भरत झुनझुनवाला का ब्लॉगः आत्मनिर्भर भारत के लिए नौकरशाही पर कसें लगाम

By भरत झुनझुनवाला | Published: October 13, 2020 04:38 PM2020-10-13T16:38:31+5:302020-10-13T16:38:31+5:30

हमारे सामने अवसर है कि हम चीन के द्वारा खाली की गई जमीन को हथिया कर उस पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लें और विश्व बाजार में अपना स्थान बना लें.

Bharat Jhunjhunwalas blog: Tighten bureaucracy for aatm nirbhar bharat | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉगः आत्मनिर्भर भारत के लिए नौकरशाही पर कसें लगाम

आत्मनिर्भर भारत

वर्तमान में चीन से संपूर्ण विश्व असंतुष्ट है और तमाम देश चीन से माल के आयात पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में हैं. बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से बाहर जाकर दूसरे देशों में माल के उत्पादन को उत्सुक हैं. इस परिस्थिति में हमारे सामने अवसर है कि हम चीन के द्वारा खाली की गई जमीन को हथिया कर उस पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लें और विश्व बाजार में अपना स्थान बना लें. लेकिन विषय सिर्फ चीन का नहीं है. यदि हमें विश्व बाजार में अपना स्थान बनाना है तो थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों से भी प्रतिस्पर्धा करनी होगी अन्यथा खरीददार चीन के स्थान पर भारत से न खरीदकर वियतनाम से खरीदेगा. अंतत: हमें संपूर्ण विश्व में सबसे सस्ता माल बनाकर बाजार में उपलब्ध कराना होगा. तब ही हम आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार कर पाएंगे.

आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार ने 200 लाख करोड़ रुपए का विशाल आत्मनिर्भर भारत पैकेज लागू किया है. इस पैकेज का प्रमुख बिंदु कठिन परिस्थितियों से जूझने वालों को ऋण उपलब्ध करना है जिससे ये कोविड संकट को पार कर सामान्य परिस्थिति बहाल होने तक अपना अस्तित्व जीवित रख सकें. लेकिन सामान्य परिस्थिति आएगी, यह संदेहास्पद है. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्नी स्कॉट मारिसन के अनुसार आने वाला समय ‘‘गरीबी, कठिनाई और अव्यवस्था से भरा हुआ होगा, विश्व व्यापार में गिरावट आएगी, देशों का व्यापार असंतुलित होता जाएगा और इनके बीच विवाद उत्पन्न होगा.’’ कोविड का वायरस भी गिरगिट की तरह अपना रंग-रूप बदलता जा रहा है और यूरोप के कई देशों में इसकी दूसरी लहर आई है. अतएव हमें यह नहीं मान लेना चाहिए कि यह एक अल्पकालिक संकट है जिसे हम ऋण देकर पार कर जाएंगे. बल्कि देश की आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए मौलिक विषयों पर ध्यान देना होगा.

इस दिशा में चिंता का विषय है कि सिटी बैंक की रिसर्च संस्था ने एक रपट में कहा है कि पिछले 6 वर्षो में भारत के मैन्युफैक्चरिंग उद्योग के प्रमुख संकेतों में तनिक भी सुधार नहीं हुआ है. यह खतरे की घंटी है क्योंकि यदि हमारी मैन्युफैक्चरिंग में सुधार नहीं हुआ है तो हम थाईलैंड और वियतनाम की तुलना में सस्ता माल नहीं बना सकेंगे और विश्व बाजार में व्यापार में अपना स्थान नहीं बना पाएंगे.

इस परिप्रेक्ष्य में फेडरेशन ऑफ फार्मा इंटरप्रेन्योर ऑफ इंडिया के बी.आर. सिकरी के वक्तव्य पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा है कि भारत का फार्मा उद्योग चीन से इसलिए आयात करता है क्योंकि भारत में उत्पादन लागत ज्यादा है. उत्पादन लागत के ज्यादा होने के तीन प्रमुख कारण हैं. पहला यह कि किसी भी कानूनी स्वीकृति को लेने में अधिक समय लगता है और पर्यावरण का कानून इसकी जड़ है. दूसरा कारण यह कि देश में जमीन महंगी है.

तीसरा यह कि बिजली महंगी है. इन तीनों में पहला कारण मूल रूप से नौकरशाही के भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है. अपने देश में किसी भी सरकारी दफ्तर में फाइल को एक डेस्क से दूसरी डेस्क तक ले जाने के लिए भी प्यून की जेब गरम करनी पड़ती है. जहां तक महंगी जमीन की बात है, इसे आत्मसात करना चाहिए क्योंकि यह पैसा अंतत: किसानों अथवा भूमि धारकों को मिलता है. उनके अधिकारों पर चोट करना अनुचित होगा. तीसरा कारण महंगी बिजली को बताया गया है. इसका भी मूल स्वरूप नौकरशाही के भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है. मेरे संज्ञान में ऐसे उद्योग हैं जो कि बिजली बोर्ड के अधिकारियों की मिलीभगत से मीटर को बाईपास करके अपने उद्योगों को चलाते हैं. नौकरशाही द्वारा नंबर 2 में बेची गई बिजली का भार अंतत: ईमानदार बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ता है और यह बिजली के महंगे होने का प्रमुख कारण है. 

हमें यदि विश्व बाजार में चीन द्वारा खाली की जा रही जमीन पर काबिज होना है तो हमें अपने माल की उत्पादन लागत को कम करना होगा. जैसा कि ऊपर बताया गया है, इसमें मुख्य कारक नौकरशाही का भ्रष्टाचार है. इस दिशा में प्रधानमंत्नी मोदी ने एक सराहनीय कदम उठाया है कि प्रमुख पदों पर नियुक्ति के लिए वे केवल कागजों पर भरोसा नहीं करते हैं. जानकार बताते हैं कि प्रधानमंत्नी कार्यालय से कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को प्रत्याशी का मूल्यांकन करने उसके कार्य स्थल पर भेजा जाता है. ये अधिकारी उस प्रत्याशी की छवि और जनता के बीच विश्वसनीयता आदि की जानकारी प्राप्त कर प्रधानमंत्नी को उपलब्ध कराते हैं. इसके बाद ही इन्हें प्रमुख पदों पर नियुक्ति का निर्णय लिया जाता है.

इस प्रक्रिया को संपूर्ण नौकरशाही पर लागू करने की जरूरत है. सरकार को चाहिए कि सभी प्रमुख अधिकारियों की पदोन्नति के पहले एक अलग स्वतंत्न व्यवस्था द्वारा इनका गुप्त मूल्यांकन कराए.

Web Title: Bharat Jhunjhunwalas blog: Tighten bureaucracy for aatm nirbhar bharat

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