अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग: आग की बढ़ती घटनाएं और सुरक्षा के सवाल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 28, 2019 08:58 AM2019-05-28T08:58:14+5:302019-05-28T08:58:14+5:30

सूरत के तक्षशिला शॉपिंग मॉल में कोचिंग सेंटर में 23 जिंदगियां लीलने वाले भयानक अग्निकांड से अगर अब भी सबक नहीं लिया गया तो नतीजे बहुत भयावह हो सकते हैं. वजह यह है कि हमारे देश में शहरीकरण तेज रफ्तार पकड़ चुका है और नियमों को धता बताकर घर, दफ्तर, मकान, बाजार आदि बनाने के मामले में हर कोई आगे है.

Abhishek Kumar Singh's blog: rising fire incidents and security questions, Surat Fire | अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग: आग की बढ़ती घटनाएं और सुरक्षा के सवाल

अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग: आग की बढ़ती घटनाएं और सुरक्षा के सवाल

आधुनिक वक्त के निर्माण का जो सबसे चिंताजनक पहलू इधर कुछ वर्षो में निकलकर सामने आया है, वह यह है कि शहरी इमारतें बाहर से तो लकदक दिखाई देती हैं, लेकिन उनके अंदर मामूली चिंगारियों को हवा देकर भीषण अग्निकांड में बदल देने वाली अनेक चीजें मौजूद रहती हैं. एक बार कहीं कोई बिजली का तार सुलगता है तो वह मामूली घटना भी भयानक हादसे में बदल जाती है.  

सूरत के तक्षशिला शॉपिंग मॉल में कोचिंग सेंटर में 23 जिंदगियां लीलने वाले भयानक अग्निकांड से अगर अब भी सबक नहीं लिया गया तो नतीजे बहुत भयावह हो सकते हैं. वजह यह है कि हमारे देश में शहरीकरण तेज रफ्तार पकड़ चुका है और नियमों को धता बताकर घर, दफ्तर, मकान, बाजार आदि बनाने के मामले में हर कोई आगे है.

भूलना नहीं चाहिए कि ज्यादातर मामलों में आग किसी बेहद छोटे कारण से शुरू होती है, जैसे मामूली शॉर्ट सर्किट या बिजली के किसी खराब उपकरण का आग पकड़ लेना. यह बात बहुत पहले समझ में आ गई थी पर अफसोस है कि ऐसी मामूली वजहों की असरदार रोकथाम अब तक नहीं हो सकी.

आज की आधुनिक रसोइयों में रखे फ्रिज-माइक्रोवेव से लेकर एसी, कम्प्यूटर जैसे उपकरण और फॉल्स सीलिंग के भीतर की जाने वाली वायरिंग महज एक शॉर्ट सर्किट के बाद काबू नहीं किए जा सकने वाले आग के शोले पैदा कर रही है. यह सिर्फ इत्तफाक नहीं है कि दो साल पहले लंदन के 24 मंजिला ग्रेनफेल टावर की आग के पीछे इमारत के एक फ्लैट में रखे रेफ्रिजरेटर में हुए विस्फोट को अहम वजह माना गया था, वहीं मुंबई में मोजो और वन-वे नामक रेस्टोरेंट की आग शॉर्ट सर्किट की देन बताई गई. सूरत की इमारत में आग की शुरुआती वजह शॉर्ट सर्किट ही बताई जा रही है, जिसे ज्वलनशील तत्वों जैसे कि छत में थर्मोकोल और पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) से हुई साज-सज्जा, छत पर रखे टायरों आदि ने चंद सेकेंडों में भड़का दिया.

एक उल्लेखनीय बात यह है कि हमारे देश में स्कूल-कॉलेजों से लेकर दफ्तरों और फैक्ट्रियों तक में प्राय: भूकंप से बचाव की ट्रेनिंग जरूर छोटे स्तर पर दी जाने लगी है, लेकिन आग से सुरक्षा का प्रशिक्षण नहीं दिया जाता. दो-चार संकेतकों और आग बुझाने वाले यंत्नों की स्थापना के अलावा कहीं भी यह  ट्रेनिंग नहीं दी जाती कि अचानक आग लगे तो कोई शख्स कैसे लेटकर और लुढ़कते हुए दरवाजों की तलाश करे, कैसे पानी से भीगे तौलिये मुंह पर लपेटकर धुएं से बचे और कैसे खुद के पहने कपड़े (पैंट आदि) उतार कर उनकी रस्सी बनाकर दूसरों को भी इमारत से बाहर निकाला जा सकता है. अगर कोचिंग सेंटर यह भी बताते कि अचानक आग लगे तो क्या करना चाहिए, तो शायद सूरत हादसे में किसी की जान नहीं जाती.

Web Title: Abhishek Kumar Singh's blog: rising fire incidents and security questions, Surat Fire

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