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महाराष्ट्र ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन दिवस विशेष: अस्थिरोग के निदान और जागरूकता का प्रयास

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: May 1, 2024 11:44 IST

महाराष्ट्र ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा पिछले 40 वर्षों में विभिन्न प्रकार के सम्मेलनों, परिसंवादों, कार्यशालाओं, चर्चासत्रों व मार्गदर्शन शिविरों का आयोजन किया गया है. इन सबकी वजह से अस्थिरोग विशेषज्ञों की विशेषज्ञता में निश्चित रूप से विकास हुआ है.

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ठळक मुद्देपिछले 40 वर्षों से महाराष्ट्र के सभी अस्थिरोग विशेषज्ञों पर गर्व हो, इस तरह का काम महाराष्ट्र ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन कर रहा है.वर्ष 1983 में महाराष्ट्र के प्रख्यात अस्थिरोग विशेषज्ञों ने इस संगठन की स्थापना की थी.चिकित्सा क्षेत्र में मेडिको लीगल समस्याएं आती ही रहती हैं और इन समस्याओं के निदान में यह संगठन अपनी भूमिका निभाता है.

पिछले 40 वर्षों से महाराष्ट्र के सभी अस्थिरोग विशेषज्ञों पर गर्व हो, इस तरह का काम महाराष्ट्र ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन कर रहा है. वर्ष 1983 में महाराष्ट्र के प्रख्यात अस्थिरोग विशेषज्ञों ने इस संगठन की स्थापना की थी. इसके पीछे उद्देश्य यह था कि सभी अस्थिरोग विशेषज्ञ एक साथ आएं, उनके बीच सौहार्द्र का वातावरण बने और चिकित्सा तथा सर्जरी के अपने अनुभवों के आदान-प्रदान के जरिये वे शल्य चिकित्सा में और अधिक प्रवीणता हासिल कर सकें.

महाराष्ट्र ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा पिछले 40 वर्षों में विभिन्न प्रकार के सम्मेलनों, परिसंवादों, कार्यशालाओं, चर्चासत्रों व मार्गदर्शन शिविरों का आयोजन किया गया है. इन सबकी वजह से अस्थिरोग विशेषज्ञों की विशेषज्ञता में निश्चित रूप से विकास हुआ है. बड़े शहरों और छोटे तालुका स्तर पर अस्थिरोग विशेषज्ञों के बीच जो बाधाएं हुआ करती थीं, वह महाराष्ट्र ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन की वजह से दूर हो गई हैं. 

जो तकनीकी ज्ञान केवल शहरों में उपलब्ध हुआ करता था, वही तकनीक और वही कार्यपद्धति महाराष्ट्र के सभी अस्थिरोग विशेषज्ञों के लिए सुलभ हो गई है. इसलिए इस उच्च तकनीकी ज्ञान का निश्चित रूप से ग्रामीण जनता और दूरदराज के लोगों को फायदा मिला है. 

अस्थिरोग विशेषज्ञों की जो विशेषज्ञता केवल उन तक ही सीमित थी, उसके महाराष्ट्र ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के मंच पर उपलब्ध होने से सभी लोगों को उसका फायदा मिल रहा है और उनकी सेवा जनसामान्य तक पहुंच रही है.

शैक्षिक मामलों के साथ ही इस संगठन ने सभी अस्थिरोग विशेषज्ञों को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी युक्त मशीनरी वाजिब मूल्य पर उपलब्ध कराते हुए मूल्यवान सहयोग दिया है. अस्थिरोग विशेषज्ञों की सभी कठिनाइयों का समाधान करने के लिए महाराष्ट्र अस्थिरोग संगठन हमेशा तत्पर रहता है और उनकी मूल्यवान मदद करता है.

इस संगठन के माध्यम से अनेक युवा अस्थिरोग विशेषज्ञों के लिए अनुभवी विशेषज्ञों के पास जाकर कुछ समय तक उनसे सर्जरी की बारीकियां सीखना सुलभ हो सके, इसके लिए फेलोशिप का भी कार्यान्वयन किया जा रहा है. 

चिकित्सा क्षेत्र में मेडिको लीगल समस्याएं आती ही रहती हैं और इन समस्याओं के निदान में यह संगठन अपनी भूमिका निभाता है. अस्थिरोग विशेषज्ञों के लिए कार्य करते हुए सामाजिक भाईचारे के लिए भी यह संगठन विभिन्न उपक्रमों का आयोजन करता है.

इसी के अंतर्गत 1 मई को महाराष्ट्र ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन दिवस के उपलक्ष्य में महाराष्ट्र के सभी अस्थिरोग विशेषज्ञ समाज उपयोगी प्रकल्पों का आयोजन कर अपनी नि:शुल्क एवं नि:स्वार्थ सेवा प्रदान करते हैं. साथ ही भारतीय अस्थिरोग संगठन (इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन) देश भर में सामाजिक दृष्टि से उपयोगी कार्य करने में अग्रणी है.

इनमें आमतौर पर मरीज की मुफ्त जांच के साथ-साथ खून, पेशाब आदि की नि:शुल्क जांच भी शामिल होती है. कई अस्थिरोग विशेषज्ञों द्वारा नि:शुल्क शल्यक्रिया शिविर आयोजित किए जाते हैं जबकि कुछ स्थानों पर नि:शुल्क दवाएं, कमर, गर्दन या घुटने की बेल्ट भी वितरित की जाती हैं.

हर वर्ष 1 मई से 7 मई के बीच प्रत्येक अस्थि रोग विशेषज्ञ अपने समय और परिस्थिति को देखते हुए कम से कम एक दिन के लिए समाज के लिए यह सेवा प्रदान करता है. कुछ स्थानों पर पूरे सप्ताह भर विभिन्न समाजोपयोगी गतिविधियां आयोजित की जाती हैं, जिसमें मुख्य रूप से बुजुर्ग मरीजों या गठिया के मरीजों की जांच की जाती है. 

इस सप्ताह के दौरान खिलाड़ियों के साथ-साथ पुलिस, सैनिक भर्ती के लिए छात्रों के लिए उनकी अकादमियों में जाकर जांच व मार्गदर्शन किया जाता है. विभिन्न वरिष्ठ नागरिक क्लबों में जाकर उन्हें हड्डियों के जोड़ों की टूट-फूट, कैल्शियम की जांच के लिए मार्गदर्शन दिया जाता है और आहार एवं व्यायाम के बारे में जानकारी दी जाती है. इस सप्ताह के दौरान विकलांग बच्चों की आर्थोपेडिक सर्जरी भी निःशुल्क की जाती है.

इस सप्ताह के दौरान कई आर्थोपेडिक तकनीशियनों द्वारा मरीजों को फीजियोथेरेपी पर मार्गदर्शन और फीजियोथेरेपी मशीनरियों का मुफ्त लाभ दिया जाता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह संगठन सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और दुर्घटनाओं के बाद तत्काल सेवा प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. 

यह संस्था एम्बुलेंस चालकों और यातायात शाखा के पुलिसकर्मियों को प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण प्रदान करने का काम भी करती है. दुर्घटना होने पर तत्काल क्या किया जाना चाहिए, इस बारे में मार्गदर्शन किया जाता है, जिससे दुर्घटना होने पर घायलों को तत्काल मदद मिल सके.

अगर हम इस बात पर विचार करें कि सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले आमतौर पर युवा होते हैं जो अपने घर में कमाने वाले महत्वपूर्ण सदस्य होते हैं, तो सड़क दुर्घटना के बाद मार्गदर्शन अमूल्य हो जाता है. इस वर्ष महाराष्ट्र ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ प्रदीप कोठाडिया, सोलापुर एवं सचिव डॉ अभिजीत वाहेगांवकर, पुणे ने एमओए दिवस के अवसर पर ‘सेव योर जॉइंट्स’ की अवधारणा को लागू करने का निर्णय लिया है, जिसके लिए उन्होंने सभी सदस्यों से स्वास्थ्य शिविरों में भाग लेने, जरूरतमंदों का मार्गदर्शन करने आदि के बाबत आह्वान किया है. इससे पहले डॉ पराग संचेती, डॉ गाडेगोने, डॉ अजित शिंदे की अध्यक्षता में महाराष्ट्र ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन सप्ताह बड़े पैमाने पर मनाया गया था. डॉ प्रदीप कोठाडिया की कल्पना के अनुसार, इस वर्ष निःशुल्क जोड़ जांच शिविर का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को जोड़ों के स्वास्थ्य, जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए उचित व्यायाम, विटामिन डी का महत्व, हड्डियों को कमजोर होने से बचाने के उपाय आदि के बारे में जानकारी देना है. 

इसी प्रकार कई स्थानों पर कैल्शियम जांच शिविर आयोजित किए जाने हैं. संगठन की ओर से अध्यक्ष डॉ प्रदीप कोठाडिया एवं सचिव डॉ अभिजीत वाहेगांवकर और पूरे संचालक मंडल द्वारा नागरिकों से अनुरोध किया गया है कि 1 मई को महाराष्ट्र अस्थिरोग संगठन दिवस पर प्रदान की जाने वाली सेवाओं का अधिकतम उपयोग करें और अपने जोड़ों व हड्डियों संबंधी समस्याओं को दूर करें.

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