अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉगः बंद करने होंगे कबूतरबाजी के चोर दरवाजे

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 11, 2019 04:45 AM2019-02-11T04:45:35+5:302019-02-11T04:45:35+5:30

अमेरिका में ‘पे एंड स्टे’ गिरोह के भंडाफोड़ का यह मामला यूं तो नया नहीं है, इससे पहले 2016 में भी एक ऐसा ही वाकया सामने आया था. 

Abhishek Kumar Singh's blog burglars of doves should be close | अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉगः बंद करने होंगे कबूतरबाजी के चोर दरवाजे

अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉगः बंद करने होंगे कबूतरबाजी के चोर दरवाजे

पिछले कुछ अरसे में प्रवासी मजदूरों के साथ क्या कुछ नहीं हुआ है. विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर पहले तो देश में ही सैकड़ों-हजारों लोग ठगे जाते हैं. कबूतरबाजी यानी अवैध इमिग्रेशन के शिकार इन्हीं लोगों में से कुछ लोग जब किसी तरह विदेश पहुंच जाते हैं तो वहां उनके रोजगार से लेकर जिंदगी तक का कोई ठिकाना नहीं होता. ताजा घटनाक्रम अमेरिका में खड़ी की गई एक फर्जी यूनिवर्सिटी के जरिए 129 भारतीय छात्नों की धरपकड़ का है. बताया गया है कि ये भारतीय छात्न वहां एक इमिग्रेशन रैकेट के जरिए पहुंचे थे. आरोप लगाया गया कि ये छात्न यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए रजिस्टर्ड थे, लेकिन पढ़ाई करने के बजाय अमेरिका में काम कर रहे थे.

यह भी बताया गया कि इस फर्जी यूनिवर्सिटी को एक किस्म के स्टिंग ऑपरेशन के तहत 2015 में अमेरिका ने खुद बनाया था. अमेरिका के मिशिगन राज्य में यूनिवर्सिटी ऑफ फार्मिग्टन नाम से इस यूनिवर्सिटी को अमेरिकी सुरक्षा बलों के अंडरकवर एजेंट चला रहे थे ताकि पैसे के बदले अवैध प्रवास की चाहत रखने वालों को पकड़ा जा सके. अमेरिका में ‘पे एंड स्टे’ गिरोह के भंडाफोड़ का यह मामला यूं तो नया नहीं है, इससे पहले 2016 में भी एक ऐसा ही वाकया सामने आया था. तब वीजा घोटाले में 306 भारतीय छात्नों को अमेरिका से निकाल दिया गया था. अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेशन ने दावा किया था कि इन सभी छात्नों ने यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्दर्न न्यूजर्सी में दाखिला लिया था. इसमें दाखिले के लिए सभी छात्नों ने फर्जी तरीके से  वीजा हासिल किया था.

विदेशों में खास तौर पर रोजगार के लिए गए एक करोड़ 10 लाख से ज्यादा प्रवासी भारतीयों के लिए संकट यह है कि उन्हें स्थानीय श्रम कानूनों में होने वाले फेरबदल के साथ-साथ सिकुड़ते रोजगार विकल्पों की समस्या, गृह युद्ध और आतंकवाद से भी जूझना है.

समस्या यह है कि पूरी दुनिया का रोजगार मार्केट सिकुड़ रहा है. ऐसे में सवाल यह है कि कुशल और अकुशल श्रमिक के रूप में बाहर गए अनिवासी भारतीयों के हित में हमारी सरकार को क्या-क्या उपाय करने चाहिए जिससे उनसे मिलने वाली विदेशी मुद्रा ही नहीं, बाहरी मुल्कों में उन प्रवासियों के हित भी सुरक्षित रहें. इसका पहला उपाय है देश से बाहर नौकरी पर जाने वाले हर शख्स के वैध प्रवासन की व्यवस्था करना. सिर्फ कोसने से कुछ नहीं होगा, बल्कि सरकार को अवैध ढंग से चलने वाली कबूतरबाजी यानी गैरकानूनी माइग्रेशन के चोर दरवाजे बंद करने में सख्ती दिखानी होगी. उसे यह भी गौर करना चाहिए कि जिन देशों में भारतीय कामगार व आईटी पेशेवर जा रहे हैं, क्या उनके माइग्रेशन में वहां के वीजा और श्रम कानूनों से कोई खिलवाड़ तो नहीं किया जा रहा है. यदि उन देशों में कोई समस्या नजर आए या वहां के वीजा और श्रम कानूनों में कोई बड़ी तब्दीली नजर आए तो ऐसे लोगों को वहां जाने से रोक लेना चाहिए. ऐसी व्यवस्था नहीं करने पर ही वहां उनके साथ होने वाली समस्या उन लोगों के परिवारों समेत खुद सरकार के लिए भी संकट का कारण बनती है.

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