विश्व लीवर दिवस: भारत में हर 10वां शख्स 'फैटी लीवर' से पीड़ित, कोरोना के बाद बेतहाशा बढ़ी है लीवर के रोगियों की संख्या
By रमेश ठाकुर | Published: April 19, 2023 12:10 PM2023-04-19T12:10:45+5:302023-04-19T12:12:28+5:30
कोविड-19 के बाद यकृत अथवा लीवर के रोगियों की संख्या में बेहताशा इजाफा हुआ है. डब्ल्यूएचओ और वैश्विक चिकित्सकीय आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2020 के बाद अन्य बीमारियों के मुकाबले लीवर के मरीज 10 फीसदी से ज्यादा बढ़े हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो हिंदुस्तान में प्रत्येक दसवां इंसान फैटी लीवर से पीड़ित है.
इसे कोरोना का प्रभाव कहें या खानपान की गलत आदत? फिजिकल वर्क पर ध्यान देना चाहिए, स्वस्थ लीवर के लिए वर्कआउट जरूरी होता है. शराब का सेवन लीवर के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है. लीवर से जुड़ी तमाम बीमारियों के संबंध में आमजन को जागरूक करने के मकसद से ही हर साल 19 अप्रैल को विश्व लीवर दिवस मनाया जाता है.
बड़ों के अलावा अब बच्चे भी इस बीमारी से प्रभावित होने लगे हैं. अंग्रेजी दवाइयों के हैवी डोज से लीवर खराब होते थे, इसको लेकर तो आमजन जागरूक हैं, पर सामान्य चीजों के प्रभाव से भी लीवर खराब होने लगे हैं, ये घोर चिंता का विषय है. इसलिए लीवर के प्रति सचेत होने की दरकार है.
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्रो विभाग के प्रमुख डॉ. अनिल अरोड़ा, जो पिछले 30 वर्षों से लीवर का इलाज कर रहे हैं, अपने अनुभव का जिक्र करते हुए कहते हैं कि बच्चों को बाहरी चीजों के सेवन से रोकना होगा, क्योंकि खाने की बाहरी वस्तुओं में केमिकल ज्यादा और साफ-सफाई न के बराबर होती है.
बच्चों को कोल्ड ड्रिंक कतई नहीं देनी चाहिए, उसमें गैस होती है, जो बच्चों के कोमल लीवर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. कुल मिलाकर हमें लीवर के प्रति जागरूक होना होगा. गलत खानपान की चीजें पहले फैटी लीवर बनाती हैं, उसके बाद गंभीर बीमारी जकड़ लेती है. इन सबसे बचने की दरकार है.