भरत झुनझुनवाला का नजरियाः नदी जोड़ने के विकल्पों पर करना होगा गंभीरता के साथ विचार 

By भरत झुनझुनवाला | Updated: August 18, 2019 09:04 IST2019-08-18T09:04:34+5:302019-08-18T09:04:34+5:30

कई वर्षो से नदी के पेटे में जमा हो रही गाद को बाढ़ बहा कर समुद्र तक ले जाती है. यदि बाढ़ नहीं आए तो पानी में वेग उत्पन्न नहीं होता है जो कि जमी हुई गाद को सागर तक पहुंचा सके. यदि गाद समुद्र तक न पहुंचाई जाए तो नदी का तल ऊंचा हो जाता है और बाढ़ ज्यादा आती है.

Bharat Jhunjhunwala's point of view: will have to consider seriously the options for connecting the river | भरत झुनझुनवाला का नजरियाः नदी जोड़ने के विकल्पों पर करना होगा गंभीरता के साथ विचार 

भरत झुनझुनवाला का नजरियाः नदी जोड़ने के विकल्पों पर करना होगा गंभीरता के साथ विचार 

वर्तमान में देश में एक स्थान पर सूखा तो दूसरे स्थान पर बाढ़ आ रही है. यह विचार पनपता है कि बाढ़ के क्षेत्न से यदि पानी को सूखे क्षेत्न तक पहुंचा दिया जाए तो दोनों ही क्षेत्नों की समस्या हल हो जाएगी. यह धारणा इस सोच पर आधारित है कि कुछ नदियों में जरूरत से अधिक पानी उपलब्ध है. यह सही है कि कुछ नदियों में बाढ़ आती है और उससे जान-माल का नुकसान होता है. लेकिन इसके सामने बाढ़ के कई लाभ भी हैं. सबसे बड़ा लाभ है कि बाढ़ का पानी विस्तृत क्षेत्न में फैलता है जिसके कारण पानी भूगर्भीय तालाबों में रिसता है. लगभग 1 मीटर पानी का स्तर उसे 1 किमी दूर तक पहुंचा देता है. यानी बाढ़ का पानी 100 किमी दूर आपको 100 मीटर की गहराई पर मिल जाएगा. अत: बाढ़ से लगभग 200 किमी क्षेत्न में भूगर्भीय जल का पुनर्भरण होता है. इस प्रकार बाढ़ के पानी को यदि हम दूसरे क्षेत्न में ले जाते हैं तो देने वाले क्षेत्न में पुनर्भरण कम होगा तदनुसार सिंचाई कम होगी जबकि पानी प्राप्त करने वाले क्षेत्न में सिंचाई का विस्तार होगा. दोनों का सम्मिलित प्रभाव क्या होगा यह कहना मुश्किल है. यह भी संभव है कि सिंचाई में तनिक भी वृद्धि न हो.

बाढ़ का दूसरा लाभ है कि कई वर्षो से नदी के पेटे में जमा हो रही गाद को बाढ़ बहा कर समुद्र तक ले जाती है. यदि बाढ़ नहीं आए तो पानी में वेग उत्पन्न नहीं होता है जो कि जमी हुई गाद को सागर तक पहुंचा सके. यदि गाद समुद्र तक न पहुंचाई जाए तो नदी का तल ऊंचा हो जाता है और बाढ़ ज्यादा आती है. बड़ी बाढ़ को रोक कर हम वास्तव में हर साल आने वाली बाढ़ के प्रकोप को बढ़ा रहे हैं. नदी जोड़ो परियोजना में एक और समस्या है. कोई भी राज्य अपना पानी देने को तैयार नहीं है जैसा कि हम पंजाब एवं हरियाणा तथा कर्नाटक एवं तमिलनाडु के विवादों में देख रहे हैं. पंजाब में कुछ क्षेत्नों में जल भराव हो रहा है फिर भी पंजाब अपना पानी देने को तैयार नहीं है. इस परिस्थिति में अंतर्राज्यीय नदी जोड़ने के कार्यक्रम कतई सफल नहीं हो सकते हैं. अधिक से अधिक एक ही राज्य में बहने वाली दो नदियों को जोड़ने का छोटा-मोटा प्रयास किया जा सकता है.
 
लेकिन यह भी सही है कि यदि पंजाब में जल भराव हो रहा है और राजस्थान में सूखा आ रहा है तो देश के लिए यह लाभप्रद है कि पंजाब के कुछ पानी को राजस्थान में पहुंचाया जाए. इसका उपाय यह है कि हम बिजली के नेशनल ग्रिड की तर्ज पर एक पानी का नेशनल ग्रिड बनाएं. पंजाब अपने पानी को बेचे और राजस्थान उसे खरीदे. उससे फायदा यह होगा कि पंजाब और राजस्थान दोनों ही पानी की असल कीमत को समङोंगे. सरकार नेशनल वाटर ग्रिड बनाए, पाइपों अथवा नहरों के माध्यम से एक राज्य से दूसरे राज्य को पानी ले जाए यह स्वीकार है लेकिन पानी की इस ढ़ुलाई के लिए किसी नदी को नाले की तरह उपयोग करना सही नहीं है. 

आगामी समय में ग्लोबल वार्मिग के चलते कम समय में तीव्र वर्षा होगी. पूर्व में यदि किसी स्थान पर साल में 90 दिन वर्षा होती थी तो भविष्य में वर्षा की मात्ना उतनी ही रहेगी लेकिन वह पानी 90 दिन के स्थान पर केवल 30 दिन में गिरेगा. ऐसे में बाढ़ का प्रकोप बढ़ेगा जैसा कि हम इस समय देश के तमाम हिस्सों में देख रहे हैं. इस बढ़ते हुए संकट को हम नहरों के माध्यम से एक नदी के पानी को दूसरी नदी में ले जाकर नहीं संभाल पाएंगे. कम समय में होने वाली वर्षा के पानी की मात्ना इतनी अधिक हो जाती है कि उसे नहरों के माध्यम से कहीं ले जाना लगभग असंभव है. इसलिए सरकार को चाहिए कि पानी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के बजाय जहां पानी गिरता है वहीं पर उसे भूगर्भीय तालाबों में संगृहीत करने के उपाय करे. जिस प्रकार हम कुआं खोदकर नीचे से पानी निकालते हैं उसी प्रकार रिचार्ज कुएं बनाए जा सकते हैं जिनके माध्यम से हम बाढ़ के पानी को भूमि के अंदर विद्यमान तालाबों में प्रवेश करा सकते हैं.

Web Title: Bharat Jhunjhunwala's point of view: will have to consider seriously the options for connecting the river

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