लोकसभा चुनाव से पहले दिग्विजय सिंह का पुराने फॉर्म में लौटना बीजेपी के लिए शुभ संकेत है!
By विकास कुमार | Published: March 6, 2019 04:06 PM2019-03-06T16:06:48+5:302019-03-06T17:13:33+5:30
भारतीय राजनीति में 'मिस्टर बंटाधार' की उपाधि धारण करने वाले दिग्विजय सिंह की छवि यूपीए शासनकाल में हिन्दू विरोधी के रूप में मजबूत होने लगी थी और दिग्विजय ने भी इसे सहज रूप से आगे बढ़ना दिया. जिसका नुकसान कांग्रेस पार्टी को 2014 में हुआ.
गांधी परिवार के करीबी नेताओं में शुमार दिग्विजय सिंह आज कल चर्चा में हैं. पुलवामा में हुए आतंकी हमले को दुर्घटना की संज्ञा देना हो या एयर स्ट्राइक में मारे गए आतंकियों के सबूत माँगना हो, दिग्गी राजा अपने पुराने तेवर को रिस्टोर करने का भरसक प्रयास करते दिख रहे हैं. दिग्विजय सिंह ने नरेन्द्र मोदी को चुनौती दी है कि हिम्मत है तो आप हमारे खिलाफ केस दर्ज करें. दिग्गी राजा की सबसे बड़ी खासियत यही रही है कि जो बोलते हैं पूरी तरह ठोक के बोलते हैं, लेकिन उनका यही अंदाज उन्हें अक्सर पॉलिटिकल सुसाइड अटैकर भी बना देता है. खुद उनकी पार्टी भी उनके बयानों से भयभीत रहती है.
हिन्दू विरोधी रही है छवि
भारतीय राजनीति में 'मिस्टर बंटाधार' की उपाधि धारण करने वाले दिग्विजय सिंह की छवि यूपीए शासनकाल के के दूसरे टर्म में हिन्दू विरोधी के रूप में मजबूत होने लगी थी और दिग्विजय ने भी इसे सहज रूप से आगे बढ़ना दिया. सोनिया गांधी के करीबी होने के कारण दिग्विजय सिंह को कांग्रेस पार्टी के भीतर वो मुकाम हासिल हुआ जो अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा सरीखे नेताओं को था.
'हिन्दू आतंकवाद' की फेक थ्योरी को दिया जन्म
समझौता एक्सप्रेस और हैदराबाद मक्का मस्जिद ब्लास्ट में हिंदूवादी संगठनों का नाम आने के बाद दिग्विजय सिंह ने पी चिदम्बरम के साथ मिल कर 'हिन्दू आतंकवाद' की एक नई थ्योरी को जन्म दिया था. आरएसएस से जुड़े असीमानंद के जरिये संघ प्रमुख मोहन भागवत को भी निपटाने का प्लान कांग्रेस के इन्हीं नेताओं ने बनाया था लेकिन हिन्दू आतंकवाद की फेक थ्योरी और इसके कारण जनता में व्याप्त रोष के कारण इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
बाटला हाउस एनकाउंटर को बताया था फर्जी
दिग्विजय सिंह ने इंडियन मुजाहिद्दीन के अस्तित्व को भी नकारा और बाटला हाउस मूटभेड़ को फेक बताया था, जबकि इसी वक्त देश के तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने एनकाउंटर को सही बताया. मुस्लिम वोटबैंक के लिए तड़प रहे दिग्विजय सिंह ने मुंबई में हुए 26/11 अटैक को आरएसएस से जोड़कर अपनी पार्टी का जबरदस्त नुकसान किया था. दिग्विजय के इन्हीं बयानों ने उन पर मुस्लिम नेता होने का ऐसा ठप्पा लगाया जिसे हटाना आज भी उनके लिए मुश्किल है. '
बीजेपी के चक्रव्यहू में फंसे दिग्गी राजा
एयर स्ट्राइक पर सबूत मांगने के बाद पुलवामा हमले को दुर्घटना बता कर दिग्विजय सिंह ने भाजपा को बैठे-बैठाये एक नया नैरेटिव दे दिया है. भारतीय वायु सेना के एयर स्ट्राइक के बाद पीएम मोदी और अमित शाह यह भरसक प्रयास कर रहे हैं कि लोकसभा का चुनाव सेना और एयर स्ट्राइक के भावनात्मक पहलूओं के आसपास ही लड़ा जाये. बीजेपी के सभी बड़े नेता अपनी रैलियों में एयर स्ट्राइक का जिक्र कर रहे हैं.
नर्मदा परिक्रमा यात्रा से क्या बदली छवि
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले दिग्विजय सिंह ने नर्मदा परिक्रमा यात्रा के जरिये अपनी छवि को बदलने का भरसक प्रयास किया था. प्रदेश के गाँव-गाँव में उनका धार्मिक काफिला पहुंचा और उनके हर एक बढ़ते कदम ने उनकी छवि को दूरुस्त किया. लेकिन दिग्विजय सिंह अपनी मूल छवि को ज्यादा दिनों तक छिपा कर बैठे नहीं रह सकते थे. और अब चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो कांग्रेस के परंपरागत वोटबैंक को दुरुस्त करने के लिए दिग्विजय सिंह अपने पुराने फॉर्म में वापस लौट रहे हैं.
दिग्विजय सिंह लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रवादी मुद्दों को छेड़ने का जोखिम उठा रहे हैं. और साथ हिन्दू भावनाओं से जुड़े मुद्दों पर भी उन्हें सतर्कता बरतनी होगी क्योंकि राहुल गांधी ने पिछले दो वर्षों में कांग्रेस की छवि को एंटी हिन्दू से सॉफ्ट हिंदूत्व के तरफ शिफ्ट करने में सफलता पायी है. ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि टेम्पल रन के दौर में उन्होंने नरेन्द्र मोदी को ठीक-ठाक चुनौती दे रहे हैं.