अवधेश कुमार का ब्लॉग: सामूहिक एकजुटता की शुरुआत

By अवधेश कुमार | Published: March 23, 2020 10:15 AM2020-03-23T10:15:59+5:302020-03-23T10:15:59+5:30

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए सबसे ज्यादा आवश्यकता संकल्प और संयम की है और प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने यही बताने की कोशिश की थी. जनता कर्फ्यू की सफलता ने बता दिया है कि संकल्प और संयम की आवश्यकता लोगों की समझ में आ गई.

Awadhesh Kumar blog on Janata Curfew: The beginning of collective solidarity | अवधेश कुमार का ब्लॉग: सामूहिक एकजुटता की शुरुआत

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है।

जनता कर्फ्यू के सफल होने को लेकर जिस किसी को भी थोड़ा संदेह रहा होगा उन्हें निश्चय ही भारत के आम लोगों की सोच और व्यवहार के बारे में अपना नजरिया बदलना होगा. शहरों को तो छोड़िए, गांवों तक में लोगों ने प्रधानमंत्नी की अपील का पालन करते हुए स्वयं को घरों में कैद रखकर कोरोना वायरस से लड़ने के देश के संकल्प तथा संयम का परिचय दिया है. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए सबसे ज्यादा आवश्यकता संकल्प और संयम की है और प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने यही बताने की कोशिश की थी. जनता कर्फ्यू की सफलता ने बता दिया है कि संकल्प और संयम की आवश्यकता लोगों की समझ में आ गई.

लोगों के अंदर इस बात का संकल्प है कि हमें हर हाल में इस महामारी पर विजय पाना है और इसलिए अपने-आप पर नियंत्नण रखते हुए जब तक आवश्यकता हो घर में स्वयं के द्वारा कैद रखना तथा स्वास्थ्य विभाग की एडवाइजरी का पालन करते रहना है. देश के कुछ लोग ऐसा करें और कुछ न करें तो खतरा दूर नहीं हो सकता. जो नहीं करेंगे उनके संक्रमित होने और उनके द्वारा दूसरों के संक्रमित होने का खतरा भी बना रहेगा.

ऐसे में स्थिति नियंत्नण से बाहर हो सकती है जैसा अनेक देशों में हुआ है. निस्संदेह, हमारे यहां अभी कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या अन्य कई देशों की तुलना में कम है, लेकिन यह विस्फोटित नहीें होगा इसकी गारंटी नहीं. गारंटी के लिए हमें इसका इसी तरीके से सामना करना होगा. हर लड़ाई के अपने तरीके हैं. किसी लड़ाई में हम आमने-सामने आकर लड़ते हैं. इस लड़ाई में हमें अपने को सबसे अलग कर लेना है. यह सरकार की ओर से हो, इससे बेहतर है कि लोग स्वयं को ही पाबंदियों के जकड़ने में ले आएं.

लेकिन जनता कर्फ्यू को कोरोना के खिलाफ भारत की पहली सफल सामूहिक एकजुटता के रूप में ही देखना होगा. यह नहीं मान लेना चाहिए कि हमने एक दिन अपने को बंद रखा और हमारी जिम्मेवारी खत्म. आगे भी हमें इसी तरह का संयम दिखाना है. आगे का समय ज्यादा कष्ट और परेशानियां उठाने का हो सकता है. इसके लिए सबको तैयारी रखनी होगी.

Web Title: Awadhesh Kumar blog on Janata Curfew: The beginning of collective solidarity

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