ट्रम्प के भारत दौरे पर आलोक मेहता का ब्लॉग: अपनी शर्तो पर ‘सौदागर’ का स्वागत करती मोदी सरकार
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: February 23, 2020 05:23 IST2020-02-23T05:23:38+5:302020-02-23T05:23:38+5:30
डोनाल्ड ट्रम्प का गुजरात दौरा: भारत-अमेरिका के बीच करीब 142 अरब डॉलर के व्यापार में भारत लगभग 84 अरब डॉलर का सामान निर्यात कर रहा है जबकि अमेरिका से 58 अरब डॉलर का सामान आयात कर रहा है.

ट्रम्प के भारत दौरे पर आलोक मेहता का ब्लॉग: अपनी शर्तो पर ‘सौदागर’ का स्वागत करती मोदी सरकार
रो नाल्ड रीगन से डोनाल्ड ट्रम्प और राजीव गांधी से नरेंद्र मोदी तक की यात्रओं ने भारत एवं अमेरिका ही नहीं विश्व की राजनीति और अर्थतंत्र को बदल दिया है. निक्सन राज के अमेरिका ने भारत को टकराव के चौराहे पर खड़ा कर दिया था. भारत कभी झुकने के लिए तैयार नहीं हुआ.
आज भी नहीं है तथा कभी नहीं होगा. स्टार वॉर के दौर में बहुत हद तक गैर राजनेता सिने स्टार रोनाल्ड रीगन तथा अमेरिकी प्रशासन को भारत का महत्व समझ में आ गया. इसलिए 1985 में जब युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी वाशिंगटन पहुंचे तो रीगन प्रशासन ने शानदार स्वागत के साथ भारत के साथ मधुर संबंधों का नया अध्याय लिखना शुरू किया. मुङो 1985 की यात्र और वार्ताओं का चश्मदीद गवाह रहने का अवसर मिला था. फिर यह सिलसिला जारी रहा. खट्टे-मीठे संबंधों की डोर कभी ढीली, कभी मजबूत होती रही है.
इसलिए अपनी सौदेबाजी के लिए कुख्यात डोनाल्ड ट्रम्प का अपनी शर्तो के साथ स्वागत करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जवाब नहीं है. ट्रम्प पिछले साल सार्वजनिक रूप से मान चुके हैं कि मोदी के साथ डील बहुत कठिन होती है.
अहमदाबाद में भव्य स्वागत और मोटेरा स्टेडियम में एक लाख लोगों से सीधे संवाद का अवसर ट्रम्प को अपने देश और आगामी चुनाव के लिए फायदेमंद लग रहा है तो भारत को सुरक्षा क्षेत्र में आधुनिकतम टेक्नोलॉजी तथ पाकिस्तान के आतंकवाद से लड़ने, वर्तमान आर्थिक चुनौतियों के दौर में अमेरिकी कंपनियों के भारी पूंजी निवेश से रोजगार के नए अवसर लाने का लाभ होगा. अमेरिका से सामरिक आर्थिक संबंध बढ़ाते हुए रूस से संबंध और हथियार खरीदने या चीन एवं ईरान से रिश्ते रखने में भारत कोई संकोच नहीं कर रहा है.
सबसे दिलचस्प बात यह है कि सौदागर राष्ट्रपति को बार-बार द्विपक्षीय व्यापार में भारत का पलड़ा भारी होने की दर्द भरी शिकायत करनी पड़ रही है. भारत-अमेरिका के बीच करीब 142 अरब डॉलर के व्यापार में भारत लगभग 84 अरब डॉलर का सामान निर्यात कर रहा है जबकि अमेरिका से 58 अरब डॉलर का सामान आयात कर रहा है. मोदी के सत्ता काल में 25 अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी हुई. व्यापार के नए समझौते के लिए भारत अपनी शर्ते निरंतर बता रहा है और ट्रम्प भी कह चुके हैं कि नवंबर में अमेरिकी चुनाव के बाद ही ऐसा कोई समझौता हो पाएगा.
इस बार संभव है डेयरी उत्पादों के आयात के कुछ नियमों, शुल्क आदि पर भारत कोई रियायत उन्हें भेंट में दे दे. अमेरिका ने भारत के स्टील के आयात पर अधिक शुल्क लगा रखा है, लेकिन चीन में विनाशकारी वायरस फैलने के बाद तो भारत को अपना निर्यात बढ़ाने का सुनहरा अवसर मिल गया है. वहीं दवाई तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में अमेरिका से सहयोग बढ़ाने की जरूरत होगी. यह संकट आने से पहले भी चीन की नीतियों से परेशान अमेरिकी कंपनियां बाहर निकलने की तैयारियां कर रही थीं, भारत उनके लिए दरवाजे खोल सकता है. उम्मीद की जानी चाहिए कि ट्रम्प के साथ आ रहे शीर्ष 15 कंपनियों के प्रमुख भारत में अपार संभावनाओं को देखकर बड़े पैमाने पर पूंजी लगाने के लिए भी निर्णय कर सकेंगे.
ट्रम्प के स्वागत सत्कार का राजनीतिक विरोध करने वाले यह भूल जाते हैं कि भारत और भारतीयों की इज्जत लगातार बढ़ती जा रही है. हम कैसे भूल सकते हैं जब हमें अमेरिकी लाल गेहूं के लिए राशन की दुकान में लाइन में खड़े रहना पड़ता था, सुपर कम्प्यूटर के लिए अमेरिका ने अंगूठा दिखा दिया था. लेकिन आज भारत का आटा, दाल, सब्जी, फल ही नहीं अत्याधुनिक सामान धड़ल्ले से बिक रहा है, अमेरिकी सिलिकॉन वैली में भारतीय इंजीनियरों का वर्चस्व है, पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका संयुक्त राष्ट्र में भारत का साथ दे रहा है, परमाणु परिसीमन संधि पर हस्ताक्षर किए बिना भारत को परमाणु ईंधन देने सहित अंतरिक्ष अनुसंधान में सहयोग कर रहा है.