अवधेश कुमार का ब्लॉगः चुनावी बॉन्ड के विरोधियों के पास क्या है विकल्प?

By अवधेश कुमार | Published: November 26, 2019 01:58 PM2019-11-26T13:58:41+5:302019-11-26T13:58:41+5:30

एक समय था  जब सबसे ज्यादा चंदा कांग्रेस पार्टी को मिलता था. वस्तुत: यहां मूल प्रश्न चुनावी और राजनीतिक दलों के लिए चंदे का है.

Avadhesh Kumar's blog: What are the options available to the opponents of electoral bonds? | अवधेश कुमार का ब्लॉगः चुनावी बॉन्ड के विरोधियों के पास क्या है विकल्प?

अवधेश कुमार का ब्लॉगः चुनावी बॉन्ड के विरोधियों के पास क्या है विकल्प?

चुनावी बॉन्ड को लेकर तूफान मचा हुआ है. आरोप है कि चुनावी बॉन्ड के द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग हो रही है और फर्जी नाम से कंपनियां बनाकर राजनीतिक दलों को चंदा दिया जा रहा है. यह सच है कि 3 जनवरी 2018 से जब से चुनावी बॉन्ड आरंभ हुआ इसके माध्यम से सबसे ज्यादा धन भाजपा को मिला है. एक समय था  जब सबसे ज्यादा चंदा कांग्रेस पार्टी को मिलता था. वस्तुत: यहां मूल प्रश्न चुनावी और राजनीतिक दलों के लिए चंदे का है.

 इस बात पर लंबे समय से बहस होती रही है कि राजनीतिक दलों को जो भी चंदा मिले वो पारदर्शी हो.  पार्टियों का तर्क यह था कि जो चंदा देने वाले हैं, खासकर व्यापारी नहीं चाहते कि उनका नाम सार्वजनिक किया जाए. नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा  चुनावी बॉन्ड की योजना लाने के पीछे भी चुनाव को कालाधन से मुक्ति दिलाने का ही विचार था. सरकार ने 20 हजार तक की नगदी की सीमा को घटाकर दो हजार कर दिया क्योंकि 20 हजार तक चंदा देने वाले का स्रोत बताने की आवश्यकता नहीं थी. काफी विचार-विमर्श के बाद इसका प्रावधान किया गया था. इसमें चंदा देने वालों को भारतीय स्टेट बैंक में अकाउंट खुलवाना है जिसमें अपनी पूरी जानकारी देनी है. स्टेट बैंक के पास उनका पूरा रिकॉर्ड है. वह कितने का बॉन्ड खरीद रहे हैं, कौन सी पार्टी के लिए ले रहे हैं यह भी जानकारी है. चंदे की राशि राजनीतिक दल के बैंक खाते में जमा होगी. हां, बॉन्ड पर दानदाता का नाम नहीं होगा.

अगर विपक्ष के आरोप के अनुसार इसमें गड़बड़ी हो रही है तो प्रश्न उठता है कि विकल्प क्या है? अगर हम चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था को खत्म करते हैं तो उसकी जगह चुनावी चंदे के लिए या राजनीतिक दलों के चंदे के लिए कौन सी व्यवस्था खड़ी की जाए? इसका सीधा उत्तर किसी के पास नहीं है.  वास्तव में आपस में सबको यह विचार करना चाहिए कि ऐसी कौन सी व्यवस्था हो जिसमें खुलकर राजनीतिक दलों को कोई चंदा दे और उसके अंदर यह भय न रहे कि हम जिस पार्टी को कम चंदा दे रहे हैं वो कल हमारे खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. 

पार्टियों का पूरा चंदा कहां से आता है यह भी जानकारी सार्वजनिक हो जाए. यह एक आदर्श स्थिति होगी. लेकिन यहां तक पहुंचना बहुत कठिन है. जिस ढंग से राजनीतिक प्रतिस्पर्धा राजनीतिक दुश्मनी में बदल गई है उसमें यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि एक पार्टी को चंदा देने वाले के बारे में दूसरी पार्टी को पता चल जाए तो वह उसके खिलाफ प्रतिशोध के भाव से काम कर सकती है. चुनावी स्वच्छता की स्थापना राजनीतिक दलों के साथ आम जनता और मतदाता की भी जिम्मेदारी है. ऐसा वातावरण बनाएं जिसमें राजनीति स्वच्छ और पारदर्शी हो.

Web Title: Avadhesh Kumar's blog: What are the options available to the opponents of electoral bonds?

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