अवधेश कुमार का नजरियाः पुलिस में व्यापक सुधार की जरूरत

By अवधेश कुमार | Published: October 7, 2018 10:44 PM2018-10-07T22:44:12+5:302018-10-10T11:36:27+5:30

पुलिस को अस्त्र अपराधियों के खिलाफ उपयोग करने के लिए प्रदत्त किया जाता है। अस्त्रों के उपयोग करने में भी उसे अंतिम सीमा के संयम, संतुलन और विवेक का इस्तेमाल करना है।

Awadhesh Kumar's take: The need for comprehensive reform in police | अवधेश कुमार का नजरियाः पुलिस में व्यापक सुधार की जरूरत

अवधेश कुमार का नजरियाः पुलिस में व्यापक सुधार की जरूरत

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की भयावह घटना ने हर संवेदनशील व्यक्ति को हिला दिया है। एक आम निरपराध नागरिक रात में बीच शहर में अपनी गाड़ी के अंदर पुलिस की गोली से मार दिया जाए इसकी कल्पना तक सामान्य तौर पर नहीं की जा सकती। हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन ने उन दो सिपाहियों पर मुकदमा दर्ज कर जेल में डाल दिया है, किंतु इस घटना ने फिर एक बार भारतीय पुलिस की पूरी भूमिका को प्रश्नों के घेरे में ला दिया है। 

पुलिस को अस्त्र अपराधियों के खिलाफ उपयोग करने के लिए प्रदत्त किया जाता है। अस्त्रों के उपयोग करने में भी उसे अंतिम सीमा के संयम, संतुलन और विवेक का इस्तेमाल करना है। जान पर बन आए तब भी पहली कोशिश यही हो कि बिना सामने वाले की जीवन लीला समाप्त किए स्वयं को बचाया जाए एवं दुश्मन को कब्जे में किया जाए। 

लखनऊ में जो हुआ वह इस सामान्य सिद्धांत के विपरीत है। स्थिति कितनी भी विकट रही हो, विवेक तिवारी नामक एप्पल के सेल्स मैनेजर के सिर में गोली मारे जाने का कोई तार्किक कारण नजर नहीं आता। अनेक  तरीके उसे रोकने के लिए अपनाए जा सकते थे। इन सबकी जगह सीधे फ्रंट से गोली मारना कई बातें साबित करता है। हमारी पुलिस के शायद बड़े वर्ग के पास थोड़ी असहज परिस्थिति से भी निपटने का प्रशिक्षण नहीं है।   

लखनऊ की घटना अपने किस्म की अकेली या अंतिम नहीं है। पुलिस द्वारा अपराध को अंजाम देने की अनेक घटनाएं हर राज्य के रिकॉर्ड में अंकित हैं, मानवाधिकार आयोग की रिपोर्टो में उल्लिखित हैं, पुलिस सुधार के लिए जो आयोग बनाए गए उन्होंने रेखांकित किया, उच्चतम न्यायालय ने इनसे संबंधित फैसलों में इनका जिक्र  किया है। 

वस्तुत: पुलिस सुधार इसलिए आवश्यक है ताकि पुलिस अपराध के विरुद्ध शून्य सहिष्णुता सिद्धांत का पालन करे और उसको मानवीय चेहरा भी दिया जा सके। उसके सामने बिल्कुल स्पष्ट हो जाए कि उसे किन कानूनों के तहत चलना है, किन सिद्धांतों का पालन करना है, उसकी भूमिका क्या होनी चाहिए, उसके दायित्व क्या हैं आदि आदि। 

इसके बाद राजनीतिक नेतृत्व नजर तो रखे लेकिन सख्त निर्देश देकर शेष बातें पुलिस प्रशासन पर छोड़ दे। सबके उत्तरदायित्व तय हो जाएं। इसके साथ पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण में ही यह मानसिकता पैदा करनी होगी कि आपकी भूमिका आम लोगों के रक्षक और कानून के रक्षक की है। आपका हर कदम इसके दायरे में हो।

Web Title: Awadhesh Kumar's take: The need for comprehensive reform in police

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे