शशांक द्विवेदी
देश के सामरिक और अंतरिक्ष क्षेत्न में एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए भारत ने सैटेलाइट को मार गिराने वाली एंटी-सैटेलाइट मिसाइल की सफल लॉन्चिंग की है. इतनी ऊंचाई पर किसी सैटेलाइट को मार गिराना आसान काम नहीं है, क्योंकि सैटेलाइट बेहद तेज गति से, यानी सैकड़ों किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहा होता है, और इतने छोटे लक्ष्य को सटीकता से भेदना बड़ी चुनौती होती है.
यह बंदूक से निकली गोली को दूसरी गोली से भेदने जैसा है. देशों को चिंता होती है कि इस तरह के परीक्षणों से अंतरिक्ष में मलबा जमा हो जाएगा, जो अन्य सैटेलाइटों के लिए दिक्कतें पैदा करेगा. लेकिन इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जी. माधवन नायर ने कहा कि 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर भारत द्वारा किए गए इस टेस्ट से अंतरिक्ष में मलबा जमा होने की संभावना नहीं है.
एंटी-सैटेलाइट टेस्ट काफी दुर्लभ और बेहद खतरनाक परीक्षण होता है. सफलता की गारंटी भी नहीं होती लेकिन भारत ने इसे कर दिखाया. भारत के पास हालिया वक्त तक 48 उपग्रह थे, जो कक्षा में चक्कर काट रहे थे, और यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्न में उपग्रहों का सबसे बड़ा जखीरा है, जिसकी सुरक्षा किया जाना बेहद जरूरी है. मिशन ‘शक्ति’ ने दिखा दिया है कि भारत 300 किमी की ऊंचाई पर भी किसी सक्रिय सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता रखता है.
एंटी सैटेलाइट टेस्ट से निकला मलबा दूसरी सैटेलाइट और स्पेसक्राफ्ट के लिए समस्या पैदा कर सकता है. मलबे के छोटे-छोटे कण स्पेस में राइफल बुलेट से भी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं. यह कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंटरनेशनल स्पेस सेंटर किसी भी तरह के मलबे से बचने के लिए नियमित तौर पर अपने ऑर्बिट को बदलते रहते हैं. चीन के 2007 के टेस्ट को अब तक का सबसे विध्वंसकारी टेस्ट माना जाता है. इस टेस्ट के बाद काफी मात्ना में मलबा स्पेस में ही रह गया था. चीन ने यह टेस्ट स्पेस में करीब 800 किमी की दूरी पर किया था.
भारत के विदेश मंत्नालय का कहना है कि उसने इस टेस्ट को काफी नीचे किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इससे निकला मलबा स्पेस में न रहे और जो मलबा बचता है, वह कुछ हफ्तों में धरती पर आ जाए. विशेषज्ञों के अनुसार भारत के लिए मिशन शक्ति का सफल ऑपरेशन बहुत महत्वपूर्ण है. अब भारत जल, नभ और थल के अलावा अंतरिक्ष में भी दुश्मन की हरकतों पर नजर रख सकता है. यानी अगर कोई दुश्मन देश अंतरिक्ष में सैटेलाइट के जरिए भारत पर नजर रख रहा है या फिर जासूसी कर रहा है तो भारत उसको नष्ट कर सकता है. ये मिशन पूरी तरह से मेक इन इंडिया है, यानी इस मिशन को इसरो और डीआरडीओ की सहायता से ही पूरा किया गया है, इसलिए यह बड़ी कामयाबी है.