-आते संभवत: कागजों तक ही सिमटकर रह जाएगा। गठबंधन के दो प्रमुख घटकों तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से किनारा कर लिया है। तृणमूल कांग्रेस की मुखिया तथा प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एवं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने बुधवार को घोषणा की कि वे लोकसभा चुनाव में अपने मजबूत गढ़ों में कांग्रेस के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे और अकेले ही ताल ठोंकेंगे।

‘आप’ और तृणमूल कांग्रेस की ताजा घोषणा सिर्फ कांग्रेस के लिए ही नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन के लिए भी बहुत बुरी खबर है। सवाल सिर्फ पंजाब और प. बंगाल का नहीं है। ममता तथा मान की घोषणा पूरे देश में इंडिया गठबंधन के लिए आम मतदाता को एक नकारात्मक संदेश देगी कि जो लोग मिलकर चुनाव नहीं लड़ सकते, वे भाजपा का मुकाबला कैसे कर पाएंगे और बिल्ली के भाग से छींका टूटा वाली कहावत चरितार्थ हो गई तथा वे सत्ता में आ गए तो सरकार कितने दिनों तक चला पाएंगे। जनता पार्टी का 1977 का प्रयोग और उस पर विश्वास करने का हश्र लोग देख चुके हैं।

उस वक्त जो युवा थे, आज बुजुर्ग हो चुके हैं और राजनीति में जो नई पीढ़ी है, उसने पुरानी पीढ़ी से जनता पार्टी के विफल प्रयोग के किस्से सुने ही होंगे। जनता ने कांग्रेस के खिलाफ एकजुट होकर जनता पार्टी को वोट किया था लेकिन उसके शीर्ष नेताओं के बीच अहं के टकराव से जनता पार्टी की सरकार तीन साल भी नहीं चली।उस वक्त के तमाम विपक्षी दल लोकनायक जयप्रकाश नारायण के प्रयासों से एकजुट तो हो गए थे लेकिन इंडिया गठबंधन संभवत: उतना खुशकिस्मत भी नहीं है।

इंडिया गठबंधन ने 28 दलों को जुटा तो लिया लेकिन लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर वह बिखराव के दरवाजे तक पहुंच गया है। बिहार के मुख्यमंत्री तथा जनता दल (यू) के मुखिया नीतीश कुमार ने बड़ी मेहनत से इंडिया गठबंधन को खड़ा किया, मगर ममता बनर्जी तथा भगवंत मान की ताजा घोषणा ने उन्हें भी निश्चित रूप से निराश किया होगा। ‘आप’ ने हाल ही में चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस से हाथ मिलाया था।

इसके अलावा दिल्ली की सात लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर भी दोनों पार्टियों के बीच सकारात्मक बातचीत हुई है। इससे लग रहा था कि पंजाब, हरियाणा, गोवा तथा गुजरात में भी दोनों पार्टियों के बीच बात बन जाएगी. आम आदमी पार्टी पंजाब को लेकर शायद अति आत्मविश्वास में है। उसे लगता है कि पंजाब में कांग्रेस लगभग खत्म हो चुकी है और भाजपा एवं अकाली दल उसे टक्कर देने की स्थिति में नहीं हैं। वह यह भूल रही है कि पंजाब विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद उसने उपचुनाव में लोकसभा की एक सीट जीती है तो एक सीट गंवाई भी है। यही मनोदशा संभवत: प. बंगाल में ममता बनर्जी की दिखाई दे रही है। पिछले विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी भले ही विजयी रही हो लेकिन भाजपा को बढ़ने से रोक भी नहीं पाई। भाजपा ने लोकसभा की 18 तथा विधानसभा की 77 सीटें जीती थीं।

ममता अगर जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास में रहीं तो भाजपा की जड़ों को और फैलने से रोक नहीं सकेंगी। कांग्रेस और वाम दलों का वोट बैंक भले ही सिकुड़ गया हो लेकिन अगले लोकसभा चुनाव में अगर मुकाबला भाजपा से करीबी का रहा तो कांग्रेस व वामपंथी वोट बैंक ममता के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। आज ममता प. बंगाल में बेहद ताकतवर हैं लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि उनसे ज्यादा ताकतवर वाम मोर्चा पं. बंगाल में था।

उसे उखाड़ फेंकने के लिए 2001 के विधानसभा, 2009 के लोकसभा तथा 2011 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। उस वक्त कांग्रेस ने जो लचीलापन दिखाया था, वैसा लचीलापन अपनाने के लिए ममता तैयार नहीं हैं। वह कांग्रेस को महज दो सीटें माल्दा व बेहरामपुर देना चाहती हैं एवं वाममोर्चे को वह एक भी सीट देने के पक्ष में नहीं हैं। जब गठबंधन की बात आती है तो बुनियादी सिद्धांत कहता है कि साथी दलों की भावना का सम्मान किया जाए और जरूरत पड़ने पर गठबंधन के लिए त्याग की भावना को सर्वोपरि रखा जाए।

ममता और आम आदमी पार्टी कोई त्याग नहीं करना चाहते। उधर सपा ने भी उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के प्रति सख्त रवैया अपनाया है। बुधवार  को उसने गठबंधन की परवाह किए बिना लखनऊ संसदीय सीट से अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी। कुल मिलाकर इंडिया गठबंधन का भविष्य धूमिल दिखता है। उसके नेताओं का जिद्दी रवैया ‘इंडिया’ को तहस-नहस कर देगा और भाजपा की राह बहुत आसान हो जाएगी। 

Web Title: BJP benefits from the disintegrating links of India alliance

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